
- नरोत्तम-अजय सिंह की तीन मुलाकातों के मायने
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। पिछले एक माह में गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह उर्फ राहुल भैया के बीच तीन बार मुलाकात हो चुकी है। हर बार इन मुलाकातों के मायने निकाले जाते हैं और ये नेता मुलाकात को सौजन्य बताकर कयासों पर विराम लगा देते हैं।
तीसरी बार दोनों नेताओं की मुलाकात खंडवा संसदीय क्षेत्र सहित पृथ्वीपुर, जोबट और रैगांव विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव की सरगर्मी के बीच हुई है। डॉ. मिश्रा के आवास पर दोनों के बीच करीब 20 मिनट बंद कमरे में चर्चा हुई। इस मुलाकात के बाद एक बार फिर सियासी अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस की कमान जब से कमलनाथ के हाथ में आई है राहुल भैया हाशिए पर हैं। पार्टी के कार्यक्रमों में भी उनकी पूछ परख कम हो रही है। यही नहीं उनके विरोधियों को महत्व दिया जा रहा है। ऐसे में पूर्व नेता प्रतिपक्ष की छटपटाहट राजनीतिक वीथिकाओं में महसूस की जा रही है। मप्र कांग्रेस की राजनीति के जानकारों का कहना है कि भाजपा नेताओं के साथ अजय सिंह की मेल-मुलाकात की एक वजह यह भी हो सकती है कि वे पार्टी को अहसास दिला रहे हैं कि अगर उन्हें महत्व नहीं दिया गया तो वे कोई और कदम उठा सकते हैं।
अटकलों के बाजार में कई तरह के कयास: राजनीति में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं की एकांत में होने वाली मुलाकातें हमेशा अटकलों को जन्म देती हैं। इसलिए अजय सिंह जब भी किसी भाजपा नेता से मिलते हैं या भाजपा नेता उनसे मिलते हैं तो कयासों का दौर शुरू हो जाता है।
बुधवार को गृह मंत्री के बंगले पर हुई इस मुलाकात को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इन मुलाकातों से दोनों नेता (नरोत्तम-अजय सिंह) अपनी-अपनी पार्टी में अपनी पूछ परख और महत्व को बढ़ाना चाहते हैं। इसलिए एक माह में तीन बार मुलाकात कर चुके हैं। क्योंकि दोनों नेता स्वाभिमानी प्रवृत्ति के हैं। दोनों अपनी पार्टी में कद्दावर हैसियत रखते हैं।
भाजपा को अजय सिंह से इतनी सहानुभूति क्यों?
प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में भाजपा नेताओं और अजय सिंह के बीच लगातार हो रही मुलाकात चर्चा का विषय बनी हुई है। सवाल पूछा जा रहा है कि भाजपा को आखिरकार अजय सिंह से इतनी सहानुभूति क्यों है? गौरतलब है कि गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के आवास पर कांग्रेस के नेताओं का आना-जाना पिछले कुछ समय से लगातार जारी है। पिछले माह अजय सिंह उनके आवास पहुंचे थे और दोनों के बीच आधा घंटे चर्चा हुई थी। हालांकि दोनों ने बाद में उसे सौजन्य भेंट करार दिया था। कुछ समय बाद डॉ. मिश्रा और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय अजय सिंह के जन्मदिन पर उनके आवास पहुंचे थे और उन्होंने शुभकामनाएं दी थी। उसके बाद उनके भाजपा में जाने को लेकर अटकलें लगाई जाने लगी थी। दरअसल, वह पार्टी में काफी समय से उपेक्षित चल रहे हैं। पार्टी ने जब पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को रीवा जिले का प्रभारी बनाया था, तब उन्होंने विरोध दर्ज कराया था। हालांकि, उन्होंने बाद में बयान जारी कर स्पष्ट किया किया था सौजन्यवश डॉ. मिश्रा के आवास पर उनसे मुलाकात करने के लिए गए थे। इसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। मैं कांग्रेस में हूं और रहूंगा। बुधवार को मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने कोई टिप्पणी नहीं की है।
कांग्रेस के असंतोष की आग में घी
कांग्रेस में असंतोष चरम पर है। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा कांग्रेस के असंतोष की आग में घी डाल रही है। यही कारण है कि खंडवा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने से इन्कार करने वाले पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को भाजपा में आने का आफर दिया गया है। उपचुनाव का प्रबंधन संभाल रहे नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने यादव की जगह कांग्रेस द्वारा राजनारायण सिंह पूरनी को प्रत्याशी बनाए जाने पर कहा था कि उनके साथ अन्याय हुआ है। कांग्रेस के लिए वे लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। उन्हें अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में विचार करना चाहिए। भाजपा में उनका स्वागत है। हालांकि, यादव ने साफ किया है कि वे कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ता हैं। पार्टी ने उन्हें बहुत कुछ दिया है। उनके भविष्य का निर्णय भी पार्टी का आलाकमान करेगा।