मैरिट सूची में पारदर्शिता की कमी, सीट आवंटन से पहले ही खड़ा हुआ सवाल

मैरिट सूची
  • पूर्व के वर्षों में दो मैरिट सूची होती थी जारी, अब नियमों में बदलाव

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। नीट पीजी स्टेट लेवल काउंसलिंग का पहला चरण शुरू हो चुका है। संचालक चिकित्सा शिक्षा मप्र ने इस चरण के तहत जो मैरिट सूची जारी की है, उस पर सवाल खड़ा हो गया है। कई उम्मीदवारों ने आरोप लगाया है कि डीएमई द्वारा जो स्टेट कॉमन सूची जारी की गई है, उसमें पारदर्शिता की कमी है। एक अभ्यर्थी ने बताया कि पूर्व के वर्षों में दो मैरिट सूची जारी होती थी, एक कॉमन रैंक और दूसरी स्टेट रैंक। इस बार सिर्फ कॉमन मैरिट सूची ही जारी की गई है। इसका नुकसान यह होगा कि जब सीट आवंटन होगा तो उसमें यह पता करना मुश्किल होगा कि जिस उम्मीदवार को सीट मिली है वह एमपी डोमिसाइल है या नहीं। इस सवाल के जवाब में चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अधिकारियों का कहना है कि सीट आवंटन सॉफ्टवेयर के माध्यम से होगा। उसमें सिर्फ उसे ही सीट मिलेगी जो नियम व शर्तें पूरी करता होगा।
एमपी डोमिसाइल का सवाल हुआ खत्म
दरअसल यह पूरा विवाद मप्र के मूल निवासियों से जुड़ा है। काउंसलिंग का नियम है कि स्टेट कोटा की सीट सबसे पहले एमपी के मूल निवासी को दी जाना है। यदि इसका अभाव है तो फिर किसी बाहरी राज्य के छात्र को दे सकते हैं। अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर व्यवस्था बदल गई है, इसलिए यह विवाद गहरा रहा है। नई व्यवस्था के मुताबिक यदि किसी बाहरी राज्य के छात्र ने मप्र के किसी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है तो वह स्वत: रूप से मप्र का मूल निवासी माना जाएगा और वह इसी श्रेणी में सीट हासिल करने के लिए च्वाइस फिलिंग करेगा।
सीट आवंटन पर उठेगा सवाल
डीएमई ने भले सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया है। लेकिन उम्मीदवारों का कहना है कि वर्तमान में जो मैरिट सूची जारी की गई है, उसमें दोनों तरह के छात्रों के नाम हैं। मसलन वह छात्र जिसने एमबीबीएस मप्र से किया है और वह छात्र भी जो बाहरी राज्य से एमबीबीएस किए हुए हैं। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब सीट आवंटन होगा तो उस समय यह निष्कर्ष निकालना मुश्किल होगा कि सीट हासिल करने वाला छात्र एमपी डोमिसाइल है या नहीं।
डीएमई का तर्क…नियम बदल गया
इस मामले में संचालनालय के अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया है। जिसमें कहा गया है कि जिस उम्मीदवार ने देश के जिस राज्य से एमबीबीएस किया है, वह उसी राज्य का डोमिसाइल माना जाएगा, चाहे वह रहने वाला किसी अन्य राज्य का ही क्यों ना हो। इसी नियम के अंतर्गत नई कॉमन मैरिट सूची जारी की गई है।
एमपी कोटा में 1764 सीटें
नीट पीजी काउंसलिंग के पहले चरण में जो सीट चार्ट जारी किया गया है। इसमें सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों की कुल 1764 सीटें शामिल हैं। मप्र में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या 15 हो गई है। पिछले वर्ष यह संख्या 12 थी। इन 15 कॉलेजों में एमडी-एमएस सीटों की कुल संख्या 738 है। पिछले वर्ष सीटों की संख्या 664 थी। वहीं निजी कॉलेजों की बात करें तो प्रदेश में निजी मेडिकल कॉलेजों की संख्या 8 है और इनमें एमडी व एमएस की कुल सीटों की संख्या 1026 है। इसमें एनआरआई कोटा भी शामिल है। इस तरह 1764 सीटों के मुकाबले कुल 2907 कैंडीडेट्स के नाम शामिल हैं।
832 उम्मीदवार बाहरी
डीएमई द्वारा जारी मैरिट सूची में कुल 2907 उम्मीदवारों के नाम हैं। इनमें 832 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने मप्र के मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई नहीं की है। हालांकि इन्हीं 832 उम्मीदवारों में बहुत से ऐसे भी हैं, जो मप्र के हैं। इसके विपरीत 2075 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने मप्र से एमबीबीएस की पढ़ाई है, हालांकि इनमें भी कई ऐसे छात्र हैं जो मप्र के मूल निवासी नहीं हैं।

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