
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। एमपी स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन अपने अजब-गजब मामलों की वजह से हमेशा से ही चर्चा में बना रहता है। इसके बाद भी सरकार व शासन की नजरें इस पर इनायत बनी रहती हैं। विभाग में आलम यह है कि विभाग के मंत्री तक को तबादलों में पूरी तरह से अंधेरे में रखकर दागी अफसर को भोपाल दुग्ध संघ का सीईओ बना दिया गया।
इस मामले में खास बात यह है कि जिस दागी अफसर डी व्हीके राव को भोपाल दुग्ध संघ का सीईओ बनाया गया है उनके गबन की जांच का जिम्मा भी दूसरे दागी अफसर डॉ. डीके दूरबार को दी गई है। उन पर टैंकर कांड में शामिल होने का आरोप है। अब इस मामले के तूल पकड़ने के बाद विभाग के प्रशासनिक मुखिया जेएन कंसोटिया ने साठ लाख के गबन मामले की पूरी रिपोर्ट मांग ली है। दरअसल एमपी स्टेट को-आॅपरेटिव डेयरी फेडरेशन में हाल ही में तीस नवंबर को तीन अधिकारियों की नवीन पदस्थापना के आदेश जारी किए गए थे। जिसमें भोपाल दुग्ध संघ के सीईओ आरपीएस तिवारी को ग्वालियर दुग्ध संघ का तो भोपाल दुग्ध संघ का सीईओ उप महाप्रबंधक डीव्हीकेव्ही राव को और ग्वालियर दुग्ध संघ के सीईओ अनुराग सिंह सेंगर को प्रभारी विपणन ग्वालियर सहकारी दुग्ध संघ के पद पर पदस्थ किया गया है। इसकी वजह से शमीमउद्दीन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होने लगे हैं। इसकी वजह है भोपाल दुग्ध संघ के नए सीईओ राव की शासन स्तर पर जांच किया जाना। उन पर साठ लाख रुपए के गबन का आरोप है। इसी मामले में राव की विभागीय जांच भी हो रही है। इस मामले की जांच के प्रस्तुतकर्ता अधिकारी डीके पांडे व जांच अधिकारी डॉ.आरके दूरबार है। जबकि प्रबंधन की तरफ से गबन मामले में गवाह सेवानिवृत्त एकाउंटेंट अरविंद खरे है। इसमें से दूरबार के खिलाफ टैंकर कांड के मामले में जांच चल रही है।
निलंबित भी हो चुके हैं दूरबार
टैंकर कांड के मामले में डॉ. आरके दूरबार एवं केएस मिश्रा को निलंबित किया जा चुका है। दरअसल जनवरी 2016 में टैंकर के बैरल में 1300 लीटर का चैंबर बनाकर दूध के स्थान पर पानी लाकर घोटाला किया जा रहा था। इस मामले में की गई विभागीय जांच में भी डॉ. दूरबार को दोषी पाया जा चुका है, जिसकी वजह से उन्हें दंडित कर दुग्ध संघ को हुई लगभग एक करोड़ की हानि की वसूली हेतु आरोप पत्र भी जारी किया जा चुका है। अब इन्हीं दूरबार के पास गबन के आरोपी की जांच का जिम्मा है।
इस तरह से छिपा रहे हैं मामला
जिस समय गबन हुआ था उस समय सहकारी साख समिति की उपाध्यक्ष कल्पना जोगरकर थी। वे दुग्ध संघ में तृतीय श्रेणी कर्मचारी है। गबन मामले में राव के अलावा कल्पना पर भी आरोप थे। जांच में उन्हें क्लीनचिट मिल गई थी, जबकि राव की जांच जारी है। इस मामले में दुग्ध संघ ने कार्यालय सहायक आयुक्त (अंकेक्षण) सहकारिता से रिपोर्ट मांगी गई। जिसमें उन्होंने कल्पना के मामले में लिखा कि कोई जांच प्रचलन में नहीं है।