
- सरकारी नियम का एक प्रावधान पड़ रहा है भारी …
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। राज्य सरकार के कर्मचारी इन दिनों इंक्रीमेंट से लेकर रिटायरमेंट पर होने वाले स्वायत्तों के भुगतान को लेकर खुश नही ंहैं। इसकी वजह है हाल ही में दो साल बाद कर्मचारियों को इंक्रीमेंट का एरियर देने के बाद भी वे अब भी इंक्रीमेंट के मामले में काफी पीछे चल रहे हैं।
इसके अलावा दूसरी नाराजगी की बड़ी वजह है जून माह में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को इंक्रीमेंट का लाभ नहीं दने का नियम, भले ही कर्मचारी इस माह के अंतिम दिन ही क्यों न रिटायर्ड हुआ हो। दरअसल सरकार का प्रदेश में यह नियम है कि जो सरकारी कर्मचारी 1 जुलाई को सेवा में है, सिर्फ उन्हें इंक्रीमेंट दिया जाएगा, 30 जून वाले को नहीं। इस नियम की वजह से प्रदेश में हर साल लगभग पांच हजार कर्मचारियों को इंक्रीमेंट का लाभ नहीं मिल पता है , जिसकी वजह से उन्हें हर माह एक हजार से लेकर पांच हजार रुपए तक का नुकसान उठाना पड़ता है। सेवा शर्तों के नियमों के तहत अंतिम इंक्रीमेंट की राशि पेंशन फिक्स होने के कारण मूल वेतन में जुड़ती है। इसी आधार पर रिटायरमेंट के बाद लाभ मिलते हैं। लेकिन हर साल ऐसे लगभग 5 हजार कर्मचारी होते हैं, जिन्हें रिटायरमेंट के वक्त इस विसंगति के कारण वेतन वृद्धि का लाभ ही नहीं मिल पाता। बताया जा रहा है कि इस मामले में वित्त विभाग को ही कोई निर्णय लेना है। उल्लेखनीय है कि समय पर इंक्रीमेंट में दो साल की देरी होने की वजह से उन 18 हजार कर्मचारियों को इस का लाभ नहीं मिल सका है जो बीते साल सेवा निवृत्त हो चुके हैं, जबकि इस साल भी 21 हजार कर्मचारी सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
कुछ घंटे पड़ जाते हैं भारी
दरअसल, सरकार के सामान्य सेवा शर्त नियमों के अनुसार इंक्रीमेंट की पात्रता 1 जुलाई को सेवा में रहने वाले कर्मचारी को ही है। यदि कर्मचारी 30 जून को अंतिम वर्किंग डे में शाम साढ़े पांच बजे भी रिटायर होता है तो उसे इंक्रीमेंट की पात्रता नहीं रह जाती है, जबकि इसके बाद करीब साढ़े छह घंटे बाद अगली तारीख शुरू हो जाती है। नियमों की वजह से इन महज चंद घंटो के अंतर की वजह से कर्मचारियों को इंक्रीमेंट की पात्रता से हाथ धोना पड़ जाता है।
हाईकोर्ट के निर्देश की भी अवहेलना
खास बात यह है कि सेवा शर्तों की इस खामी के खिलाफ हाईकोर्ट भी फैसला दे चुका है। याचिका क्रमांक 18030/2019 के खिलाफ सरकार ने डबल बेंच में 363/20 याचिका लगाई थी। तब कोर्ट ने 6 मार्च 2020 को सरकार की अपील यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि जो कर्मचारी सालभर नौकरी करता है, वह इंक्रीमेंट का पात्र है। इसलिए 30 जून को रिटायर होने वाले को भी वेतन वृद्धि मिलना चाहिए। इसके बाद भी सरकार द्वारा इस मामले में हाईकोर्ट के निर्देश की अवहेलना की जा रही है।
यह भी हैं सेवा शर्तों में खामियां
1. सेवा शर्तों के तहत अनुकंपा नियुक्ति के मामलों में नियम है कि अविवाहित या विवाहित पुत्र है तो विवाहित पुत्री को अनुकंपा नौकरी नहीं मिल सकती। हालांकि हाईकोर्ट इसे लैंगिक भेदभाव मानते हुए असंवैधानिक बता चुका है।
2. सेवा की सामान्य शर्त 1961 में प्रावधान है कि प्रतियोगिता परीक्षा से चयनित कर्मचारियों की ज्वाइनिंग की तारीख से परिवीक्षा अवधि प्रारंभ होगी। मंत्रालय में दो साल पहले सेवा में आए स्टेनोटायपिस्ट, स्टेनोग्राफर की दो वर्ष बाद भी परिवीक्षा अवधि शुरू नहीं हो सकी है। इसका असर इन कर्मचारियों की आगे की सेवा पर पड़ेगा।