
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की अफसरशाही का शिकार आम आदमी तो पहले से ही है, लेकिन अब तो अराजकता की हद पार कर दी गई है। हालत यह है कि प्रदेश के लगभग सभी विभागों की ओर से कई बार निर्देश जारी करने के बाद भी महालेखाकार कार्यालय को अब तक वित्तीय लेखों की सही और पूरी जानकारी ही नहीं दी जा रही है।
इसकी वजह से महालेखाकार कार्यालय इस वर्ष के अंतिम लेखे तैयार नहीं कर पा रहा है। इस मामले में अब महालेखाकार कार्यालय ने वित्त विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है। इसके बाद हरकत में आए वित्त विभाग ने सभी विभागों के वित्तीय सलाहकार और फाइनेंस अफसरों को पूरी जानकारी के साथ तलब किया है। दरअसल हर साल 31 मार्च की स्थिति में वित्तीय खातों की पूर्ण जानकारी प्रधान महालेखाकार कार्यालय को 15 अप्रैल तक भेजना अनिवार्य है। महालेखाकार कार्यालय के पत्र के बाद अब वित्त विभाग ने वित्त लेखों के पांच तरह के विवरण पत्रक विभागों के अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिवों को भेज कर उसके अनुसार पूरी जानकारी तैयार कर 19 और 20 जुलाई को तलब किया है। इसकी शुरुआत खनिज विभाग से की जानी है। वित्त विभाग द्वारा सभी विभागों को अपनी जानकारी देने के लिए पंद्रह-पंद्रह मिनट का समय तय किया गया है। दरअसल अब तक जो जानकारी सामने आई है उसके तहत कुल 54 विभागों के अफसरों को बुलाया गया है।
यह मांगा गया है ब्यौरा
वित्त विभाग द्वारा जो जानकरी मांगी गई है उसमें विभिन्न संस्थानों को सरकार द्वारा दिया गया कर्ज और अग्रिम के साथ बकाया राशि का ब्यौरा मांगा गया है। इसी तरह से विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों पर वर्ष 2019 तक 218 करोड़ 85 लाख रुपए का बकाया था, लेकिन इसकी जानकारी विभाग ने दी ही नहीं है।
इसी तरह से स्थानीय निकायों पर 438 करोड़ 81 लाख रुपए बाकी है। शहरी विकास प्राधिकरणों द्वारा 1642 करोड़ रुपए के बकाया का हिसाब नहीं दिया गया है। गृह निर्माण मंडल पर 175 करोड़ 49 लाख रुपए बाकी है। पंचायती राज संस्थान पर 51 लाख रुपए बाकी है। इसी तरह से सांविधिक निगम पर 6290 करोड़ रुपए और सरकारी कंपनियों पर 25193 करोड़ रुपए का बकाया है। सहकारी समितियों, सहकारी निगम और बैंकों पर 6673 करोड़ रुपए बाकी है। शासकीय कर्मचारियों को दिए गए कर्ज और अग्रिम
की राशि 19 करोड़ भी बकाया है। इस तरह से 42143 करोड़ रुपए के ऋण और अग्रिम का हिसाब दिया जाना है। इसके साथ ही क्या प्राप्त हुआ और क्या जमा किया इसका हिसाब भी विभागों ने अब तक नहीं दिया है। इसी तरह से वित्त वर्ष में सरकार के मुख्य नीतिगत निर्णय और बजट में प्रस्तावित नई योजनाओं में राज्य, केन्द्र से कितनी राशि मिली, कर्ज कितना लिया गया। इन योजनाओं पर कितनी राशि खर्च की गई इसका भी पूरा ब्यौरा तलब किया गया है।