महाराज के सारथी बनेंगे केपी

चुनाव प्रचार में साथ-साथ रहेंगे सिंधिया और सांसद

ज्योतिरादित्य सिंधिया

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम।  गुना लोकसभा सीट से सांसद केपी यादव तमाम अटकलों को विराम लगाते हुए महाराज यानी प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रचार करेंगे। उन्होंने खुद घोषणा की है कि मैं कहीं नहीं जा रहा। भाजपा के लिए ही काम करूंगा। केपी के कांग्रेस से चुनाव लड़ने की अटकलें भी लगाई जाने लगी थीं। इसे बल तब मिला, जब मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा था कि सिंधिया को हराने के लिए केपी जैसा योद्धा सामने आएगा। बाकी आप समझ सकते हैं। टिकट कटने के बाद पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने भी सहानुभूति जताई थी। राजनीतिक गलियारों में इसे केपी के कांग्रेस से चुनाव लड़ने के इशारे के तौर पर देखा जा रहा था। गौरतलब है कि भाजपा ने प्रदेश में 29 में से 24 सीट पर प्रत्याशी घोषित किए है। इसमें गुना-शिवपुरी से केपी यादव समेत 6 सांसदों का टिकट काटा है। यादव की जगह भाजपा ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से दोनों नेताओं के बीच अनबन की खबरें आ रही थी। अब दोनों नेता अशोकनगर के कार्यक्रम में एक मंच पर दिखे हैं। जिससे दोनों के बीच अनबन की अटकलों को विराम लग गया है। वहीं, खुद केपी यादव कह चुके हैं कि वह पार्टी के लिए काम करेंगे। उनके लिए व्यक्ति से पहले पार्टी है। इससे अब साफ हो गया है कि यादव ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ प्रचार करते नजर आएंगे।
सीएम ने मिलाया दिल
उल्लेखनीय है की सिंधिया और केपी के बीच 2019 में गहरी खाई बन गई थी। फिर सिंधिया के भाजपा में आने के बाद भी दोनों के बीच दूरी बनी रही। लेकिन गत दिनों मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केपी यादव से मुलाकात कर उन्हें समझाया। केपी सीएम की मनुहार पर मान गए है। भाजपा सांसद अब लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए वोट मांगने जाएंगे। मनुहार के बाद सिंधिया और गुना सांसद यादव के बीच की सियासी दूरी कम हो गई है। भाजपा छोडऩे और कांग्रेस में जाने की अटकलों को खुद सांसद ने खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैं मोदी परिवार का सदस्य हूं, कहीं नहीं जा रहा हूं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गुना लोकसभा सीट से केपी सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया था। कांग्रेस प्रत्याशी मौजूदा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया थे। केपी पहले कांग्रेस में थे और उन्हें सिंधिया का कट्टर समर्थक माना जाता था। भाजपा के टिकट पर केपी तकरीबन सवा लाख मतों के अंतर से चुनाव जीत गाए थे। केपी से चुनाव हारने के तकरीबन एक साल बाद सिंधिया भी भाजपा में चले गए। उसके बाद से जब-तब यह सुर्खियां बनती थी कि केपी और सिंधिया के बीच सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। सिंधिया के भाजपा में आने के बाद से केपी असहज हैं और दोनों के बीच वर्चस्व की अंदरूनी लड़ाई भी तेज हो गई है। अब जब 2024 का लोकसभा चुनाव नजदीक है, तब यह कयास लगाए जा रहे थे कि अगर केपी को भाजपा से टिकट नहीं मिलता है, तो वे पार्टी छोडकऱ कांग्रेस में जाएंगे। वे कांग्रेस के टिकट पर गुना से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे।
कांग्रेस से चुनाव लड़ने की अटकलें
केपी यादव की कांग्रेस से चुनाव लडऩे की अटकलें भी लगनी शुरू हो गई थी। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भाजपा के गुना-शिवपुरी से  ज्योतिरादित्य  सिंधिया को टिकट देने पर कहा था कि सिंधिया को हराने केपी यादव जैसा योद्धा सामने आएगा। बाकी आप समझ सकते हैं। वहीं, दिग्विजय सिंह ने भी यादव के टिकट काटने पर सहानुभूति जताई थी। इसे केपी यादव के कांग्रेस से चुनाव लडऩे के इशारे के रूप में देखा जा रहा था।  सीएम मोहन यादव ने एक तरीके से बुधवार को अशोकनगर के कार्यक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया और केपी यादव के बीच की दूरी कम करने की कोशिश की है। उन्होंने मंच से केपी यादव को केपी भाई कहकर बुलाया है। साथ ही कहा कि हम सब मिलकर काम करेंगे। इसका सीधा मतलब यह है कि केपी यादव और सिंधिया में समन्वय बनाने की कोशिश है। वहीं, केपी यादव ने भी टिकट कटने के बाद सिंधिया के खिलाफ कुछ नहीं बोला है। वहीं, संघ ने भी पूरी तरह से कमान संभाल ली है। गुना-शिवपुरी में सबको एकजुट कर भितरघात की संभावनाओं को खत्म करने की कवायद है। यही वजह है कि पार्टी ने पहले उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। साथ ही मनमुटाव और नेताओं के बीच की दूरियां खत्म करने में जुट गई है। यह संदेश दिया जा रहा है कि हमारा मकसद लक्ष्य की प्राप्ति है।
दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई  
गुना-शिवपुरी से सांसद केपी यादव और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच अनबन 2019 लोकसभा चुनाव के बाद से ही दिख रही थी। यादव ने सिंधिया को सवा लाख वोटों से हराया था। इसके बाद यादव बड़े नेता बनकर उभरें। इसके बाद भी दोनों के बीच जुबानी आरोप-प्रत्यारोप जारी रहे। एक साल बाद सिंधिया के भाजपा में शामिल होने पर दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई बढ़ गई थी। इसका ताजा उदाहरण हाल में देखने को मिला। जब गुना में पासपोर्ट केंद्र का उद्घाटन करने के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया योजना ही बनाते रहे और निरीक्षण करने पहुंचे केपी यादव उद्घाटन कर आए।

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