कूनो में गड़बडिय़ों की जांच शुरू, केंद्र ने मांगी रिपोर्ट

प्रधानमंत्री और एनटीसीए से की गई थी शिकायत

कूनो

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम।
कूनो नेशनल पार्क में चीतों के प्रबंधन को लेकर गंभीर अनियमितताओं की जांच शुरू हो गई है। केंद्र ने मध्य प्रदेश के वन विभाग से शिकायत की जांच रिपोर्ट तलब की है। वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट द्वारा इस मामले में केंद्र से शिकायत की गई थी। अब एनटीसीए ने मध्य प्रदेश के वन विभाग को पत्र लिखकर जवाब तलब किया है। इस मामले में मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक एवं प्रधान मुख्य सन संरक्षक वन्यजीव व्ही एन अम्बाड़े ने संचालक सिंह परियोजना शिवपुरी को पत्र लिखकर सात दिन में प्रतिवेदन देने को कहा है।  बता दें शिकायत के अनुसार कूनो नेशनल पार्क में चीतों को अवैध रूप से 110 बार ट्रेंकुलाइज किया गया, जिसके कारण चीता पवन की मौत होने की भी आशंका जताई गई। अब इन आरोपों के बाद केंद्र सरकार ने वन विभाग से जांच रिपोर्ट तलब की है। कूनो में चीतों को अवैधानिक रूप से 110 बार ट्रेंकुलाइज किया गया, जबकि वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 11 के तहत यह कार्य बिना अनुमति के गैरकानूनी है। कूनो के अधिकारियों द्वारा चीतों के स्वास्थ्य की उपेक्षा की गई, जिसके कारण चीते पवन की मौत हुई। अन्य मृत चीतों के मामलों में भी लापरवाही की आशंका जताई गई है। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि एनटीसीए द्वारा निर्धारित एसओपी के अनुसार मृत चीतों के पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी अनिवार्य है, लेकिन कूनो में इसका पालन नहीं किया गया। साथ ही, चीतों के शावकों में परजीवी (टिक्स) पाए गए, जो चीतों और शावकों की देखरेख पर सवाल उठाते हैं।
केंद्र ने वन विभाग से मांगी रिपोर्ट
शिकायत पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने एनटीसीए के माध्यम से मध्य प्रदेश के वन विभाग से सात दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
चीता पवन की मौत में लापरवाही का आरोप: कूनो में कुछ दिन पहले मृत पाए गए चीता पवन की मॉनिटरिंग में भी लापरवाही सामने आई है। शिकायत में दावा किया गया है कि पवन को अनावश्यक रूप से ट्रेंकुलाइज किया गया है, जो उसके लिए घातक साबित हुआ। साथ ही यह भी संभावना जताई गई है कि अन्य मृत चीतों के साथ भी ऐसी लापरवाही बरती गई हो।  
अवैध उत्खनन पर भी किया जवाब तलब
राजधानी से सटे रातापानी वन क्षेत्र में उत्खनन को लेकर वन्य प्राणी अभिरक्षक व्हीएन अंबाड़े ने डीएफओ औबेदुल्लागंज से रिपोर्ट भी तलब की है। दरअसल, रातापानी में लंबे समय से अवैध उत्खनन और पेड़ों की अवैध कटाई की शिकायतें सामने आ रही थीं। इसमें कहा गया है कि यदि कहीं किसी तरह का उत्खनन हो रहा हो तो इसकी डिटेल रिपोर्ट भेजें। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख करें कि इस तरह के मामलों से निपटने के लिए अभी तक किस तरह के कदम उठाए गए है। पूर्व में एनजीटी में भी इस तरह के मामलों की शिकायत हुई थी। रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने के 16 साल से प्रयास चल रहे हैं, लेकिन खनन माफिया और राजनीतिक दखल होने के कारण अब तक संभव नहीं हो पाया। इसको लेकर स्वयं मुख्यमंत्री डां मोहन यादव भी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। दरअसल, इस अभयारण्य में वर्ष 2022 की गणना के अनुसार कुल तीन हजार 123 वन्यप्राणी हैं। इनमें 56 बाघ, 70 तेंदुए, आठ भेड़िया, 321 चिंकारा, 1433 नीलगाय, 568 सांभर और 667 चीतल हैं।
पोस्टमार्टम प्रोटोकॉल का उल्लंघन
एनटीसीए से निर्धारित एसओपी के अनुसार मृत चीतों के पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी अनिवार्य होती है। आरोप है कि कूनों में इस प्रोटोकॉल का भी पालन नहीं किया गया। इसके अलावा चीतों के शावकों में  टिक्स (परजीवी) पाए जाने की सूचना मिली है, जो उनकी मॉनिटरिंग के दावों पर सवाल खड़े करती है। साथ ही यह भी आरोप लगाया गया है कि कूनो में बड़ी संख्या में अनावश्यक रूप से चीतों के सैंपल लिए गए, लेकिन इनकी रिपोर्ट न तो एनटीसीए को भेजी और न ही मुख्य वाइल्ड लाइफ वार्डन को। इसमें भी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया।
यह प्रस्तावित बफर क्षेत्र…
अभयारण्य का वन क्षेत्र 59.253 वर्ग किमी होगा। अभयारण्य स्थित 54.857 वर्ग किमी में राजस्व ग्राम, अभयारण्य के बाहर स्थित वन क्षेत्र (इको सेंसेटिव जोन के अनुसार अभयारण्य सीमा से दो किमी दूर तक) 272. 145 वर्ग किमी, अभयारण्य के बाहर राजस्व क्षेत्र (इको सेंसेटिव जोन के अनुसार अभयारण्य सीमा से एक किमी दूर तक 94.451 इस तरह कुल 480.706 वर्ग किलोमीटर बफर क्षेत्र होगा। यह टाइगर रिजर्व तीन जिलों मिलकर बनेगा। इसमें रायसेन के वन मंडल औबेदुल्लागंज में 257.167 वर्ग किमी, सीहोर के 216.649 वर्ग किमी और भोपाल के 6.890 वर्ग किमी इस तरह कुल 480.706 वर्ग किमी वन क्षेत्र में टाइगर रिजर्व की सीमाएं होगी।
कोर क्षेत्र में केवल तीन वन ग्राम होंगे शामिल
रातापानी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में केवल तीन वन ग्राम ही शामिल किए जाएंगे। कोर में कोई भी राजस्व ग्राम नहीं होगा। इनके पुनर्वास की प्रक्रिया चल रही है। टाइगर रिजर्व के लिए अभयारण्य की सीमा के अंदर स्थित 823.065 वर्ग किमी वन क्षेत्र को रातापानी टाइगर रिजर्व घोषित किया जाएगा।

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