
- अबतक 78 की मौत, ड्रोन-सेटेलाइट से होगा सर्वे
हिमाचल/एजेंसी। हिमाचल में मानसून के दौरान आई प्राकृतिक आपदा का सर्वेक्षण ड्रोन व सेटेलाइट से करवाया जाएगा, जिसकी रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाएगी। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मंडी, कुल्लू, चंबा और रामपुर में हुए नुकसान का आकलन किया जाएगा। मौसम के खुलते ही ड्रोन से सर्वे करने का निर्देश है, ताकि रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा मिल सके। अभी तक लोक निर्माण और जल शक्ति विभाग के नुकसान का डाटा आया है। वह भी अपडेट हो रहा है। अन्य विभागों का डाटा आना शेष है।
प्रदेश में कुछ स्थानों पर 20 जून को मानसून ने प्रवेश किया और कड़े तेवर दिखाने शुरू कर दिए। अभी तक कुल 78 लोगों की मौत हो चुकी है। 700 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का अनुमान है, जिसमें से 570 करोड़ रुपये का आकलन कर भी लिया है। जिलों से रिपोर्टें आ रही हैं। केंद्र से विशेष सहायता के लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात की है। प्रदेश की स्थिति को उनके समक्ष रखा है। हालात इतने खराब हैं कि सेना को मदद के लिए हेलीकाप्टर के साथ उतरना पड़ा है।
क्यों बढ़ रही हैं मौतें?
हिमाचल प्रदेश में मॉनसून के दौरान मौसम संबंधी घटनाओं के कारण मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता चला जा रहा है। भारी बारिश के कारण राज्य के अनेक हिस्सों में अचानक बाढ़, बादल फटने, भूस्खलन आदि से लोगों की मौत हुई है। सबसे ज्यादा लोगों की मौत मंडी में हुई है, जहां बादल फटने, अचानक बाढ़ आने और भूस्खलन की 10 घटनाओं ने भारी तबाही मचाई है। आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश में मानसून ने 20 जून को दस्तक दी थी। इसके बाद से बादल फटने, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं लगातार देखने को मिल रही हैं। हिमाचल प्रदेश के मंडी में मची तबाही पर भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कहा- मंडी पर बहुत संकट आया है, बादल फटे हैं, कई जगह जलभराव हो गया है, संपर्क टूट गया है। सिराज, थुनाग के इलाकों में संपर्क टूट गया है लेकिन प्रशासन कड़ी नजर रख रहा है, प्रभावित लोगों के लिए राहत, बचाव के काम जारी है। हमारी टीम हर जगह पहुंची हुई है।
