सरकार के नोटिफिकेशनों में उलझा जांच आयोग

 जांच आयोग
  • मामला लटेरी गोलीकांड का

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विदिशा जिले के लटेरी में लकड़ी तस्करों और वन अमले के बीच हुई गोलाबारी में एक आदिवासी युवक की मौत के मामले के लिए गठित किए गए जांच आयोग को लेकर गफलत की स्थिति बनी हुई है। इसकी वजह है राज्य शासन द्वारा प्रदेश में चुनावी आचार संहिता के बीच एक के बाद एक दो नोटिफिकेशन जारी करना है। पहले जारी किए गए नोटिफिकेशन में जांच आयोग के कार्यकाल में तीन माह की अवधि की वृद्धि करने का उल्लेख किया गया था , जबकि इसके बाद सरकार ने अचानक आयोग का कार्यकाल पूर्व निर्धारित अवधि 22 नवंबर, 2023 को ही समाप्त किए जाने के संबंध में नया नोटिफिकेशन जारी कर दिया। आचार संहिता के दौरान जांच आयोग का कार्यकाल बढ़ाने और फिर अचानक संशोधित नोटिफिकेशन जारी किए जाने को लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं। दरअसल विदिशा जिले के लटेरी में 9 अगस्त, 2022 को एक वनकर्मी की गोली से एक आदिवासी की मौत हो गई थी। इसके बाद मचे हो हल्ला की वजह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। राज्य शासन ने 23 अगस्त, 2022 को उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जस्टिस बीपीएस चौहान की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग गठित किया था। आयोग को तीन महीने में शासन को जांच रिपोर्ट सौंपना थी।
बाद में इसका कार्यकाल बढ़ाकर 22 नवंबर, 2023 निर्धारित कर दिया गया था। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के बाद शासन ने गत 27 अक्टूबर को आयोग का कार्यकाल 22 फरवरी, 2024 तक के लिए बढ़ाए जाने के संबंध में शासन ने नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके दस दिन बाद ही एक संशोधित नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया , जिसमें कहा गया है कि आयोग का कार्यकाल पूर्व में तय 22 नवंबर, 2023 तक ही माना जाएगा। आयोग के कार्यकाल में वृद्धि नहीं की जा रही है। यह बात अलग है कि कार्यकाल पूरा होने के बाद भी आयोग द्वारा मामले की जांच रिपोर्ट शासन को नहीं दी गई है। उधर, शासन का तर्क है कि टंकण त्रुटि की वजह से आयोग के कार्यकाल में तीन महीने बढ़ाए जाने की आदेश जारी हो गए थे, जिसमें संशोधन कर नया नोटिफिकेशन जारी किया गया है।
क्या है मामला
विदिशा जिले के लटेरी कस्बे के आसपास इमारती लकड़ी की बड़े  पैमाने पर चोरी होती है। इस चोरी की लकड़ी को उपयोग आसपास के इलाकों में फर्नीचर बनाने में किया जाता है। बीते साल 9 अगस्त की रात कुछ लोग जंगल से सागौन की लकड़ी काटकर बाइक से ले जा रहे थे , तभी उनका वन विभाग के अमले से सामना हो गया था। वन अमले ने जब उन्हें रोककर पकड़ने का प्रयास किया तो उनके झड़प शुरु हो गई। इस दौरान पथराव से बचने के लिए वन अमले को हवाई फायर तक करने पड़े। इस दौरान एक फायर की चपेट में आने से एक लकड़ी तस्कर चैन सिंह की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद सरकार ने मृतक के परिजनों को 25 लाख रुपये और घायलों को पांच-पांच लाख की सहायता देने और मृतक के एक परिजन को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी। उधर , पुलिस ने चार वन कर्मियों के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास का प्रकरण दर्ज किया था।

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