
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। कमलनाथ की रणनीति और भाजपा में महापौर प्रत्याशी चयन में मची रार की वजह से इस बार पार्टी को बीते निकाय चुनाव की तुलना में न केवल सात सीटों का नुकसान हुआ बल्कि जीत का आधार बनने वाले मतों की संख्या भी आधी रह गई। यह सब तब हुआ है जबकि प्रदेश में भाजपा द्वारा बीते एक साल से न केवल दस फीसदी मतों में वृद्वि करने के प्रयास किए जा रहे हैं , बल्कि बूथ को मजबूत करने के लिए भी कई तरह के कार्यक्रम चलाए गए हैं।
निवार्चन के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके मुताबिक पिछली बार भाजपा के महापौरों का जीत का अंतर 7.5 लाख मत रहा था जो इस बार कम होकर 3.5 लाख रह गया है। यानि की आधे से भी कम। दरअसल दो नगर निगम तो ऐसे रहे हैं जहां पर भाजपा बेहद कम अंतर से जीत दर्ज कर पायी है। यही नहीं बल्कि उसके महापौर पद के प्रत्याशियों को सात नगर निगमों में हार का सामना भी करना पड़ा है। इस बार प्रदेश में निकाय चुनाव में भाजपा को अकेले कांग्रेस ने ही नहीं, बल्कि निर्दलीय और आप ने भी नुकसान पहुंचाया है। कटनी में निर्दलीय भाजपा पर भारी पड़ी ंतो वहीं सिंगरौली में आप प्रत्याशी ने भी भाजपा को बड़ा झटका दिया। दरअसल इन दोनों ही जगहों पर जीते प्रत्याशी पूर्व भाजपा के ही पदाधिकारी हैं। इन दोनों ही प्रत्याशियों को टिकट न देना भाजपा को भारी पड़ा है। गौरतलब है की पिछली बार भाजपा का नगर निगम की सभी 16 सीटों पर कब्जा था, इस बार उसकी नौ सीटें रह गई। इस चुनाव में भाजपा का जीत का अंतर भी पिछले चुनाव से आधा रह गया है। पिछले चुनाव में 16 नगर निगमों में भाजपा कुल 7 लाख 49 हजार 790 मतों के अंतर से चुनाव जीती थी। इस बार भाजपा ने नौ सीटों पर कुल 3 लाख 45 हजार 488 मतों के अंतर से जीत दर्ज कर सकी है। पिछले चुनाव में हार- जीत का सबसे बड़ा अंतर इंदौर सीट पर था। यहां भाजपा ने 2 लाख 86 हजार 366 मतों से जीत दर्ज की थी, जबकि इस बार भाजपा ने इंदौर सीट 1 लाख 33 हजार 497 मतों के अंतर से जीती है। पिछले नगर निगम चुनाव में भाजपा की सबसे छोटी जीत खंडवा में 3 हजार 477 मतों से हुई थी, जबकि इस बार भाजपा की सबसे छोटी जीत बुरहानपुर में हुई। बुरहानपुर में भाजपा प्रत्याशी मात्र 542 मतों से चुनाव जीतीं। यही नहीं उज्जैन में भी भाजपा के मुकेश टटवाल को भी महज 542 मतों से ही जीत मिल सकी है। हालांकि भोपाल, देवास, सागर व खंडवा में भाजपा का हार-जीत का अंतर पिछली बार से बढ़ा है। इसके बाद भी उसकी कुल जीत का आंकड़ा आधा रहा गया है।
नोटा पर पड़े 38 हजार 262 वोट
नगरीय निकाय चुनाव में 16 नगर निगमों में महापौर पद के लिए 38 हजार 262 मतदाताओं ने नोटा (इनमें से कोई नहीं) पर वोट किया। नोटा पर सबसे ज्यादा 8,295 वोट भोपाल में महापौर पद के लिए पड़े, जबकि नोटा पर सबसे कम 596 वोट रीवा में पड़े। ग्वालियर में 4015, इंदौर में 6046, जबलपुर में 6337, उज्जैन में 2255 वोट, बुरहानपुर में 677 वोट, छिंदवाड़ा में 1169, सागर में 1202, सिंगरौली में 852, सतना में 1070 और खंडवा में महापौर पद के लिए 1041 वोट पड़े। ऐसे ही कटनी में 760 वोट, मुरैना 1212, देवास में 1682 और रतलाम में नोटा पर 1053 वोट पड़े।