बाघ भ्रमण क्षेत्र में मनमाना निर्माण कर सकते हैं भू-धारक

बाघ भ्रमण क्षेत्र

जंगल में मानवीय घुसपैठ बढ़ाने के लिए नियमों का सहारा…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
प्रदेश में एक तरफ बाघ सहित अन्य वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ने के कारण जंगल छोटे पड़ने  लगे हैं, वहीं वन क्षेत्र में मानवीय घुसपैठ बढ़ाने के लिए नियमों को सहारा लिया जा रहा है। राजधानी भोपाल  में बाघभ्रमण क्षेत्र में रसूखदारों के निमार्णों को वैध करने और मनमाना निर्माण करने के लिए शहर विकास योजना 2031 में इसके लिए प्रावधान किए गए।
प्रावधान के अनुसार जिस व्यक्ति की वन क्षेत्र में जितना बड़ा भू-खंड है उसके डेढ़ गुना तक वह निर्माण कर सकता है।  इस प्रावधान से वन्य प्राणी विशेषज्ञ आश्चर्यचकित हैं। गौरतलब है कि कलियासोत से केरवा, कोलार तक वन क्षेत्र में दस बड़े कॉलेज, 40 से अधिक बड़े फार्म हाउस, 70 के करीब बड़े बंगले, 90 से अधिक व्यवसायिक गतिविधियां शुरू हो गईं। इतना ही नहीं, जंगल के अंदर अपनी जमीन की दावेदारी करने वालों की संख्या भी बढ़ गई। गौरतलब है की कलियासोत से केरवा, कोलार तक वन क्षेत्र में साल दर साल अतिक्रमण बढ़ा है और वहां निर्माण कार्य हुए हैं उससे वन्यप्राणी अब वनों से निकलकर कंक्रीट के जंगल यानी गांव और शहरों की ओर आ रहे हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि निरंतर वन्यप्राणियों और मनुष्यों में लगातार संघर्ष बढ़ रहा है। इसे रोकने की बजाय शहर किनारे बाघ के घर में मानवीय घुसपैठ बढ़ाने के लिए अब नियमों का सहारा भी लिया जा रहा है।
पीएसपी लैडयूज तय कर एफएआर तय:  जानकारी के अनुसार यहां वन की जगह पीएसपी लैडयूज तय कर एक एफएआर तय किया गया है। शहर विकास योजना 2031 में इसके लिए प्रावधान किए गए। एफएआर यानि जमीन के क्षेत्रफल की तुलना में  निर्माण का नियम। एक एफएआर का मतलब है एक हजार वर्गफीट जमीन पर एक हजार वर्गफीट निर्माण की अनुमति मिलना। इसके अलावा नए नियमों में एफएआर खरीदने का प्रावधान भी है। चंदनपुरा व इससे लगे वनक्षेत्र में आधा एफएआर खरीदा भी जा सकता है। जाहिर है, यहां किसी के पास दस हजार वर्गफीट जमीन है तो वह 15 हजार वर्गफीट तक निर्माण करने की अनुमति के लिए कोशिश कर सकता है। इस पूरे क्षेत्र में शहर के कई नामी व प्रमुख लोगों की जमीनें है। यहां इस एफएआर का लाभ उठाकर बड़े निर्माण किए जा सकते हैं। इससे बाघ की आवाजाही और रहवास में खलल पड़ेगा। यदि  इन्हीं नियम व श्रेणी के साथ योजना लागू हुई तो फिर बाघ व मानव के बीच टकराव की स्थिति और बढ़ेगी। गौरतलब है कि चंदनपुरा बाघ रहवास व भ्रमण क्षेत्र में पीएसपी लैडयूज तय कर यहां पहले स्कूल, अस्पताल, कॉलेज जैसे बड़े संस्थान खुल गए। पीएसपी लैडयूज के तहत वनक्षेत्र कम कर बड़े निर्माण किए गए। समय के साथ इन्हें सभी तरह की अनुमतियां भी मिल गई। अब नई  योजना में शहर की पॉश कॉलोनी की तरह निर्माण शर्त तय कर तेजी से यहां निर्माण की राह खोलने की स्थिति बना दी गई।
खोला जंगल में निर्माण का रास्ता
 बाघ भ्रमण क्षेत्र में नियमों की अनदेखी करते हुए स्कूल-कॉलेज और अस्पताल के लिए जमीन आवंटन हुआ है। चंदनपुरा में शैक्षणिक संस्थान समेत अद सार्वजनिक उपयोग के निर्माण हो रहे हैं। कलियासोत जलभराव वाले ग्राम खुदागंज, बरखेड़ी खुर्द, बरखेड़ी कला क्षेत्र में भी पीएसएपी दर्शाकर स्कूल-कॉलेजों के लिए निर्माण की तैयारी है। जबकि, ग्राम चंदनपुरा, चीचली, मेंडोरा, मेंडोरी, छावनी क्षेत्र उच्चतम न्यायालय के 12-12-96 के आदेश में गोधावर्मन में परिभाषित वन की श्रेणी में है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय की रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी ने छह फरवरी 2020 को आदेश दिया था कि क्षेत्र को तीन माह के अंदर जंगल मेपिंग कर नोटिफाइ कर वन विभाग को जंगल की भूमि हस्तांतरित करें। यह क्षेत्र रातापानी अभ्यारण्य से जुड़ा है। वन विभाग यहां 40 बाघों का भ्रमण क्षेत्र मानता है। यह बाघों का प्रजनन क्षेत्र भी है। इसीलिए भोपाल मास्टर प्लान 2031 में यूआरडीपीएफआई गाइडलाइन और फारेस्ट एक्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 को लागू करने की मांग की जा रही है।
बाघभ्रमण क्षेत्र खत्म करने की साजिश
कलियासोत डैम के नजदीक बाघभ्रमण क्षेत्र को संरक्षित करना था, लेकिन यहां के ग्राम खुदागंज, बरखेड़ी खुर्द, बरखेड़ी कला क्षेत्र के कुछ क्षेत्र डैम के जलभराव क्षेत्र में आते हैं। प्रस्तावित मास्टर प्लान 2031 में इन गांवों के जलभराव क्षेत्रों को पीएसएपी दशार्या गया है। यानि यहां स्कूल, कॉलेज खोले जा सकते हैं। इसी तरह केरवा कोठी से केरवा डैम ग्राम मेंडोरा में वनस्पति उद्यान जो वर्तमान मास्टर प्लान में है, इसकी जगह आवासीय सामान्य पांच में दिखाया गया है। जो कि वाटर बाडी के लिए नुकसानदेह हैं। कलियासोत डैम से उपर ग्राम सिंगपुर के वनस्पति उद्यान क्षेत्र को पीएसपी कर यहां भी निर्माण की राह खोलने के प्रावधान हैं। शहर किनारे बाघभ्रमण व रहवास क्षेत्र चंदनपुरा, मेंडोरा, मेंडोरी और संबंधित क्षेत्रों में छह बाघ मौजूद है। नगर वन में काफी दिनों तक रहे बाघों में से दूसरा बाघ भी यहां से निकल गया है। बताया जा रहा है कि ये बाघ अब सीपीए प्लांटेशन से लेकर एक निजी यूनिवर्सिटी के पीछे की ओर ही है।

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