
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश सरकार और गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा द्वारा मार्च माह के अंत तक निरीक्षकों को बतौर डीएसपी पदस्थ किए जाने की घोषणा थोथी साबित हो रही है। तय समय से ढाई माह बाद भी इस घोषणा पर अमल नहीं हो सका है। इसकी वजह से अब निरीक्षक कैडर में सरकार को लेकर असंतोष पनपने लगा है। खास बात यह है कि इस मामले में पहले एक माह की देरी पुलिस मुख्यालय स्तर से हुई और उसके बाद करीब डेढ़ माह से पदस्थापना का प्रस्ताव मंत्रालय में पड़ा धूल खा रहा है। खास बात यह है कि उच्च पद के प्रभार के मामले में सिपाही से लेकर उपनिरीक्षकों तक के तो आदेश जारी किए जा चुके हैं, लेकिन निरीक्षकों का मामला अटका हुआ है। निरीक्षकों को डीएसपी का प्रभार देने के लिए सरकार द्वारा नियम भी बदले जा चुके हैं।
दरअसल इन नियमों के बदलाव में जितना समय नहीं लगा उससे अधिक समय अब उनकी पदस्थापना आदेश जारी करने में लग रहा है। गौरतलब है कि पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को 2016 से पदोन्नति नहीं मिली है। पुलिस विभाग का काम सफर कर रहा था लिहाजा सरकार ने पुलिस विभाग में उच्च पद का प्रभार देने का फार्मूला निकाला था। गृह मंत्री ने दावा किया था कि सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को उच्च पद का प्रभार 31 मार्च तक प्रदान कर दिया जाएगा। पुलिसकर्मियों और गैर राजपत्रित अधिकारियों यानी आरक्षक से लेकर सब इंस्पेक्टर तक को सरकार ने तय समय सीमा में उच्च पद का प्रभार सौंप दिया था निरीक्षक स्तर के अधिकारी उच्च पद के प्रभार से वंचित रह गए थे। डीएसपी का पद राजपत्रित अधिकारी की श्रेणी में आते हैं। राजपत्रित अधिकारियों को पद का प्रभार देने का नियम नहीं था। इसको लेकर सरकार ने पुलिस रेगुलेशन में बदलाव किया। नियम बदलने में थोड़ा वक्त लगा लेकिन बदल गया। बदलाव के बाद निरीक्षकों को कार्यवाहक डीएसपी बनाने का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा था जिसमें करीब 160 निरीक्षकों के नाम हैं। यह प्रस्ताव तकरीबन डेढ़ महीने पहले भेजा गया था लेकिन उनकी पदस्थापना संबंधी सूची आज तक जारी नहीं की गई है।
बताते हैं कि कुछ अधिकारियों और नेताओं के बीच कार्यवाहक डीएसपी की पदस्थापना को लेकर विवाद चल रहा है। इसी वजह से सूची लटकी हुई है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश में डीएसपी स्तर के अधिकारियों की भारी कमी बनी हुई है, जिसका सीधा असर विवेचना पर पड़ रहा है।
मैदानी पदस्थापना के लिए नहीं मिल रहे डीएसपी
राज्य सरकार ने 2 साल का कार्यकाल बढ़ाया था। 2 साल बाद टीआई से डीएसपी बनने वाले अधिकारी अब सेवानिवृत्त होने लगे हैं। उनकी संख्या तकरीबन 300 से ज्यादा है। नए डीएसपी की सरकार भर्ती नहीं कर रही। 2 साल में बमुश्किल ढाई दर्जन डीएसपी की भर्ती को सरकार द्वारा मंजूरी दी गई है। इसकी वजह से डीएसपी स्तर के अफसरों की बेहद कमी बनी हुई है। इस कारण से मैदानी पदस्थापना के लिए डीएसपी नहीं मिल रहे हैं।