
- वन अफसरों की बढ़ रही है ङ्क्षचता
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के अब एक और वन अभ्यारण में चीतों को बसाने की तैयारी जोर शोर से की जा रही है, लेकिन इस बीच चीतों के नए ठिकाने के लिए तैयार किए गए बाड़ों पर पहले से रह रहे तेंदुओं ने कब्जा जमा लिया है। इन बाड़ों में आए दिन तेंदुओं को चहलकदमी करते हुए देखा जा रहा है। तेंदुओं की बाड़े में लगातार उपस्थिति दिखने से वहां पर चीतों को बसाने को लेकर अभी से चिंता सताने लगी है।
दरअसल यहां पर बनाए गए बाड़ों में अब तक 20 तेंदुओं की आवाजाही पाई गई है। दरअसल इस अभ्यारण में फिलहाल 6 चीतों के रखने के हिसाब तैयार किया गया है। यहां 64 वर्ग किमी में 8 क्वारंटाइन बाड़े बनाए गए हैं। इनमें से 6 में चीतों को रखा जाएगा, जबकि 2 बाड़े रिजर्व रहेंगे। यही वजह है कि इन बाड़ों के आसपास से चीतों को लाने से पहले तेंदुओं को हटाए जाने का निर्णय तो किया जा चुका है, लेकिन इस पर अमला होता अब तक नहीं दिखा है। इसके बाद भी अगर तेदुओं की आवजाही बंद नहीं होती है तो फिर विभाग द्वारा उन्हें प्रदेश के दूसरे किसी अभयारण्य में भी छोडऩे की योजना है।
फिलहाल, वहां से लाकर एक तेंदुआ वन विहार भोपाल में रखा गया है। दरअसल यह वो तेंदुआ है, जो अभयारण्य के बीच से निकल रहे नीमच-भानपुरा रोड पर आकर जम गया था। इस दौरान उसने सडक़ पर जा रहे एक बाइक सवार सहित 3 लोगों पर हमला भी कर दिया था। जिसके बाद ही उसे ट्रैंकुलाइज कर भोपाल के वन विहार भेजा गया।
दायरा बढ़ाए जाने की योजना
केंद्र सरकार ने गांधी सागर अभयारण्य की सीमा के बाहर 3 किमी के क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन बनाने का गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इधर, गांधी सागर अभयारण्य के आसपास मंदसौर, नीमच जिले के रिजर्व फॉरेस्ट के 900 वर्ग किमी को बफर जोन बनाने का प्रस्ताव भी विभाग द्वारा भेजा जा चुका है। अगर इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिती है तो फिर अभयारण्य का दायरा बढक़र करीब 1300 वर्ग किमी हो जाएगा, जिससे वन्य जीवों के लिए अधिक जगह मि जाएगी। दरअसल, वन विभाग का मानना है कि भविष्य में चीतों, चीतल के स्वच्छंद विचरण के लिए गांधीसागर अभयारण्य के दायरे में वृद्धि होना बेहद जरुरी है। इस अभ्यारण की खासियत यह है कि पूर्व दिशा में राजस्थान के कोटा जिले के रावतभाटा व भैंसरोडग़ढ़ सेंचुरी लगी हुई है तो वहीं उत्तर में नीमच जिले के साथ ही राजस्थान का चित्तौडग़ढ़ जिला लगा हुआ है। अभयारण्य में आ रहे चीतों व अन्य वन्य प्राणियों के लिए जगह कम होने से अब नीमच जिले के मनासा और रामपुरा रेंज के 750 वर्ग किमी तथा मंदसौर जिले की भानपुरा रेंज के 150 वर्ग किमी (कुल 900 वर्ग किमी) से अधिक के रिजर्व फॉरेस्ट को बफर जोन बनाने की सिफारिश की गई है। सूत्रों के मुताबिक अफ्रीकी चीतों की तीसरी खेप अक्टूबर के बाद कभी भी भारत आ सकती है।
कई प्रकार है वन्यजीव
यहां वन्य प्राणियों में तेंदुआ, भेडिय़ा, सियार, भारतीय लोमड़ी, धारीदार लकड़बग्घा, रीछ जैसे वन्य जीव विचरण रहते हैं। ऊदबिलाव, गिद्ध, नीलगाय, हायना, जेकल जैसी कई प्रजातियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार गांधी सागर में मनुष्य का हस्तक्षेप अधिक नहीं होने से यह वन्य जीवों के लिए अच्छी जगह बना हुआ है। अभयारण्य में वन्य जीव के साथ ही जलाशय में बिना किसी समस्या के जलीय जीव भी रह रहे हैं। यहां मगरमच्छ भी पांच हजार से अधिक हैं।