मोटर व्हीकल एक्ट की फांस में इंटर स्टेट बसें

इंटर स्टेट बसें
  • सरकार के साथ बस ऑपरेटर्स को हर साल लगेगी करोड़ों की चपत

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। दिल्ली में लागू मोटर व्हीकल एक्ट ने मप्र सहित कई राज्यों को पसोपेस मेें डाल दिया है। इस एक्ट के तहत 10 साल से अधिक पुरानी बसें प्रदेश से दूसरे राज्यों में आवागमन नहीं कर सकतीं। इस एक्ट के कारण जहां बस ऑपरेटर्स को बड़ी क्षति पहुंचेगी, वहीं सरकार को भी करोड़ों रुपए की राजस्व हानि होगी। ऐसे में बस ऑपरेटर्स को उम्मीद है कि प्रदेश सरकार मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव कर सकती है।  हालांकि एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर अरविंद सक्सेना का कहना है कि यात्री सुरक्षा को देखते हुए 10 साल तक पुरानी बसों को ही इंटर स्टेट चलाने का नियम लागू कर रखा है। दिल्ली में लागू मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार, अगर मप्र सरकार अपने यहां भी वैसा ही प्रावधान लागू करती है तो हर साल 10 साल पुरानी करीब 200 बसें से बाहर होंगी। ऐसा हुआ तो बस ऑपरेटर्स समेत शासन को भी राजस्व की हानि होगी। अभी प्रदेश में 2202 बसें सभी तरह के परमिट पर चल रही हैं। इनमें से 200 बसें जल्द ही एक्ट के दायरे में आ जाएंगी। प्रदेश में परिवहन कार्यालयों में रजिस्टर्ड कुल बसें 35,882 हैं। 10 साल से ज्यादा पुरानी पर 15 से कम 10,589 बसें हैं। बाकी बसें जिनमें स्कूल बस भी शामिल 25,293 हैं। 10 साल तक पुरानी बसों की संख्या 832 हैं। दूसरे राज्यों तक आवागमन करने वाली, अस्थाई परमिट वाली बसें 1370 हैं। वहीं दूसरे राज्यों तक आवागमन करने वाली कुल इंटर स्टेट बसें 2202 हैं। मैकेनिकल विशेषज्ञ मैनिट डॉ. आरके द्विवेदी का कहना है कि कोई भी 15 साल से पुरानी बस है, तो वह प्रदूषण तो फैलाएगी। उसका मेंटेनेंस समय- समय पर होता रहे तो वह प्रदूषण कम करेगी।
10 साल पुरानी बसें दूसरे राज्यों में नहीं कर सकतीं आवागमन
जानकारी के अनुसार मोटर व्हीकल एक्ट के तहत 10 साल से अधिक पुरानी बसें प्रदेश से दूसरे राज्यों में आवागमन नहीं कर सकतीं।  गौरतलब है कि दिल्ली पहला राज्य है, जिसने सबसे पहले अपने यहां 10 साल से ज्यादा पुरानी बस को इंटर स्टेट चलाने पर रोक लगा रखी है। हालांकि राजस्थान, उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों में 15 साल पुरानी बसों को स्टेज कैरेज परमिट पर इंटर स्टेट बस के रूप में चलाने का नियम है। लेकिन मप्र में परिवहन विभाग ने मोटर व्हीकल एक्ट के नियम 77 के तहत सिर्फ 10 साल पुरानी बसों को इंटर स्टेट बस की तरह चलाने की अनुमति दे रखी है।  परिवहन विशेषज्ञ व पूर्व ट्रांसपोर्ट कमिश्नर एनके त्रिपाठी का कहना है कि मप्र में स्टेज कैरेज 10 साल पुराने होने पर परमिट नहीं दिया जा रहा है। यह सुरक्षा के लिए सही निर्णय है।
कोर्ट में चल रहे अलग-अलग मामले
हाल ही में हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने झांसी के एक ऑपरेटर की उत्तर प्रदेश के स्टेट कैरेज परमिट पर मप्र में आवागमन करने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही कहा है कि भले ही उम्र के परिवहन विभाग ने इंटर स्टेट संचालन के लिए 15 साल की अवधि तय कर रखी हो परंतु इन्हें मप्र में नहीं चलाया जा सकता। हालांकि पूर्व में कुछ ऑपरेटरों ने अलग- अलग कोर्ट में याचिकाएं लगाई, लेकिन अब वे सब खारिज हो चुकी हैं। प्राइम रूट बस ऑनर्स एसोसिएशन के सदस्य दीपक वर्मा का कहना है कि शासन ने नियम में संशोधन नहीं किया तो बस ऑपरेटर्स को आर्थिक नुकसान होगा। साथ ही शासन को राजस्व की क्षति पहुंचेगी।
इस तरह की बसें चलती हैं
स्टेज कैरेज बसें: इस तरह की बसें फिक्स बस स्टैंड से चलती हैं। स्टॉपेज, रूट और दूरी सब फिक्स होता है। इन्हें इंटर डिस्ट्रिक्ट के रूप में चलाया जाता है। 15 साल तक इनके संचालन का नियम लागू है। इसी श्रेणी में इंटर स्टेट बसें भी आती हैं। इनका संचालन दो राज्य आपस में परस्पर करार के तहत करते हैं। 10 साल वाला नियम इस श्रेणी पर ही लागू है। निजी बसें: लिमिटेड एरिया या किमी में एयरपोर्ट, प्राइवेट कंपनियों में अटैच बसें इस श्रेणी में आती हैं। ये बसें भी प्रदेश में 20 साल तक चल सकती हैं। स्कूल-कॉलेज बस को इस श्रेणी में शामिल किया गया है। यह भी 20 साल तक चल सकती हैं। कांटेक्ट कैरेज: इन्हें ऑल इंडिया परमिट लेकर संचालित किया जाता है। संचालन बस स्टैंड से नहीं होता। इन पर भी 10 साल वाला नियम लागू होता है। व्यक्ति यात्रा के लिए बुकिंग, तीर्थ दर्शन बस के रूप में अस्थाई ऑल इंडिया या दो स्थान विशेष के बीच परमिट लेकर संचालित किया जा सकता है। 10 साल अवधि तक की पुरानी बस ही चल सकती है।

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