लक्ष्मीकांत ने कहा था आप मुझसे यह पाप क्यों करा रहे हैं

लक्ष्मीकांत शर्मा
  • लज्जाशंकर हरदेनिया

वामपंथी चिंतक एवं पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया के विचार

मप्र भाजपा के कद्दावर नेता व मंत्री रहे लक्ष्मीकांत शर्मा के निधन के बाद विचारक, लेखक व पत्रकार एलएस हरदेनिया ने उनसे जुड़े कुछ संस्मरणों को इन शब्दों में उजागर किया है- ‘दुनिया उनके बारे में जो भी सोचती हो लेकिन मैं अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि वे अत्यंत संवेदनशील थे।
 मैं एक अत्यंत मार्मिक घटना का उल्लेख करना चाहूंगा, एक बच्ची थी रंजना। वह जन्म से ही दिव्यांग थी किंतु असाधारण थी। वह जन्म से लेकर मृत्यु तक सिर्फ पेट के बल लेटी रही। उसके न पैर चलते थे और न हाथ। मुझे बताया गया कि वह कविता लिखती है, चित्रकारी करती है और सुंदर वस्तुएं बनाती है। मैंने जब उसकी कविताएं पढ़ीं तो पाया कि वे अद्भुत थीं। वह दांतों से कलम पकड़कर लिखती है और दांतों से ही ब्रुश पकड़कर पेटिंग करती थी। उसकी माता संध्या मालवीय, पिता एचपी मालवीय प्यार से उसका पालन पोषण करते थे। उसके बारे में मैंने लक्ष्मीकांतजी से चर्चा की तो उनका रिस्पांस था कि ऐसी बच्ची के लिए आप जो भी कहेंगे मैं करूंगा।
मैंने कहा उसका सम्मान किया जाए। इसके लिए आपके निवास पर कार्यक्रम हो। इस पर शर्मा ने कहा ‘आप मुझसे यह पाप करवाएंगे। वह यहां नहीं आएगी। मैं उसके घर जाऊंगा।’
फिर रंजना के घर के बाहर एक विशाल टेंट लगा,रोशनी भी की गई। लक्ष्मीकांतजी ने उसके घर पहुंचकर उसका सम्मान किया। उसे 25 या 50 हजार की थैली भी भेंट की गई। उसके कविता संग्रह का प्रकाशन करवाने की भी घोषणा की।
उन्होंने कहा कि कविता संग्रह के प्रकाशन का सारा व्यय शासन वहन करेगा और बाद में संग्रह शासन द्वारा खरीदा भी जाएगा। जब ये घोषणाएं की जा रहीं थीं तब अनेक लोगों की आंखों में आंसू आ गए। इसके बाद जब भी मेरी उनसे मुलाकात होती थी वे पूछते थे वह बिटिया कैसी है। जब वे जनसंपर्क मंत्री बने तो मैंने कहा कि मैं एक पत्रिका निकालता हूं। कृपया उसे मिलने वाले विज्ञापन की राशि में बढ़ोत्तरी करवा दें। उन्होंने कहा ‘एक बात आप कान खोलकर सुन लें। इस मामूली से काम के लिए अब कभी आप स्वयं नहीं आएंगे। किसी के हाथ कागज भिजवा दिया करिए और यदि आप चाहेंगे तो मेरा आदमी आपके घर से कागज ले आएगा’। बाद में उन्हें व्यापमं की घटना के चलते मंत्री पद छोड़ना पड़ा और जेल में भी रहना पड़ा। मैं जेल में उनसे मिलने गया। जेलर ने कृपा कर अपने चेंबर में मेरी उनसे मुलाकात करवाई।  मुलाकात खत्म होने के बाद उन्होंने मेरे पैर छुए और कहा कि आपके आने के क्षण को मैं इस जन्म तो क्या अगले जन्म तक भी नहीं भूलूंगा। मैंने पाया कि उनकी आंखों में आंसू थे।
चॉकलेट कहां से खिलाऊं
कुमुद सिंह की बेटी यशस्वी कुमुद ने लक्ष्मीकांतजी से जुड़ा एक वाक्या इस तरह लिखा है- ‘5 अटूबर 2011 को मैंने बेटियों पर आधारित एक आह्ला की प्रस्तुति दी। मुख्य अतिथि संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने उस गीत कि लिए मुझे 5 हजार रुपये इनाम स्वरूप देने की घोषणा की। लगभग एक साल तक यह नहीं मिला तो मैंने मंत्रीजी को चि_ट्ठी लिखी अंकल आपने मुझे 5 हजार रुपये देने की घोषणा कर दी और यह बात मैंने खुशी में अपने सारे दोस्तों को बता दी अब वे सभी मुझसे आए दिन चाकलेट की मांग करते हैं, आप बताइये मैं कहाँ से खिलाऊं? लगभग एक महीने बाद एक दिन एक सरकारी व्यक्ति मुझे एक लिफाफा देकर गया जिसमें 5 हजार का चेक था।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रगतिशील विचारक हैं।)

Related Articles