
- मप्र में आदिवासी विकास के प्रयास नाकाफी …
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में आदिवासियों के उत्थान और विकास के लिए सरकार द्वारा बड़े-बड़े वादे और दावे किए गए हैं। यही नहीं योजनाओं की भरमार भी है। लेकिन हकीकत यह है कि आदिवासियों के विकास के लिए प्रदेश में किए जा रहे कार्य नाकाफी साबित हो रहे हैं। इसका असर आदिवासी क्षेत्रों में देखा जा सकता है। अनुसूचित जनजाति को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए राज्य सरकार ने पिछले 15 साल में अनुसूचित जनजाति वर्ग की आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए 782 फीसदी बजट बढ़ाया है, लेकिन स्थिति में अपेक्षाकृत सुधार नहीं हुआ। इसकी वजह यह है कि कई योजनाओं में हर आदिवासी पर एक कप चाय से भी कम यानी मात्र 3 रुपए ही खर्च हो रहे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में आदिवासी वर्ग की आबादी लगभग 1.75 करोड़ अनुमानित है। इस वर्ग की उन्नति के लिए मप्र सरकार ने योजनाओं की भरमार कर रखी है। लेकिन स्थिति जस की तस है। इसकी वजह यह है कि कई योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट नहीं मिल रहा है। इस वर्ग की उन्नति के लिए हर जिले में राशि बढ़ाने की आवश्यकता है।
इन जिलों को भरपूर बजट
जिला आबादी बजट जारी
धार 12,22,814 38.32
झाबुआ 8,91,818 27.95
अलीराजपुर 6,48,638 20.33
खरगोन 7,30,169 22.88
बड़वानी 9,62,145 30.15
बैतूल 6,67,018 20.90
यह है प्रदेश के आदिवासी बहुल कुछ जिलों का बजट
जिला आबादी बजट जारी
मुरैना 17,030 0.53
भिंड 6,131 0.19
दतिया 15,061 0.47
आगर 13,941 0.44
शाजापुर 23,895 0.75
मंदसौर 33,092 1.04
उज्जैन 48,730 1.53
राजगढ़ 53,751 1.68
स्रोत: जनजातीय कार्य विभाग,
राशि लाख रुपए में
बजट और आवंटन में काफी अंतर
सूत्रों के अनुसार सरकार अपने बजट में भी इस वर्ग के लिए 21 फीसदी राशि रखती है, लेकिन जब बजट जारी होता है तो काफी अंतर नजर आता है। इसका उदाहरण हाल ही में जारी 4.80 करोड़ रुपए के बजट में देखने को मिला है। जहां भिंड की आबादी 6,131 होने पर 19 हजार रुपए और मुरैना में 17 हजार 30 होने पर 53 हजार रुपए से ही संतोष करना होगा। इस तरह हर आदिवासी के हिस्से लगभग 3 रु. 15 पैसे ही आते हैं।
बजट आवंटन बढ़ाने की मांग
प्रदेश सरकार बजट में अनुसूचित जनजाति वर्ग की 21 प्रतिशत आबादी के आधार पर प्रावधान करती है, लेकिन बजट जारी होता है 2011 की जनगणना के हिसाब से। सरकार ने 28 अक्टूबर को अनुसूचित जनजातियों के कल्याण, आदिवासी क्षेत्र उपयोजना, जनजाति की बस्तियों के विकास के लिए 4.80 करोड़ का बजट जिले बार जारी किया है। जिस जिले की आबादी ज्यादा, उसे ज्यादा बजट और जिसकी कम उसे बहुत कम राशि से ही संतोष करना पड़ रहा है,। ऐसे में सवाल यह है कि लेकिन प्रति व्यक्ति 3 रुपए 15 पैसे में कितना काम होगा? आदिवासी वर्ग बजट आवंटन बढ़ाने की मांग कर रहा है। प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य डॉ.पल्लवी जैन गोविल कहती हैं कि आदिवासियों के लिए जनसंख्या के हिसाब से ही बजट आवंटन होता है। विशेष आवश्यकता को देखते हुए कम ज्यादा बजट हो सकता है। वैसे विकास कार्यों के लिए लगातार राशि जारी होती रहती है।