भेल दशहरा मैदान पर होगा जाट महाकुंभ

जाट महाकुंभ
  • पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक  भी आएंगे

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी भोपाल में कल यानी कि 14 मई को जाट महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। इस कार्यक्रम में जाट समाज के देशभर के बड़े नेताओं को बुलाया गया है। जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ ही केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान, कैलाश चौधरी, आरएलपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल, अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह जाट, आरक्षण संघर्ष समिति के यशपाल मलिक, आईएनएलडी के अध्यक्ष अभय चौटाला, राजस्थान के पूर्व मंत्री रामनारायण डूडी, पूर्व सांसद बद्री लाल जाखड़, मध्यप्रदेश के सांसद राव उदय प्रताप सिंह, राष्ट्रीय निशाने बाज खिलाड़ी मनु भाकर, मुक्केबाजी में गोल्ड मेडलिस्ट अमित पंघाल सहित समाज के राष्ट्रीय एवं विभिन्न प्रदेशों की समाज की हस्तियां उपस्थित रहेंगी।
शिवराज, कमलनाथ को भी बुलावा: भोपाल के भेल दशहरा मैदान पर होने वाले इस कार्यक्रम में मप्र के सीएम शिवराज सिंह चौहान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और कृषि मंत्री कमल पटेल को भी आमंत्रित किया गया है। जाट समाज के प्रवक्ता लक्ष्मण चौधरी ने बताया कि इस महाकुंभ में 14 सूत्रीय मांग पत्र समाज की ओर से केंद्र और राज्य सरकारों के साथ प्रमुख राजनीतिक दलों के सामने रखा जाएगा। ताकि सभी फोरम पर समाज के लोग अपना स्थान बना सकें। मध्यप्रदेश में जाट समाज के वीर सपूतों के साथ जाट समाज के महापुरुषों की यादों और उनके स्थानों को संरक्षित करने की मांग सहित जाट समाज अपने शैक्षिक, सामाजिक व सर्वांगीण विकास हेतु वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड के गठन के साथ महानगरो में भूमि आवंटन सहित मांगे सरकार के सामने रखी जाएंगी।
जाट समाज की ये हैं मुख्य मांगें
मध्यप्रदेश राज्य वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड का गठन किया जाए। तेजाजी महाराज के निर्वाण दिवस तेजा दशमी पर 1 दिन का प्रदेश में शासकीय अवकाश घोषित किया जावे। केंद्र की भर्ती परीक्षाओं में जाट समाज को ओबीसी में शामिल किया जाए। ओबीसी आरक्षण की बहाली की जावे 27 फीसदी आरक्षण लागू किया जावे। जाट समाज के शैक्षणिक भवन के लिए भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में भूमि आवंटित की जावे। चुनाव के समय टिकट वितरण में जाट समाज के उम्मीदवारों को भाजपा से 10 टिकट दिए जावे। ग्वालियर में स्थित महाराजा भीमसिंह राणा की छतरी एवं भीमताल को यथा स्थान पर संरक्षित किया जाए एवं ओंकारेश्वर में स्थित जाट धर्मशाला को भी यथास्थान पर रखा जाए। हमारे समाज के महापुरुषों के इतिहास के साथ जो छेड़छाड़ की जा रही है उसे बंद किया जावे और इतिहासकारों की टीम बनाकर उसे सुधारा जावे।

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