- कई अन्य चेहरे भी कर रहे हैं दावेदारी
- विनोद उपाध्याय

लोकसभा चुनाव की भले ही घोषणा नहीं हुई है, फिर भी प्रदेश का पारा इन दिनों राजनैतिक रुप से बढ़ा हुआ है। इसकी वजह है, तमाम कांग्रेस नेताओं का भाजपा में आना। इसकी वजह से लगभग हर दिन एक न एक बड़े कांग्रेस नेता के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगनी शुरु हो जाती हैं। इसी तरह की अटकलों का बाजार इन दिनों कमलनाथ को लेकर भी गर्म है। इस बीच खबर आ रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अब प्रदेश की जगह एक बार फिर से केन्द्र की राजनीति करने का मन बना चुके हैं। यही वजह है कि वे अब राज्यसभा के जरिए केन्द्र में जाना चाह रहे हैं। इस खबर को तब और बल मिला है जब उनके द्वारा हाल ही में सोनिया गांधी से मुलाकात की गई। इसके बाद उनके द्वारा प्रदेश के कांग्रेस विधायकों को नॉमिनेशन से दो दिन पहले 13 फरवरी को रात्रि भोज पर भी आमंत्रित किया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सोनियां गांधी से मुलाकात राज्यसभा सीट के लिए ही की गई है। दरअसल हाल ही में कमलनाथ द्वारा अपने सांसद बेटे नकुलनाथ के लिए छिंदवाड़ा से लोकसभा सीट की उम्मीदवारी का ऐलान कर चुके हैं।
कमलनाथ अभी विधायक हैं। पार्टी द्वारा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष से लेकर नेता प्रतिपक्ष के पद पर नए चेहरों को मौका दिया गया है। यह सभी चेहरे कमलनाथ के सामने बेहद जूनियर हैं। ऐसे में कमलनाथ के सामने असहजता की स्थिति मानी जा रही है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश की राज्यसभा की पांच सीटों के लिए इसी माह चुनाव होना है। इनमें से चार भाजपा और कांग्रेस के पास एक सीट है। इस बार भी विधायकों की संख्या के हिसाब से इन पांचों सीटों पर लगभग यही स्थिति रहने वाली है। इससे एक सीट कांग्रेस की तय है। माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान भी कमलनाथ को राज्यसभा भेजने के लिए तैयार है। यह बात अलग है कि अभी इस मामले में कोई भी पत्ते खेलने को तैयार नही है। अभी इस सीट पर कांग्रेस के राजमणि पटेल राज्यसभा सांसद हैं। वे अपने कार्यकाल में अब तक कोई प्रभाव नहीं छोड़ सके हैं और न ही वे जातीय समीकरण में भी पार्टी के लिए सही साबित हो सके हैं। उधर, पार्टी नेताओं का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व का जो भी फैसला होगा, संगठन उस निर्णय के साथ खड़ा होगा। दरअसल राज्यसभा के लिए 15 फरवरी से नामांकन प्रक्रिया शुरु होगी, जबकि जरुरत पडऩे पर 27 फरवरी को मतदान होना है।
पार्टी के सबसे प्रभावी नेता है कमलनाथ
कसभा चुनाव की भले ही घोषणा नहीं हुई है, फिर भी प्रदेश का पारा इन दिनों राजनैतिक रुप से बढ़ा हुआ है। इसकी वजह है, तमाम कांग्रेस नेताओं का भाजपा में आना। इसकी वजह से लगभग हर दिन एक न एक बड़े कांग्रेस नेता के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगनी शुरु हो जाती हैं। इसी तरह की अटकलों का बाजार इन दिनों कमलनाथ को लेकर भी गर्म है। इस बीच खबर आ रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अब प्रदेश की जगह एक बार फिर से केन्द्र की राजनीति करने का मन बना चुके हैं। यही वजह है कि वे अब राज्यसभा के जरिए केन्द्र में जाना चाह रहे हैं। इस खबर को तब और बल मिला है जब उनके द्वारा हाल ही में सोनिया गांधी से मुलाकात की गई। इसके बाद उनके द्वारा प्रदेश के कांग्रेस विधायकों को नॉमिनेशन से दो दिन पहले 13 फरवरी को रात्रि भोज पर भी आमंत्रित किया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी से मुलाकात राज्यसभा सीट के लिए ही की गई है। दरअसल हाल ही में कमलनाथ द्वारा अपने सांसद बेटे नकुलनाथ के लिए छिंदवाड़ा से लोकसभा सीट की उम्मीदवारी का ऐलान कर चुके हैं।
कमलनाथ अभी विधायक हैं। पार्टी द्वारा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष से लेकर नेता प्रतिपक्ष के पद पर नए चेहरों को मौका दिया गया है। यह सभी चेहरे कमलनाथ के सामने बेहद जूनियर हैं। ऐसे में कमलनाथ के सामने असहजता की स्थिति मानी जा रही है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश की राज्यसभा की पांच सीटों के लिए इसी माह चुनाव होना है। इनमें से चार भाजपा और कांग्रेस के पास एक सीट है। इस बार भी विधायकों की संख्या के हिसाब से इन पांचों सीटों पर लगभग यही स्थिति रहने वाली है। इससे एक सीट कांग्रेस की तय है। माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान भी कमलनाथ को राज्यसभा भेजने के लिए तैयार है। यह बात अलग है कि अभी इस मामले में कोई भी पत्ते खेलने को तैयार नही है। अभी इस सीट पर कांग्रेस के राजमणि पटेल राज्यसभा सांसद हैं। वे अपने कार्यकाल में अब तक कोई प्रभाव नहीं छोड़ सके हैं और न ही वे जातीय समीकरण में भी पार्टी के लिए सही साबित हो सके हैं। उधर, पार्टी नेताओं का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व का जो भी फैसला होगा, संगठन उस निर्णय के साथ खड़ा होगा। दरअसल राज्यसभा के लिए 15 फरवरी से नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी, जबकि जरूरत पड़ने पर 27 फरवरी को मतदान होना है।
पार्टी में कई बड़े नेता है दावेदार
विधायकों की संख्या के हिसाब से कांग्रेस के खाते में एक सीट आना तय है। इस सीट के लिए पार्टी में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति बनी हुई है। यह सीट राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल का कार्यकाल समाप्त होने की वजह से रिक्त होने जा रही है। जिस पर पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी तथा सीडब्ल्यूसी के सदस्य तथा पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल की भी दोवदारी बनी हुई है। इनमें से पटवारी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में हार का सामना कर चुके हैं, जबकि अरुण यादव के पास अभी कोई भी प्रभावी पद नहीं है। वे प्रदेश में पार्टी की राजनीति में लंबे समय से उपेक्षित चल रहे हैं। वे पिछड़ा वर्ग का कांग्रेस में बड़ा चेहरा माने जाते हैं और उनका प्रभाव मालवा निमाड़ में अन्य नेताओं की तुलना में अधिक है। लगभग यही हाल कमलेश्वर पटेल का भी है। वे भी विधानसभा चुनाव हार चुके हैं, जबकि पार्टी उन्हें विंध्य इलाके में पार्टी का बड़ा चेहरा बनाना चाहती है। माना जा रहा है कि अगर पार्टी पिछड़ा वर्ग का दांव चलती है, तो तीनों दावेदारों में से किसी एक पर दांव लगा सकती है। इस बीच अचानक से पूर्व सीएम कमलनाथ का नाम चर्चा में आने के बाद से इन तीनों
ही नेताओं की दावेदारी खटाई में पड़ती दिख रही है।