
- मप्र की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आत्मनिर्भर मप्र अभियान के तहत सरकार का फोकस महिलाओं पर भी है। कोरोना काल में लागू की गई स्ट्रीट वेंडर योजना की सफलता ने महिला उद्यमियों के लिए आर्थिक सहायता की राह आसान कर दी है। अब प्रदेश सरकार गृह उद्योग और मध्यम उद्योग चला रही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 100 करोड़ रुपए का महिला सम्मान कोष बना रही है, ताकि वे व्यवसाय करें और धन उपार्जित कर सही मायनों में ‘लक्ष्मी’ बन सकें।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार इस कोष से महिलाओं को कारोबार बढ़ाने के लिए निश्चित राशि तय समय के लिए दी जाएगी। ब्याज लिया जाए या नहीं, यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तय करेंगे। राशि लौटाने पर उन महिलाओं को दोबारा राशि मिल सकेगी। इस कोष का फायदा तेजस्विनी ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम और महिला स्व-सहायता समूह की सदस्य महिलाओं को मिलेगा।
महिलाओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण भी
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आठ मार्च पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी घोषणा की थी। महिला वित्त व विकास निगम से योजना का खाका तैयार कराया गया है, जो शासन के पास पहुंच गया है। सरकार की सोच है कि आर्थिक समानता आएगी, तो सामाजिक समानता का रास्ता प्रशस्त होगा। वहीं महिला उद्योग चलाएगी, तो दूसरी महिलाओं को भी रोजगार मिलेगा और ऐसे परिवार आर्थिक रूप से संपन्न होंगे। इस कोष से कर्ज देने से पहले संबंधित महिला को चयनित उत्पाद के उत्पादन, मार्केटिंग सहित अन्य जरूरी प्रशिक्षण दिलाए जाएंगे। शुरुआत में सरकार यह जिम्मेदारी निभाएगी और बाद में नाबार्ड से कर्ज दिलाने की कोशिश भी होगी।
योजना स्ट्रीट वेंडर से अलग
कोरोना काल में स्ट्रीट वेंडरों के लिए भी ऐसी ही व्यवस्था की जा चुकी है, पर उसमें बैंकों से कर्ज दिलाया गया था और इस योजना में राशि की व्यवस्था खुद सरकार करेगी। सीएम शिवराज चौहान कहते हैं कि प्रदेश में महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने के लिए हमने ठोस कदम उठाए हैं। औद्योगिक विकास में भी महिलाएं बराबरी से आगे बढ़ें, इस दिशा में भी सरकार प्रतिबद्ध है।
परिसंघ के माध्यम से दिया जाएगा कर्ज
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में देखने में आया है कि उद्योग या कारोबार चला रहीं महिलाओं को कारोबार बढ़ाने के लिए राशि का इंतजाम खुद करना पड़ता है। वे अपेक्षाकृत राशि नहीं जुटा पातीं और उद्योग गति नहीं पकड़ पाते हैं। इस योजना के अनुसार, सहकारी संघ की तरह व्यवस्था बनाकर सरकार महिलाओं को कर्ज देगी। इसमें महिला वित्त विकास निगम मुख्य भूमिका में होगा। निगम परिसंघ (स्व-सहायता समूहों के संघ) को राशि देगा और परिसंघ उन महिलाओं को कर्ज बांटेगा। इसी तरह कर्ज लौटाया भी जाएगा। जिनकी क्रेडिट अच्छी रहेगी, उन्हें दूसरी-तीसरी बार भी कर्ज दिया जा सकेगा।
कई तरह के उद्यम चला रही महिलाएं
मप्र में तीन लाख 33 हजार स्व-सहायता समूह हैं और इनसे जुड़ी महिलाएं तेल, आटा, बेसन, दालें, नमकीन, बिस्किट, घी, मावा, मिठाई सहित अन्य खाद्य पदार्थ, गारमेंट, खिलौने, सजावटी सामान और मेडिकल उत्पाद तैयार कर रही हैं। वे दूध, सब्जी और मौसमी फलों के उत्पादन से लेकर आक्सीजन संयंत्र तक चला रही हैं, पर उन्हें मेहनत और प्रयासों के मुताबिक लाभ नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि समूह की महिलाओं की आमदनी में ज्यादा फर्क नहीं आया है। संतुष्टि सिर्फ इतनी है कि उन्हें मजदूरी नहीं करना पड़ रही और उससे कुछ ज्यादा राशि भी मिल जाती है।