एमएसएमई में सब्सिड़ी में करोड़ों की अनियमितता

एमएसएमई में सब्सिड़ी
  • कैग की रिपोर्ट में सामने आई गड़बड़ी

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा  पटल पर जो ्ररिपोर्ट रखी गई है उसमें बड़े स्तर पर अनियमितता सामने आई हैं। ऐसी ही एक बड़ी गड़बड़ी मध्य प्रदेश सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम विभाग (एमएसएमई)में सामने आया है। एमएसएमई में 19.11 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ में आई है। मामला वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2021-22 की अवधि का है। एमएसएमई प्रोत्साहन योजनाओं के तहत 173 प्रकरणों में 19.11 करोड़ की राशि की पूंजीगत सब्सिडी को अनियमित रूप से जारी किया गया। कैग की रिपोर्ट में इसी तरह वर्ष 2010, 2014, 2017; 2019 और 2021 से संबंधित एमएसएमई प्रोत्साहन योजनाओं में प्लांट और मशीनरी (पी एंड एम), भवन आदि जैसे पूंजीगत बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए उद्योगों को पूंजी सब्सिडी देने के लिए विशिष्ट शर्तें रखी गईं। 20 जिला व्यापार और उद्योग केंद्रों (डीटीआइसी) से संबंधित 148 मामलों में विभिन्न योजना दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए 14.37 करोड़ की पूंजी सब्सिडी अनियमित रूप से स्वीकृत की गई, जिसके परिणामस्वरूप उस सीमा तक अनधिकृत व्यय हुआ।
    रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी मानदंडों के उल्लंघन के कारण सब्सिडी का अधिक भुगतान हुआ है। डीटीआईसी से संबंधित 16 मामलों में औद्योगिक इकाइयों ने पी एंड एम की खरीद के लिए सब्सिडी का दावा करते समय, पी एंड एम लागत में जीएसटी घटक को गलत तरीके से शामिल किया। इनमें बुरहानपुर का एक, छिंदवाड़ा के तीन, देवास एक, ग्वालियर एक इंदौर दो, मंडीदीप एक और उज्जैन के सात इस तरह 16 प्रकरणों में डीटीआईसी सब्सिडी के दावों की सत्यता की जांच करने में विफल रहे और पी एंड एम खरीद लागत में जीएसटी को शामिल करने की अनुमति दी। इससे 1.54 करोड़ की पूंजी सब्सिडी की अधिक रिलीज भुगतान हुआ। इन प्रकरणों में शासन ने बताया कि जीएसटी राशि की पात्रता इकाई द्वारा दाखिल आयकर रिटर्न के आधार पर तय की जाएगी। इस उत्तर को कैग ने स्वीकार्य नहीं किया क्योंकि इकाइयों द्वारा भुगतान किए गए जीएसटी का विवरण पहले से ही डीटीआइसी के पास उपलब्ध था। जिससे वे सब्सिडी की अनुमति देते समय जांचने में विफल रहे।
    बिना सत्यापन अपात्र उद्योगों को जारी की सब्सिडी
    खरगोन के एक और मंडला के तीन मामलों में डीटीआईसी ने बिना सत्यापन के अपात्र उद्योगों को 1.56 करोड़ की अनियमित सब्सिडी जारी की, जबकि वे सब्सिडी प्राप्त करने के पात्र नहीं थे। उन्होंने एमएसएमई योजनाओं के तहत दिशा-निर्देशों के प्रविधानों का उल्लंघन किया था। अन्य चार मामलों में उद्योगों से 97 लाख की सब्सिडी की वसूली नहीं की, जो एमएसएमई योजना के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन था। डीटीआइसी ने तीन बंद उद्योगों से 67 लाख की पूंजी सब्सिडी भी नहीं वसूली। शासन ने बताया कि डीटीआइसी ने वसूली की कार्रवाई की है।
     स्विमिंग पूल निर्माण में अनियमितता पर होगी कड़ी कार्रवाई
    बुरहानपुर के स्विमिंग पूल निर्माण में अनियमितता के प्रकरण पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास संकेत भोंडवे ने बुरहानपुर नगर निगम में स्विमिंग पूल निर्माण कार्य में पाई गई अनियमितताओं को गंभीरता से लिया है और बुरहानपुर नगर निगम आयुक्त से इस स्विमिंग पूल की जांच रिपोर्ट मांगी है। भोंडवे ने आयुक्त नगर निगम बुरहानपुर को निर्देशित किया है कि उक्त प्रकरण में संदिग्ध पाए गए सेवानिवृत्त उपयंत्री सगीर अहमद एवं उपयंत्री अमित गंगराड़े से जांच में पूर्ण सहयोग प्राप्त किया जाए। दोनों से यह अपेक्षा की गई है कि वे निर्धारित समयावधि में प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। भोंडवे ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि उक्त अधिकारी जांच में अपेक्षित सहयोग नहीं करते हैं, तो जांच प्रक्रिया को एकपक्षीय रूप से आगे बढ़ाया जाए। इसी क्रम में, नगर निगम बुरहानपुर में वर्तमान में पदस्थ उपयंत्री अशोक पाटिल के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश भी संबंधित अधिकारियों को दिए गए हैं। भोंडवे का कहा है कि नगरीय कार्यों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बुरहानपुर नगर निगम द्वारा बनाए गए स्विमिंग पूल का मामला विधानसभा में उठा था। विधायक अर्चना चिटनीस के सवाल के जवाब में नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने स्वीकार था किया था कि स्विमिंग पुल निर्माण में गड़बड़ी हुई है। डेढ़ करोड़ की लागत से बनाए गए स्विमिंग पुल का निर्माण जहां किया गया है वहां पानी का कोई स्रोत नहीं और न ही इस स्विमिंग पुल में पानी ठहरता है। आयुक्त भोंडवे ने नगरीय क्षेत्रों में आम जनता की सहभागिता बढ़ाने के लिए एक नवाचार की शुरुआत की है। उन्होंने उन नागरिकों से आवेदन मंगाए गए हैं जो सडक़ निर्माण, पेयजल, सीवरेज सिस्टम जैसे निर्माण कार्यों में दक्षता रखते हैं।

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