गैरों पर करम, अपनों पर सितम

बिजली विभाग
  • प्रदेश के बिजली विभाग का कारनामा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। गैरों पर करम अपनों पर सितम गाने की यह लाइनें पूरी तरह से प्रदेश के बिजली महकमें पर पूरी तरह से फिट बैठती हैं। इसकी वजह है प्रदेश के उपभोक्ताओं को जिस दर पर बिजली की सप्लाई की जा रही है, उससे 32 फीसदी कम दर पर दूसरे राज्यों को प्रदेश का बिजली महकमा बिजली दे रहा है। बिजली कंपनियों के इस भेदभाव का शिकार अपने ही उपभोक्ता हो रहे हैं। अब इस मामले में मप्र विद्युत विनियामक आयोग में याचिका दायर की गई है।
आयोग में दायर याचिका में कहा गया है कि प्रदेश के बाहर बिजली कंपनियों द्वारा निर्धारित रेट से 32 फीसदी सस्ती बिजली बेची जा रही है। बाहर बेंची जाने वाली बिजली की तुलना में प्रदेश के उपभोक्ताओं को 1.65 फीसदी महंगी बिजली दी जा रही है। प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को 300 यूनिट या इससे अधिक बिजली जिस रेट में दी जा रही है, उस रेट से कम रेट में प्रदेश के बाहर बिजली बेची जा रही है। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शन मंच ने इसको गलत बताते हुए विद्युत विनियामक आयोग में याचिका दायर की है। इसमें साफतौर पर कहा गया है कि बिजली कंपनियों द्वारा दूसरे राज्यों के कुछ सेक्टर को फायदा पहुंचाने के लिए इस तरह के नियम बनाए गए हैं।
नया टैरिफ हुआ लागू
बिजली कंपनियों का नया टैरिफ इस महीने से लागू हो चुका है। नए टैरिफ में आयोग ने घरेलू, व्यवसायिक और कृषि बिजली उपभोक्ताओं के टैरिफ में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे फिलहाल बिजली उपभोक्ताओं को बढ़ा हुआ टैरिफ नहीं देना पड़ेगा। गौरतलब है कि बिजली कंपनियों ने 2046 करोड़ का घाटा बताते हुए बिजली के टैरिफ में 3.85 फीसदी बिजली महंगी करने की याचिका आयोग में दायर की थी।
एफपीपीएस के नाम पर बढ़ रहा टैरिफ
बिजली कंपनियों ने पिछले साल अप्रैल से फ्यूल एंड पावर पर्चेस एडजेस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) लागू कर दिया है। इसके नाम पर हर महीने बिजली कंपनियां 4 से 8 फीसदी तक टैरिफ बढ़ा रही हैं। पिछले साल विधानसभा चुनाव और इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान जरूर एफपीपीएस में इजाफा नहीं हुआ है। इस बार तो एफपीपीएस बढ़ने की जगह घट गया है। दो महीने बाद फिर एफपीपीएस के नाम पर बिजली के बिलों में इजाफा हो जाएगा। इससे भी बिजली उपभोक्ताओं को अब बिजली महंगी पड़ने लगी है।
बिजली कंपनियों की रिपोर्ट से  ही हुआ खुलासा
दरअसल, मध्यप्रदेश बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग में जो प्रस्ताव पिछले वित्तीय वर्ष के लिए भेजे हैं, उसी में इस बात का खुलासा हुआ है। बिजली कंपनियां दोहरा स्टैंडर्ड अपनाते हुए बाहर सस्ती बिजली बेच रही हैं, वहीं प्रदेश के उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 2 रुपए तक महंगी बिजली की सप्लाई कर रही हैं। प्रदेश की बिजली उत्पादन में लगी कंपनियां जो अपने आपको सरप्लस स्टेट बताती हैं ,वो बाहर 4.89 रुपए प्रति यूनिट और अपने ही स्टेट के उपभोक्ताओं को 5.97 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली सप्लाई कर रही हैं। यही नहीं, बिजली कंपनियों ने आगामी 2024-25 के टैरिफ प्रस्ताव में भी बाहरी राज्यों को सप्लाई की जाने वाली बिजली के लिए 4.89 रुपए प्रति यूनिट, जबकि अपने राज्य के उपभोक्ताओं को 6.87 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बेचने का प्रस्ताव भेजा है।

Related Articles