भाजपा विधायकों की कुंडली पहुंची दिल्ली

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हाईकमान तय करेगा किसको मिलेगा टिकट

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में सत्ता बरकरार रखने के लिए भाजपा जहां मैदानी मोर्चे पर लगातार सक्रिय है, वहीं हाईकमान पूरी तैयारियों पर नजर रखे हुए हैं। चुनावी तैयारियों के बीच भाजपा ने टिकट पर भी मंथन शुरू कर दिया है। इसके लिए भाजपा विधायकों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट के साथ ही दावेदारों की कुंडली दिल्ली पहुंच गई है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि हाईकमान अब सभी की परफॉर्मेंस को जांचेगा। उसके बाद तय करेगा की किसको टिकट मिलेगा।
विधानसभा चुनाव के पांच महीने पहले ही भाजपा प्रत्याशियों के टिकट पर दिल्ली में मंथन शुरू हो गया है। विधायकों को लेकर सत्ता और संगठन द्वारा कराए गए सर्वे की रिपोर्ट दिल्ली पहुंच गई है, इसके साथ ही प्रदेश के कई जिलों में मचे आपसी घमासान से भी केंद्रीय नेतृत्व चिंतित है। इन दोनों मसलों पर भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने राष्ट्रीय संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल से मिले फीडबैक के बाद गुरुवार को राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। आने वाले दिनों में इसके परिणाम सामने आ सकते हैं।
अब तक तीन सर्वे
इस बार भाजपा कितनी सतर्क और सक्रिय है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने पिछले आठ महीनों में अपने विधायकों को लेकर तीन सर्वे कराए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधायकों से वन टू वन में यह सर्वे रिपोर्ट विधायकों को दिखा चुके हैं। इसके अलावा केंद्रीय संगठन ने भी अपने स्तर पर दो सर्वे कराए हैं। सर्वे में जिन सीटों पर भाजपा हारी थी, वहां हारे हुए नेता कितने सक्रिय हैं। इसे भी शामिल किया गया था। इसके साथ ही शिवप्रकाश और अजय जामवाल को हर जिले में जाकर विधायकों की जमीनी हकीकत पता करने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। जामवाल और शिवप्रकाश प्रदेश के हर जिले में करीब दो बार जाकर जिलों से लेकर बूथ तक के कार्यकर्ताओं से चर्चा कर चुके हैं।
उन्होंने भी अपने फीडबैक से नड्डा और संतोष को अवगत करा दिया है। इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व संगठन को कसने के साथ सर्वे में आए नामों को लेकर मंथन करने में लग गया है। इसके साथ केंद्रीय नेता योजनाओं को लेकर मिले फीडबैक पर भी विचार हो रहा है। चुनाव में किन योजनाओं को सबसे आगे रखना है, जनता के लिए सबसे अपीलिंग मुद्दे भी तलाशे जा रहे हैं। गौरतलब है कि पूरे देश में केंद्र की योजनाओं को लेकर भाजपा ने विशेष सम्पर्क अभियान शुरू किया है। इसके पहले हफ्ते का फीडबैक पार्टी ने विभिन्न राज्यों से लिया है।
बदलाव की संभावना बढ़ी
कर्नाटक में मिली हार के बाद भाजपा नेतृत्व ने मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान पर अपना ध्यान केन्द्रित कर दिया है। यह भी माना जा रहा है कि कुछ राज्यों में भाजपा बदलाव कर सकती है। बदलाव को लेकर पिछले एक पखवाड़े से सियासी पारा गर्माया हुआ है। गुरुवार को नड्डा और संतोष की अमित शाह से मुलाकात के बाद इसे और बल मिल गया है। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मैदानी फीडबैक के बाद ही मध्य प्रदेश सहित अन्य चुनावी राज्यों के संगठन में बदलाव की सुगबुगाहट एकाएक तेज हो गई। खासतौर पर संघ की टोली बैठकें और दिल्ली में संपन्न उच्च स्तरीय बैठकों में भी यह मुद्दा प्रमुखता से छाया रहा। आरएसएस के पदाधिकारी इन राज्यों में संगठन के मौजूदा परफॉर्मेंस से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे। उधर दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में भी फेरबदल की चर्चा सरगर्म है। भाजपा हाईकमान इन चुनावों को लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के बतौर देख रहा है। ऐसे में हाईकमान पार्टी के भीतर पनपती गुटबाजी को खत्म कर कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा फूंकने की कवायद में जुटा है। इस बदलाव में प्रदेश के विंध्य अंचल को और अधिक महत्व दिए जाने की अटकलें भी चल पड़ी हैं। हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महामंत्री बीएल संतोष सहित अन्य पदाधिकारियों की मौजूदगी में मप्र सहित अन्य राज्यों को लेकर गहन विचार विमर्श किया सौंप दी है। इस बैठक का नतीजा अगले चंद रोज में भी सामने आने की संभावना जताई जा रही है।
जामवाल की रिपोर्ट का दिखेगा असर
 उल्लेखनीय है कि संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी और क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल ने छत्तीसगढ़ प्रभार के साथ ही मप्र के सभी जिलों का दो मर्तबा दौरा कर लिया है। उन्होंने माइक्रो स्तर पर कार्यकर्ताओं और अन्य प्रबुद्ध नागरिकों से की गई चर्चा के आधार पर तैयार अपनी रिपोर्ट हाईकमान को सौंप दी है। ऐसा बताया जा रहा है कि जामवाल ने मौजूदा स्थितियों और चुनाव के संदर्भ में अपने सुझाव भी दिए हैं। इसमें नई-पुरानी भाजपा और असंतुष्ट कार्यकर्ताओं के बीच पनप रहे असंतोष के साथ ही अन्य मुद्दों का भी जिक्र किया गया है।  चुनाव से पहले कमजोर कडिय़ों को दुरुस्त कर कार्यकर्ताओं में नया उत्साह और ऊर्जा फूंकने के लिए सख्त निर्णय लेने का मशविरा भी दिया गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनाव के पहले संगठन अपनी कमजोर कडिय़ों को दुरुस्त करने की कवायद में जुटा है।  कर्नाटक की हार के बाद भी पार्टी अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है।

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