
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ प्रदेश में आगामी एक लोकसभा और तीन विधानसभाओं के उपचुनाव के लिए चक्रव्यूह तैयार करने में जुट गए हैं। नाथ की रणनीति से सत्तारूढ़ भाजपा भी किंकर्तव्यविमूढ़ दिख रही है। दरअसल नाथ ने दमोह की तर्ज पर जहां कांग्रेस संगठन में कसावट लाते हुए हर सीट पर पूर्व मंत्रियों और दस विधायकों को जिम्मेदारी दिए जाने का ऐलान किया है। वहीं जनता की सरकार के प्रति नाराजगी को भुनाने की रणनीति तैयार की गई है। यही वजह है कि कांग्रेस की सक्रियता से प्रदेश की सियासत गरमा गई है।
उपचुनाव वाली चारों सीटों में से तो भाजपा की सीटें जबकि कांग्रेस कम से कम तीन सीट जीतकर लोहा मनवाना चाहती है। कांग्रेस को लगता है कि कोरोना काल और महंगाई के मुद्दे पर जनता सरकार के खिलाफ है। लोगों की नाराजगी को वोट में बदलने प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ उपचुनावों चक्रव्यूह तैयार कर रहे हैं। इसमें हर सीट पर कम से कम दस विधायकों की टीम तैनात की जाएगी।
उपचुनाव की यह है वजह
खंडवा लोकसभा सीट भाजपा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन से रिक्त हुई है। कांग्रेस की ओर से अरुण यादव यहां से टिकट के प्रबल दावेदार हैं। वहीं पृथ्वीपुर विधानसभा सीट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बृजेंद्र सिंह राठौर के निधन से रिक्त हुई है। राठौर लगातार यहां से विधायक रहे हैं। कोरोना से उनका निधन हो गया। अब कांग्रेस उनके पुत्र को टिकट दे सकती है। जोबट विधानसभा सीट कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया के निधन के कारण रिक्त हुई है। कांग्रेस की ओर से सुलोचना रावत, मुकेश पटेल, विक्रांत भूरिया में से किसी एक पर पार्टी विचार कर सकती है। इसी तरह रैगांव विधानसभा सीट भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी के कोरोना से निधन होने के कारण रिक्त हुई है।
कमलनाथ के हाथों में होगी कमान: उल्लेखनीय है कि कमलनाथ पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि कांग्रेस प्रदेश में आगामी उपचुनावों को भी दमोह के उपचुनाव की तर्ज पर लड़ेगी। जिस तरह कांग्रेस ने दमोह में भाजपा को करारी शिकस्त दी। उससे पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ गया है। इन चुनावों की कमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के हाथों में ही रहेगी। कमलनाथ के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा जाएगा। वही बड़े स्टार प्रचारक होंगे। हालांकि अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी इन चुनावों में जिम्मेदारी दी जाएगी। खास बात है कि हर सीट पर चार पूर्व मंत्रियों की भी ड्यूटी लगाई जाएगी। सूत्रों की माने तो उपचुनाव के नतीजे लिटमस टेस्ट होंगे। इन उपचुनावों के नतीजे ही बताएंगे कि कांग्रेस को 2023 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों में कितनी मेहनत की और जरूरत है।
यही वजह है कि कांग्रेस चारों सीटों पर अलग घोषणा पत्र तैयार कर रही है। जिले की तासीर और जरूरतों के आधार पर यह घोषणा पत्र तैयार किया जाएगा। टीम सर्वे कर रही है। कमलनाथ सरकार के 15 माह के कामकाज को भी प्रमुखता से जनता के सामने रखा जाएगा।
नाथ ले रहे मोर्चा, प्रकोष्ठ और विभागों के अध्यक्षों की बैठकें
उल्लेखनीय है कि पीसीसी चीफ कमलनाथ को प्रदेश के लगभग एक दर्जन मोर्चा संगठनों के जमीनी स्तर पर काम नहीं करने की शिकायत मिली थी। यही वजह है कि इस रिपोर्ट के आधार पर नाथ मोर्चा, प्रकोष्ठ और विभागों के अध्यक्षों के अलावा चुनिंदा पदाधिकारियों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं। इन बैठकों में वे हर जिले में अपनी-अपनी टीम को सक्रिय करने के लिए निर्देश दे रहे हैं। बैठक में पता चला है कि प्रदेश स्तर के कुछ पदाधिकारियों को छोड़कर अधिकांश सक्रिय नहीं है। वही जिलों में भी यही स्थिति बनी हुई है। कई जिले तो ऐसे निकले जहां पर कुछ मोर्चा, प्रकोष्ठ और विभागों की गतिविधियां कई सालों से नहीं हुई है। कुछ जिलों में कुछ प्रकोष्ठ ही सक्रिय हैं, जबकि बाकी के निष्क्रिय बने हुए हैं।
मोर्चा-प्रकोष्ठों में कर सकते हैं भारी फेरबदल
कमलनाथ खुद विभागों के प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक लेकर हकीकत जान रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि यदि जल्द ही मोर्चा, प्रकोष्ठ और विभागों के अध्यक्षों ने अपनी टीम को जिलों में सक्रिय नहीं किया तो इसमें भारी फेरबदल भी होगा। कमलनाथ ने मोर्चा, प्रकोष्ठ और विभागों को सक्रिय करने के लिए प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों को समन्वयक की जिम्मेदारी सौंपी हैं।