कमल बाबू खाद संकट दूर करो, अन्नदाता सड़क पर हैं

कमल बाबू

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ सरकार किसानों की आय वृद्वि के लिए कदम उठाने का दावा करती है तो दूसरी तरफ उन्हें डीएवी खाद तक नहीं उपलब्ध करा पा रही है। इसकी वजह से   इन दिनों किसानों को दोहरी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। पहली मुसीबत जहां बिजली संकट के रुप में पहले से ही बना हुआ था, इसके बाद अब दूसरा संकट उनके सामने अब डीएपी खाद का संकट अब अभेद किले के रुप में खड़ा हुआ है। खाद संकट की वजह से किसान अब रबी फसल की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह से ही अब आक्रोशित किसानों ने अब सड़कों पर उतरना शुरू कर दिया है।
हालत यह है कि हर रोज प्रदेश में कहीं न कहीं से डीएपी नहीं मिलने से खफा किसानों द्वारा प्रदर्शन की खबरें मिल रही हैं। ऐसे में अब किसानों के साथ ही आम आदमी भी कृषि मंत्री कमल पटेल से खाद संकट दूर करने के लिए आग्रह की स्थिति में आ गया है। खाद के अभाव में किसानों द्वारा मटर, चना, मसूर, सरसों की बुवाई नहीं की जा पा रही है। हालत यह है कि डीएपी के लिए किसानों को सहकारी समितियों से लेकर प्रायवेट विक्रेताओं तक के पास भटकना पड़ रहा है इसके बाद भी उन्हें खाद नहीं मिल पा रहा है। हालात इतने भंयकर हो गए हैं कि किसान अब तो अधिक कीमत तक देने के लिए तैयार हैं, लेकिन फिर भी उन्हें खाद नही मिल पा रहा है। किसानों का कहना है कि जरूरत के समय डीएपी (डाय अमोनिया फास्फेट) नहीं मिलने से वे तो पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे। उधर कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि डिमांड के अनुसार सप्लाई नहीं मिलने से प्रदेश में खाद का संकट खड़ा हुआ है। वे जल्द ही इस संकट को दूर करने का भरोसा दे रहे हैं।  
कंपनियों के दामों में की वृद्धि
सूत्रों की माने तो डीएपी खाद की कमी के चलते सरकार द्वारा उसके विकल्प के रुप में एनपीके को प्रमोट किया जा रहा है। इसके बाद भी सरकार ने इफको को छोड़कर अन्य कंपनियों के एनपीके के दामों में वृद्धि कर दी है। इसके बाद भी एनपीके की मांग के अनुरूप सप्लाई नहीं की जा रही है। फिलहाल एनपीके 12.32.16 की इफको की बोरी 1185 रुपए की और कृभको व एनएफएल कंपनी की बोरी 1700 रुपए की है। एनपीके 10.26.26 की इफको की बोरी 1175 रुपए की और कोरोमंडल की बोरी 1475 रुपए की है। अमोनिया फास्फेट सल्फेट 20.20.0 की इफको की बोरी 1150 रुपए और आईपीएल, पीपीएल व कोरोमंडल की बोरी 1225 रुपए की है। अब डीएपी तो मिल ही नहीं रहा है, ऐसे में अगर थोड़ा बहुत एनपीके मिल भी रहा है तो उसके दाम किसानों को अधिक चुकाने पड़ रहे हैं।  
तय की उर्वरक की मात्रा
सरकार ने किसानों की जमीन के हिसाब से उनके लिए उर्वरक की मात्रा तय कर रखी है। इसकी वजह से किसानों को एक एकड़ पर अधिकतम दो बोरी यूरिया और एक बोरी डीएपी ही मिल रहा है। इससे अनाज का उत्पादन करने वाले किसानों का तो काम चल जाएगा, लेकिन सब्जी की खेती करने वाले किसानों की परेशानी बढ़ गई है। एक किसान का कहना है कि वैसे भी खरीफ की फसल खराब होने से किसान संकट में चल रहे हैं एसे में समय पर डीएपी नहीं मिलने से किसान पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे। सरकार को जल्द खाद की पर्याप्त सप्लाई करना चाहिए और सब्जी उत्पादक किसानों को अतिरिक्त खाद देनी चाहिए।
इस वजह से बड़ा खाद संकट
केंद्र से सितंबर में 2 लाख मीट्रिक टन डीएपी की मांग की गई थी , लेकिन मिला सिर्फ 80 हजार मीट्रिक टन। अक्टूबर के लिए 4 लाख मीट्रिक टन डीएपी मांगा, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं मिला है। इसी तरह से कर्ज माफी के चक्कर में किसानों द्वारा कर्ज नहीं चुकाया गया जिसकी वजह से ग्वालियर, अशोकनगर, पन्ना और शिवपुरी जिला सहकारी बैंकों की माली हालत खराब हो गई है। इसी तरह से किसान कर्जमाफी योजना का लाभ नहीं मिलने से प्रदेश में लगभग 6 लाख किसान डिफाल्टर हो गए हैं।

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