नेताओं व अफसरों के तालमेल से जजा गौरव समारोह बना ऐतिहासिक

गौरव समारोह

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। अमर शहीद बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित जनजातीय गौरव दिवस समारोह आदिवासियों के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। इस आयोजन के दौरान देश के दिल मप्र में नमो-शिव के बीच अद्भुत और अकल्पनीय जुगलबंदी देखने को मिली। वहीं पहले जनजातीय गौरव दिवस की भव्यता और कार्यक्रम की सुंदरता देशी-विदेशी मीडिया में भी चर्चा का विषय बनी हुई है। राजधानी में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस समारोह की सफलता में सत्ता, संगठन और अफसरों के तालमेल ने जनजातीय गौरव दिवस समारोह को ऐतिहासिक बना दिया। आज इस समारोह की सफलता की चर्चा देशभर में हो रही है। किस तरह भाजपा नेताओं ने लाखों की भीड़ जुटाने में सफलता पाई और अफसरों ने लाखों की भीड़ के साथ ही प्रधानमंत्री और अन्य वीवीआईपी की यात्रा को मैनेज किया, इसकी भी प्रशंसा हो रही है।  गौरतलब है कि देश में पहली बार अमर शहीद बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस आयोजित किया गया था। इस आयोजन पर देश-विदेश की भी नजर थी। इसलिए इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सत्ता, भाजपा संगठन और राजधानी भोपाल के अफसरों के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी थी। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और डीजीपी विवेक जौहरी के दिशा-निर्देशन में सत्ता-संगठन और अफसरों ने समन्वय बनाकर काम किया जिससे इस आयोजन की सफलता देशभर में चर्चा का विषय बनी।
शिवराज सिंह चौहान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस आयोजन के लिए सरकार व संगठन में समन्वय का काम संभालने के साथ ही लगातार सरकार स्तर पर वे तमाम निर्णय लिए जो बेहद आवश्यक थे। खास बात यह रही की इस आयोजन को लेकर वे दिन में कई बार खुद अलग-अलग स्तर पर फीडबैक लेकर कमियों को दूर कराने में लगे रहे। यही नहीं इस पूरे आयोजन में वे सूबे के मुखिया कम बल्कि एक कार्यकर्ता की  भूमिका में अधिक देखे गए। यही वजह रही कि फिर आदिवासियों की आगवानी करनी हो या फिर माइक की टेस्टिंग सभी जगह वे सामान्य कार्यकर्ता ही नजर आते रहे।
सत्ता और संगठन का समन्वय
अनुमान है कि जनजातीय गौरव दिवस समारोह में 2 लाख से अधिक लोग प्रदेश के कोने-कोने से आए थे। ठंडी के इस मौसम में इन लोगों को भोपाल तक लाने और ले जाने की जिम्मेदारी संगठन ने संभाली थी। जिसमें सत्ता और संगठन का समन्वय दिखा। इस समन्वय में कई नेताओं की अहम भूमिका थी।
वीडी शर्मा
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने आयोजन को सफल बनाने के लिए रात-दिन काम किया। उन्होंने राजधानी भोपाल से लेकर प्रदेश के कोने-कोने में कार्यकर्ताओं से निरंतर संवाद किया और जनजातीय समाज के लोगों को भोपाल लाने की व्यवस्था की। किसी भी व्यक्ति को परेशानी न हो इसके लिए पार्टी ने हर एक कार्यकर्ता को जिम्मेदारी दी। खुद वीडी भाजपा मुख्यालय में बैठकर पूरी तैयारियों पर नजर रखे हुए थे। इस आयोजन की सफलता ने वीडी शर्मा के प्रबंधन को दर्शाया।
भूपेन्द्र सिंह
उपचुनावों में भाजपा का चुनावी प्रबंधन संभालने वाले नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने जनजातीय गौरव दिवस समारोह की भी जिम्मेदारी संभाली थी। शासन स्तर पर किए जा रहे प्रयासों की वे निरंतर मॉनीटरिंग कर रहे थे। जिलों में भाजपा पदाधिकारियों और अफसरों के साथ समन्वय बनाकर आयोजन को सफल बनाने में उन्होंने पूरी मेहनत की। पर्दे के पीछे रहकर किसी कार्यक्रम को किस तरह सफल बनाया जा सकता है इसका सबसे बड़ा उदाहरण भूपेन्द्र सिंह है।
रामेश्वर शर्मा
पूर्व प्रोटेम स्पीकर और विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी जनजातीय गौरव दिवस समारोह को सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभाई। राजधानी में प्रदेश के दूर-दराज क्षेत्रों से आने वाले जनजातीय समाज के लोगों के स्वागत, सत्कार और उनके रहने तथा खाने की व्यवस्था की जिम्मेदारी रामेश्वर शर्मा ने बखूबी निभाई। यही नहीं उन्होंने आदिवासियों के साथ पंगत में बैठकर भोजन भी किया।
भगवानदास सबनानी
भाजपा नेता भगवानदास सबनानी ने भी संगठन की तरफ से जनजातीय गौरव दिवस समारोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्होंने प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय बनाए रखा और पल-पल का अपडेट सत्ता और संगठन तक पहुंचाते रहे। आयोजन में आने वाले आदिवासियों को रास्ते में किसी भी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए यह पूरी तरह मोर्चा संभाले रहे।
किस अफसर ने क्या निभाया दायित्व
 जनजातीय गौरव दिवस की इस सफलता में अफसरों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अफसरों की सक्रियता और कार्यक्रम की सफलता से मप्र की प्रशासनिक दक्षता की चारों तरफ चर्चा है। कार्यक्रम को सफल बनाने में कई आईएएस, आईपीएस अधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रशासनिक मुखिया के नाते मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस जहां पूरे कार्यक्रम की मॉनिटरिंग की कमान संभाल रहे थे, वहीं सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी डीजीपी विवेक जौहरी ने संभाल रखी थीं। मुख्यमंत्री ने स्वयं पूरी व्यवस्था की कमान अपने हाथों में ले ली थी, जिसके कारण कहीं भी कोई दिक्कत प्रशासन को नहीं आई और विरोध भी कहीं देखने को नहीं मिला।
डॉ. राजेश राजौरा, एसीएस होम: जनजातीय गौरव दिवस समारोह की सफलता में एसीएस होम, डॉ. राजेश राजौरा का मैनेजमेंट उभरकर सामने आया है। उन्होंने  सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही सीएम से मिलने वाले निर्देशों को सफलतापूर्वक  निर्वहन कराया। जिससे यह आयोजन बिना व्यवधान के सफल रहा।
मोहम्मद सुलेमान, एसीएस, हेल्थ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण यह आयोजन प्रशासन के लिए बड़ी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि कोरोना संक्रमण के कारण प्रधानमंत्री के आसपास रहने वालों का कोविड टेस्ट जरूरी था। इसकी जिम्मेदारी मोहम्मद सुलेमान, एसीएस, हेल्थ ने संभाली और  महत्वपूर्ण अतिथियों की आरटी पीसीआर की जांच कराई। साथ ही कार्यक्रम में आने वालों के स्वास्थ्य पर भी नजर रखी।
डॉ. पल्लवी जैन, पीएस जनजातीय कार्य: जनजातीय गौरव दिवस पर आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी जनजातीय कार्य विभाग के ऊपर सबसे अधिक थी। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए विभाग की प्रमुख सचिव डॉ. पल्लवी जैन ने जिम्मेदारी संभाल रखी थी। आदिवासियों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था से लेकर  आजीविका मिशन की प्रदर्शनी तक की जिम्मेदारी इन्होंने संभाली थीं।
डॉ. सुदाम खाड़े, आयुक्त जनसंपर्क: कार्यक्रम को जनजन तक पहुंचाने के लिए प्रचार-प्रसार जरूरी था। इसकी जिम्मेदारी जनसंपर्क विभाग के आयुक्त डॉ. सुदामा खाड़े ने संभाल रखी थीं। यही कारण है कि यह कार्यक्रम प्रदेश ही नहीं बल्कि देशी विदेशी मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है।  
आशुतोष प्रताप सिंह, संचालक, जनसंपर्क: जनसंपर्क विभाग के आयुक्त डॉ. सुदामा खाड़े के साथ ही आयोजन  प्रचार-प्रसार, कवरेज की जिम्मेदारी जनसंपर्क संचालक आशुतोष प्रताप सिंह की थी। उन्होंने सत्ता, संगठन और पुलिस अफसरों के साथ समन्वय बनाकर काम किया।
गुलशन बामरा, कमिश्नर, भोपाल: भोपाल संभाग में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम को सफल बनाने की जिम्मेदारी संभागायुक्त गुलशन बामरा पर भी थी। उन्होंने संभाग के साथ ही जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ समन्वय बनाकर काम किया और  जंबूरी मैदान की पूरी व्यवस्था संभाली।
अविनाश लवानिया, कलेक्टर: भोपाल जिला कलेक्टर होने कारण आयोजन के हर कदम पर अविनाश लवानिया की जिम्मेदारी थी।  कार्यक्रम स्थल की व्यवस्था, अलग- अलग मंच, पुलिस के साथ समन्वय बनाना उनके चुनौतीपूर्ण था। लेकिन उन्होंने समन्वय बनाकर काम किया और  आयोजन को सफल बनाया।

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