जोबट…मोहे दमोह ना बना दीजो

जोबट
  • विरोध के बाद भी दमोह में भाजपा ने कांग्रेस नेता को दलबदल कराकर थमाया था टिकट

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम।
    दमोह उपचुनाव का इतिहास एक बार फिर प्रदेश में दोहराए जाने की आशंका बन गई है। इसकी वजह है जोबट विधानसभा सीट पर भाजपा द्वारा कांग्रेस की ओर से टिकट की दावेदार मानी जा रही पूर्व मंत्री और तीन बार की विधायक सुलोचना रावत और उनके पुत्र विशाल को दलबदल कराकर भाजपा में शामिल कराना। इससे यह तो तय हो गया है कि अब सीट पर भाजपा प्रत्याशी विशाल रावत होंगे जो सुलोचना के पुत्र हैं। अगर ऐसा होता है तो एक बार फिर प्रदेश में एक साल के अंदर ही दमोह उपुचनाव के परिणाम सामने आ सकते हैं। दरअसल अचानक रातोंरात रावत परिवार के इन दोनों ही सदस्यों को भोपाल लाकर पार्टी की सदस्यता सीएम हाउस में दिलाई गई है।
    दरअसल यह वो सीट है, जहां पर भाजपा को एक बेहद मजबूत प्रत्याशी की तलाश बनी हुई थी। इसकी वजह है बीता विधानसभा चुनाव, उस समय कांग्रेस ने भाजपा प्रत्याशी को हरा दिया था। यही वजह है कि भाजपा इस बार हर हाल में इस सीट पर अपनी जीत चाहती है। 2013 में इस सीट पर भाजपा को जीत मिली थी। इस सीट पर कांग्रेस विधायक  कलावती भूरिया के निधन की वजह से उपचुनाव हो रहा है। यह सीट भूरिया परिवार के प्रभाव वाली मानी जाती है। भाजपा के आला नेताओं ने दमोह की ही तरह इस सीट पर भी लगभग कांग्रेस से आयतित नेता को औचक रुप से चुनाव में उतारने का फैसला कर लिया है।
    दमोह में भी पार्टी ने इसी तरह से कार्यकर्ताओं व स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर फैसला किया था, जिसकी वजह से पूरी ताकत लगाने के बाद भी भाजपा प्रत्याशी को अपने ही गढ़ में रिकार्ड मतों से हार का सामना करना पड़ा था। इंदौर संभाग के आलीराजपुर जिले की जोबट विधानसभा सीट रिक्त होने के बाद से ही कांग्रेस और भाजपा के दावेदार अपने-अपने स्तर पर चुनावी तैयारी में  लगे हुए हैं। अब नामाकंन जमा करने के लिए महज छह दिन का समय रह गया है। इसकी वजह से अब प्रत्याशियों के चयन को लेकर कवायद तेज हो गई है। इस सीट पर भाजपा के भाजपा में सबसे अधिक दावेदार हैं, लेकिन पार्टी को उनकी जीत पर संदेह बना हुआ है, जिसके बाद भाजपा के रणनीतिकारों ने कांग्रेस से टिकट की दावेदार सुलोचना रावत को अपने पाले में लाकर चुनाव में उतारने का खेल शुरू कर दिया है। खास बात यह है कि भाजपा में मुकामसिंह डावर, माधवसिंह डावर, नागरसिंह चौहान, अनीता चौहान, दीपक चौहान और कलरसिंह कलेश जैसे नेता होने के बाद भी भाजपा को कांग्रेस में टिकट की दावेदार सुलोचना रावत और उनके पुत्र को आयात करना पड़ा है।
    अचानक कांगे्रेस नेत्री और उनके बेटे के देर रात भाजपा में शामिल होने के बाद से भाजपा के इस सीट से दावेदारी करने वाले सभी नेता हतप्रभ हैं। माना जा रहा है कि पार्टी के इस अचानक लिए गए संगठन के निर्णय के बाद दावेदारों के बीच असंतोष पनपने लगा है। उल्लेखनीय है कि इसी तरह का प्रयोग भाजपा द्वारा दमोह उपचुनाव में किया गया था। जब पार्टी की जीत के लिए संगठन ने पूरी ताकत लगा दी थी, इसके बाद भी पार्टी की करीब 20 हजार मातों से हार हो गई थी। दरअसल पार्टी के इस तरह के निर्णयों से भाजपा के मूल कार्यकर्ताओं व नेताओं में जमकर नाराजगी बनी हुई थी। अब यही हालात जोबट में बनते दिख रहे हैं।  
    कांग्रेस से तीन बार विधायक रह चुकी सुलोचना
    प्रदेश में इस बार भी उपचुनाव के लिए दलबदल का खेल शुरू हो गया है। चारों सीटों पर 30 अक्टूबर को मतदान होना है। हद तो यह है कि तीन बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक रह चुकी सुलोचना रावत ने देर रात अचानकर पाला बदल लिया है। वे एक बार कांगे्रेस सरकार में उस समय मंत्री भी रह चुकी हैं , जब प्रदेश में दिग्विजय सिंह सरकार थी। सुलोचना रावत व उनके बेटे विशाल रावत द्वारा भाजपा में जाने के बाद अब इस सीट पर कांग्रेस की ओर से महेश पटेल का प्रत्याशी बनना तय हो गया है।
    कन्हैया कुमार करेंगे प्रचार
    प्रदेश में चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशियों का प्रचार करने के लिए कन्हैया कुमार को भी बुलाना तय कर लिया है। कांग्रेस उन्हें युवा के साथ अच्छा वक्ता होने की वजह से बुलाने जा रही है। पार्टी का मानना है कि कन्हैया कुमार के प्रचार से युवाओं का समर्थन मिल सकता है। उधर कांग्रेस से खंडवा लोकसभा सीट के प्रमुख दावेदार पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने ने भी कन्हैया कुमार की तारीफ करते हुए कहा है कि वे उन्हें प्रचार के लिए खंडवा लाएंगे।
    कांग्रेस लगा सकती है जयस पर दांव
    माना जा रहा है कि कांग्रेस भाजपा को पटकनी देने के लिए जोबट सीट जयस को दे सकती है। इसके लिए गंभीरता से विचार किया जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो जयस का फायदा कांग्रेस को खंडवा में मिलना तय हो जाएगा, साथ ही जोबट सीट पर भी कांग्रेस की जीत की पूरी संभावना बन जाएगी।

Related Articles