बिलों की वसूली नहीं होने से अरबों में पहुंचा बिजली कंपनियों का घाटा

 बिजली उपभोक्ताओं

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं से बिलों की वसूली को लेकर कोई कारगर कदम नहीं उठाए जाने की वजह से प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियां इस समय भारी घाटे के दौर से गुजर रही है। वर्तमान में तीनों कंपनियों यह घाटा लगभग साढ़े बारह हजार करोड़ से भी अधिक पहुंच गया है। यही नहीं प्रदेश में भरपूर बिजली उत्पादन होने के बावजूद भी लगातार बढ़ रही बिजली कटौती, ट्रांसफार्मर खराब होने और बिलों में गड़बड़ी की शिकायतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। दरअसल सरकार की मंशा गरीब लोगों को फायदा पहुंचाने की है लेकिन उसका फायदा दबंग उठा रहे हैं। वसूली करने पर मारपीट तक होती है। यह नियमित बिल जमा करने वाले उपभोक्ताओं के लिए ठीक नहीं है। बता दें कि अरबों रुपयों का यह बकाया प्रदेश के सिर्फ चालीस फीसदी उपभोक्ताओं पर है वहीं इसका खामियाजा तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के करीब डेढ़ करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। इन तीनों ही कंपनियों में सबसे ज्यादा मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का सात हजार करोड़ से अधिक का बकाया है। प्रदेश के 3 जिलों में बकायेदारों की संख्या अधिक  है उनमें मुरैना, ग्वालियर, भोपाल, इंदौर खरगोन शिवपुरी दतिया, भिंड, उज्जैन और दतिया शामिल हैं।
बकाया की वसूली हो तो घाटा भी पूरा हो जाएगा
जानकारों का मानना है कि यदि बिजली बिलों की बकाया राशि की वसूली हो जाती है तो बिजली कंपनियों का ना सिर्फ घाटा पूरा हो जाएगा बल्कि आवश्यक संसाधनों की पूर्ति भी हो जाएगी। यही नहीं विभाग को अगले पांच साल तक बिजली के दाम बढ़ाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
रसूख के आगे शिथिल पड़ जाती है कार्रवाई
बहरहाल ऐसा नहीं है कि कंपनियों का वसूली पर जोर नहीं होता है लेकिन निरंतर बढ़ते राजनीतिक दबाव व मारपीट की घटनाओं के चलते यह हालात निर्मित हुए हैं। उल्लेखनीय है कि कंपनियों को वसूली के लिए तहसीलदार स्तर तक के न्यायिक अधिकार हैं लेकिन सूत्र बताते हैं कि जब भी बड़े बकायेदारों पर कार्यवाही की स्थिति बनती है तो उनका राजनीतिक रसूख इतना प्रभावी होता है कि बिजली कंपनियों द्वारा की जाने वाली सारी कार्रवाई शिथिल पड़ जाती है। ग्वालियर चंबल क्षेत्र में ऐसे कई उदाहरण हैं। भिंड के रावतपुरा थाना के अखदेवा में एक आटा चक्की  संचालक पर एक लाख से अधिक का बकाया था। जब जुलाई 2021 में बिजली कंपनी की टीम उसके यहां वसूली करने पहुंची तो लोगों ने लाइनमैन व अन्य लोगों के साथ जमकर मारपीट की और टीम को खदेड़ दिया था। हालांकि इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की हुई है। वहीं दूसरी और होशंगाबाद के पिपरिया में मोकल वाड़ा के एक किसान पर पांच साल से बकाया है। इसकी वसूली के लिए जब विभाग की एक अधिकारी वहां पहुंची तो बिजली कंपनी की टीम के साथ लोगों ने घेरकर उनके साथ मारपीट की थी। इस मामले में भी पुलिस ने शासकीय काम में बाधा डालने का केस दर्ज किया है। यह घटना इसी साल फरवरी 2021 की है। दूसरी और विद्युत विभाग की यूनाइटेड फोरम फॉर एम्पलाई इंजीनियर्स के मुताबिक बिजली कंपनी के अफसरों द्वारा बकाया को आधार बनाकर हित साधने के प्रयास होते हैं। एक तरफ बकाया नहीं वसूल पा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ घाटा बताकर आम उपभोक्ताओं के लिए दाम बढ़ाते हैं। यही नहीं अधिकारी कर्मचारियों को भी परेशान किया जा रहा है। हालांकि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की माने तो विभाग द्वारा वसूली के लिए अभियान चलाया जा रहा है। बिजली कंपनी सभी उपभोक्ताओं को एक समान देखती है। वसूली करने वालों को पर्याप्त सुरक्षा दी जाएगी। जरूरतमंद उपभोक्ताओं के साथ सहानुभूति रखना भी सरकार का कर्तव्य है।

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