उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा इंस्टीट्यूट ऑफ हॉस्पिटैलिटी ट्रेवल एंड टूरिज्म स्टडीज

इंस्टीट्यूट

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। ट्रेवल एंड टूरिज्म में करियर बनाने के लिए सरकार ने जिस उम्मीद से इंस्टीट्यूट ऑफ  हॉस्पिटैलिटी, ट्रेवल एंड टूरिज्म स्टडीज को शुरू किया था वह, उस पर खरा नहीं उतर रहा है।  स्थिति यह है की 1.28 करोड़ रुपये की लागत वाले इंस्टीट्यूट में पिछले साल छात्र आधे सत्र ही पढ़ सके तो वहीं इस साल को जीरो ईयर घोषित कर दिया गया है। यानी मप्र पर्यटन विकास निगम का यह उपक्रम सफेद हाथी बनकर रह गया है। मामले में इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर निलिमा वर्मा भी मान रही हैं कि इस साल को जीरो ईयर घोषित करना पड़ा। उनका कहना है कि इसकी वजह है  बीच सत्र में इंस्टीट्यूट में न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू की जाना। इस इंस्टीट्यूट में संचालित होने वाले कोर्स की संबद्धता बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से है। उनका कहना है कि सत्र 2021-22 में उन्हें बीच सत्र में यूनिवर्सिटी की तरफ से कहा गया कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी के हिसाब से क्लासेस संचालित करें, लेकिन इस हिसाब से हमें सिलेबस नहीं दिया गया।
गौरतलब है की मप्र पर्यटन विकास निगम द्वारा वर्ष 2008 में राजधानी भोपाल के भदभदा रोड पर इंस्टीट्यूट ऑफ  हॉस्पिटैलिटी, ट्रेवल एंड टूरिज्म स्टडीज की शुरूआत की गई थी। वर्ष 2018 तक यहां होटल  हॉस्पिटैलिटी की ट्रेनिंग दी जाती थी, लेकिन इसी साल यहां बीबीए (बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) कोर्स की शुरूआत की गई। इसमें बीबीए टूरिज्म, बीबीए हॉस्पिटैलिटी और बीबीए होटल मैनेजमेंट शामिल किया गया। पहले दो साल तक यहां ठीक प्रवेश हुए, लेकिन वर्ष 2021-22 में प्रवेश लेने वाले छात्रों ने बीच सत्र में ही इंस्टीट्यूट छोड़ दिया। बीते साल करीब 38 बच्चों ने प्रवेश लिया था। वर्ष 2022-23 सत्र में एक भी प्रवेश नहीं हुआ। इसके चलते इंस्टीट्यूट की संचालिका ने जीरो ईयर घोषित कर दिया है। सरकार के एमपीटी इंस्टीट्यूट का प्रचार अब प्रदेश के सभी 52 जिलों में संचालित होने वाले सरकारी हायर सेकंडरी स्कूलों में किया जाएगा। इसके लिए इंस्टीट्यूट की संचालित एमपीटी के अफसरों की मदद से लोक शिक्षण संचालनालय को चि_ी लिख रहे हैं। इस सत्र में सभी 120 सीटें भरने का लक्ष्य रखा गया है। इग्नू द्वारा यहां दो बैच चलाए जा रहे हैं। पहले बैच में पीजीडीएचओ, सीएफओ, सीएफबीओ और दूसरे बैच में सीएफओ कोर्स संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा हुनर से रोजगार तक अभियान के तहत मल्टीकुजीन और फ्रंट ऑफिस की ट्रेनिंग दी जा रही है।
न ठीक से पढ़ाई, न ही मिलता है प्लेसमेंट
छात्रों का आरोप है कि यहां पढ़ाई ठीक ढंग से नहीं होती थी और प्लेसमेंट भी नहीं था। आरोपों की सच्चाई जानने का प्रयास किया गया तो पहली बात सच निकली कि यहां इस साल एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया। एमपीटी द्वारा वर्ष 2008 से वोकेशनल कोर्स चलाए जा रहे हैं, लेकिन वर्ष 2012 में भदभदा रोड पर 1.28 करोड़ रुपए की लागत से एक आलीशान इंस्टीट्यूट का निर्माण किया गया। इसी इंस्टीट्यूट में वर्ष 2018 से यूजी (अंडर ग्रेजुएट) कोर्स शुरू किए गए। इसमें बीबीए के अंतर्गत टूरिज्म,  हॉस्पिटैलिटी और होटल मैनेजमेंट शुरू किया। पहले साल यानी वर्ष 2018-19 में 60 सीटों के विरुद्ध कुल 9 स्टूडेंट ने एडमिशन लिया। वर्ष 2019-20 में 120 सीटों में से 53 पर, वर्ष 2020-21 में 160 में से 45 पर, 2021-22 में 120 में से 36 पर स्टूडेंट ने प्रवेश लिया था। इसमें से बीते साल प्रवेश लेने वाले छात्रों को सिलेबस नहीं मिलने से इंस्टीट्यूट छोडक़र जाना पड़ा, जबकि 2022-23 में जीरो ईयर हो गया। इस इंस्टीट्यूट से 5 साल में 55 बच्चे पासआउट हुए और अच्छी बात यह रही कि सभी प्लेसमेंट मिल गया। संचालिका निलीमा वर्मा का कहना है कि अभी हुनर से रोजगार तक जैसे छोटे कोर्सेस में बच्चे अध्ययनरत हैं।

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