प्रदेश में शिक्षक बनाने के बाद छीनी जा रही हैं नौकरियां

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-स्कूली शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही पड़ रही है बेरोजगारों पर भारी

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
इसे सरकार की लापरवाही कहें या नकारापन की प्रदेश में बेराजगारों के साथ सरकारी अमला ऐसा कारनामा करने में लगा रहता है जिससे की वे सरकारी नौकरी में आने की जगह बेराजगार ही बने रहे। दरअसल सरकार ऐसे लापरवाह और नकारा साबित होने वाले अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं करता है जिसकी वजह से प्रदेश के युवाओं को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है।
अब इसी तरह का नया मामला स्कूली शिक्षा विभाग का सामने आया है। उनके एक कारनामे की वजह से सैकड़ों की संख्या में ऐसे युवा जिन्हें बतौर शिक्षक नियुक्ति मिल चुकी थी अब उन्हें नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। इन बेरोजगार युवाओं की निुयक्ति विभाग की पात्रता परीक्षा में पात्र होने के बाद ही की गई थी। पहले तो इनको नियुक्ति देकर ज्वाइनिंग करवा दी गई और बाद में उन्हें नियमों का हवाला देकर उनके नियुक्ति आदेश ही निरस्त करना शुरू कर दिए गए। हालात यह हैं कि अब तक इस तरह के मामलों में लापरवाह रहने वाले किसी भी अफसर पर कोई कार्यवाही तक नहीं की गई है। यह नियुक्तियां इस लिए निरस्त की जा रही हैं कि उनके द्वारा एक साल में दो-दो डिग्रियां हासिल की गई हैं। खास बात यह है कि आवेदन के लिए जो शर्तें तय की गई थीं उनमें इस शर्त का कहीं कोई हवाला तक नही दिया गया था। खास बात यह है कि यह नियुक्तियां भी पात्रता परीक्षा के तीन साल बाद करना शुरू की गई हैं।
उल्लेखनीय है कि स्कूल शिक्षा विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग ने करीब 3 साल पहले 30,554 पदों के लिए व्यापमं के माध्यम से पात्रता परीक्षा ली थी। जिसमे से लगभग 20 हजार पद स्कूल शिक्षा विभाग के स्कूलों के लिए थे। दो माह पहले करीब 12 हजार शिक्षकों की नियुक्ति के लिए सूची जारी की गई थी। इसी सूची के आधार पर पात्रों को नियुक्ति देकर ज्वाइनिंग भी दी गई , लेकिन अब उनमें से डबल डिग्री वाले अभ्यार्थियों के नियुक्ति आदेश निरस्त किए जा रहे हैं।

विज्ञापन में नहीं था कोई उल्लेख
खास बात यह है कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति के जारी विज्ञापन में डबल डिग्री वालों को लेकर कोई उल्लेख तक नहीं किया गया था। इसके बाद भी डबल डिग्री वालों को अपात्र घोषित किया जा रहा है।  इसके पहले हुई नियुक्तियों में डबल डिग्री वालों को पात्र माना गया था। यह बात अलग है कि इसी साल 8 अप्रैल को विभाग ने नियुक्ति के संबंध में जो दिशा निर्देश दिए थे उनमें कहा गया था कि डबल डिग्री वाले अभ्यार्थियों को मान्य नहीं किया जाएगा। इसके बाद भी कई जिलों अफसरों ने मनमानी करते हुए ऐसे अभ्यर्थियों की डिग्री को मान्य कर दिया। इसकी वजह से उनके नियुक्ति पत्र जारी कर उन्हें ज्वाइनिंग तक दे दी गई। अब ज्वाइनिंग देने के बाद इसका खुलासा होने लगा तो उनकी नियुक्तियां निरस्त की जा रही हैं।

क्या है पूरा मामला
दरअसल डबल डिग्री वाले वे अभ्यर्थी हैं , जिनके द्वारा एक ही साल में नियमित रूप से पीजी किया गया और उसी साल पत्राचार से बीएड की डिग्री ली गई है। या यों कह सकते हैं कि एक ही सत्र में बीएड नियमित किया और पीजी पत्राचार से किया है। इसकी वजह से एक ही सत्र में दो डिग्री लेने वालों को स्कूल शिक्षा विभाग ने अमान्य घोषित किया है। विभाग का कहना है कि यूजीसी के नियमों के अनुसार एक ही सत्र में की डबल डिग्री मान्य नहीं की जाती है, जिसकी वजह से इन अभ्यर्थियों की अब नियुक्ति निरस्त की जा रही है। खास बात यह है कि नियुक्ति प्रक्रिया में डबल डिग्री को मान्य नहीं किए जाने को लेकर यूजीसी ने स्पष्ट रूप से निर्देश जारी नहीं किए है। यही वजह है कि कई राज्यों में डबल डिग्री को मान्य किया जा रहा है। इसमें राजस्थान भी शामिल है। उल्लेखनीय है कि मप्र में भी 2012 में शिक्षकों की भर्ती के समय डबल डिग्री को मान्य किया गया था। उधर इस मामले में डबल डिग्री वाले अभ्यार्थियों का कहना है कि भर्ती विज्ञापन में डबल डिग्री को लेकर कोई निर्देश नहीं थे, लिहाजा अब वे इस मामले में जल्द ही न्यायालय की शरण लेगें।

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