बेटियों की जन्मदर में खंडवा प्रदेश में टॉप पर

  • प्रदेश के 30 जिलों में इस बार जन्मदर में सुधार हुआ
  • विनोद उपाध्याय
बेटियों की जन्मदर

खंडवा जिले में बेटियों की जन्मदर पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा है। यहां पर एक हजार बेटों पर 1272 बेटियां जन्म ले रही हैं। प्रदेश में दूसरे नंबर पर भोपाल है। यहां पर एक हजार बेटों पर 1261 बेटियां जन्म ले रही हैं। वहीं दतिया और सतना जिले बेटियों की जन्मदर के मामले में सबसे निचले पायदान पर हैं। दतिया और सतना में एक हजार बेटों पर 658 बेटियों ने ही जन्म लिया। यह खुलासा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5) की रिपोर्ट में हुआ है। प्रदेश के 30 जिलों में पिछले सर्वे के मुकाबले इस बार जन्मदर में सुधार हुआ है, जबकि 21 जिलों में बेटियों की जन्मदर में गिरावट आई है। प्रदेश के 17 जिले ऐसे हैं, जहां बेटियों की जन्मदर प्रति हजार से भी ज्यादा है। वहीं महिला-पुरुष के लिंगानुपात के मामले में पूरे प्रदेश में सबसे बेहतर स्थिति सिवनी जिले की है। यहां पर एक हजार पुरुषों पर सबसे ज्यादा 1089 महिलाएं हैं।
खंडवा, भोपाल, आगर मालवा में लिंगानुपात बेहतर
प्रदेश में एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार खंडवा, भोपाल और आगर मालवा में लिंगानुपात सबसे बेहतर है। एनएफएचएस-5 के अनुसार एक हजार बेटों पर 1272 बेटियां जन्म ले रही हैं। वहीं आगर मालवा में 1212, बेतुल में 1049, भोपाल में 1261, छिंदवाड़ा में 1078, धार में 1056, जबलपुर में 1111, झाबुआ में 1156, खरगोन में 1043, मंडला में 1130, मंदसौर में 1021, रतलाम में 1067, सिवनी में 1212, शहडोल में 1032, शाजापुर में 1012 और टीकमगढ़ में एक हजार बेटों पर 1105 बेटियां जन्म ले रही हैं।
छह जिलों में स्थिति चिंताजनक
एनएफएचएस-4 और 5 के अनुसार प्रदेश के छह जिलों में बेटियों की संख्या बेहद कम हुई है। इसमें दतिया, ग्वालियर, दमोह, सीधी, रायसेन और सतना में यह संख्या प्रति एक हजार बालकों पर घटकर आठ सौ से भी कम हो गई है। जबकि 16 जिले ऐसे हैं, जहां बेटियों की संख्या एक हजार से अधिक है। जन्म के समय शिशु लिंगानुपात में आ रही कमी को लेकर प्रतिष्ठित संस्था गल्र्स काउंट ने प्रदेश के जिलों में भ्रमण करके वास्तविकता समझने की कोशिश की है। अब महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर बालिकाओं को लेकर जागरूकता करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए स्कूलों में भी ओरिएंटेशन क्लास शुरू होंगी। जानकारों का कहना है कि बेटियों की अपेक्षा बेटे के प्रति चाहत का स्तर चिंताजनक तक बढ़ा है। कुछ जिले ऐसे हैं, जहां लिंगानुपात बढऩे की बजाय घटा है। चोरी छुपे होने वाले भ्रूण परीक्षण पर भी अंकुश लगाना चुनौती बन गया है, ऐसे जिलों में अब पीसी-पीएनडीटी एक्ट के अंतर्गत सख्ती से कार्रवाई करने का प्लान बनाया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 का डेटा सैंपल सर्वे के आधार पर है। कुछ जिलों के लिंगानुपात में जो डेटा दिया गया है वह विश्वसनीय नहीं है। इसको क्रॉस चेक किया जाना बेहद जरूरी है। संयुक्त संचालक महिला बाल विकास भोपाल सुरेश तोमर का कहना है कि महिलाओं के लिए स्पेशल हब बनाकर काम किए जाएंगे। अभी बहुत काम करने की जरूरत है। एनएफएचएस का डेटा बहुत रिलायबल नहीं है। इसकी जांच करने की आवश्यकता है।
दतिया और सतना की हालत चिंताजनक
प्रदेश में कई जिले ऐसे हैं, जिनकी स्थिति चिंताजनक है।  एनएफएचएस-5 के अनुसार, दमोह और सतना में एक हजार बेटों पर 658 बेटियां हैं। वहीं दमोह में 751, ग्वालियर में 753, रायसेन में 754, सतना में 658, सीधी में 763, विदिशा में 960, उमरिया में 906, उज्जैन में 958, शिवपुरी  में 963, मुरैना में 1087, कटनी में 958, गुना में 825 और बालाघाट में एक हजार बेटों पर 979 बेटियां हैं।

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