
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनने के बाद किसानों के लिए वैसे तो कई तरह की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, लेकिन अब इस क्षेत्र में एक नया नवाचार शुरू किया गया है, जिससे अब किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए मंडी तक नहीं जाना पड़ेगा। इसकी वजह से न केवल बिचौलियों से किसानों को मुक्ति मिलेगी बल्कि उन्हें फसल का अधिक दाम भी मिल सकेगा। इसका श्रेय चौहान के अलावा उनके कृषि मंत्री कमल पटेल को भी जाता है। मप्र देश का ऐसा राज्य बन चुका है, जिसने बीते डेढ़ दशक में ही कृषि क्षेत्र में नई उपलब्धियां हासिल की हैं। इसकी वजह है प्रदेश में सरकारी स्तर पर किए गए प्रयासों की वजह से किसानों में व्याप्त तरह-तरह की भ्रांतियां दूर करने में मिली सफलता। यही वजह है कि मप्र में समर्थन मूल्य पर गेहूं, धान और मूंग की रिकार्ड खरीदी तो होने लगी ही है, साथ ही मंडियों को सशक्त बनाने की दिशा में भी कई कदम उठाए गए हैं। इसके तहत किसानों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाकर उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए उनसे सीधे अनाज खरीदने की व्यवस्था की गई है। इसकी वजह से अब इससे किसान को मंडी में आने की जरूरत ही नहीं रह गई है। इसमें भी यह ख्याल रखा गया है कि किसान के साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी न हो, इसके लिए प्रक्रिया को आॅनलाइन कर दिया गया है, जिससे की उस पर पूरी तरह से लगातार निगरानी किया जाना संभव हो सके। इसका फाायदा सरकार को यह हो रहा है कि मंडी कर में भी चोरी नहीं हो सकेगी। दरअसल कोरोना संकट की वजह से किसानों को मंडियों तक उपज बेचने के लिए आना मुश्किल बन गया था। यही नहीं कई बार तो उपज नहीं बिकने से किसान परेशान होते रहते थे, जिसको देखते हुए ही समर्थन मूल्य पर गेहूं और धान की खरीदी की गई।
इस तरह की बनाई नई व्यवस्था
फसल बेचने की नई व्यवस्था बनाने के लिए मोबाइल एप के माध्यम से उपज खरीदने की नई व्यवस्था से उन व्यापारियों को जोड़ा गया है, जो पंजीकृत हैं। इसकी वजह से यह व्यापारी गांव में किसान के खेत, खलिहान या फिर घर से सीधे उपज खरीद सकते हैं। किसान और व्यापारी के बीच सहमति होने पर व्यापारी एप में किसान की पूरी जानकारी सहित उपज की मात्रा, तय मूल्य आदि की जानकारी भरता है और किसान के पास एसएमएस पहुंचता है। इसके आधार पर आगे की प्रक्रिया होती है। इसी तरह भुगतान के लिए भी एसएमएस मिलता है।
मंडियों में इस तरह की सुविधाएं देने की कवायद
अब प्रदेश की मंडियों को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है। इसके लिए ग्रेडिंग, शार्टिंग मशीनें लगाने के साथ प्रसंस्करण की इकाइयां निजी क्षेत्र के सहयोग से लगवाने की कार्ययोजना तैयार की गई है। दस लाख टन क्षमता के गोदाम बनाए जा रहे हैं ताकि किसान को यदि उपज नहीं बेचना है तो वो उसका सुरक्षित भंडारण कर सके। इसके अलावा प्रदेश में पहली बार किसानों को ग्रीष्मकालीन मूंग का उचित दाम दिलाने के लिए आठ लाख टन से ज्यादा की खरीदी समर्थन मूल्य पर की गई है।
इनका कहना है-
इस मामले में कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि किसानों के हित में कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। हाल ही में 15 हजार करोड़ रुपये का अनुदान सस्ती बिजली देने के लिए किया गया है। सिंचाई क्षमता लगातार बढ़ाई जा रही है। कस्टम हायरिंग सेंटर के बाद अब कस्टम प्रोसेसिंग सेंटर प्रारंभ किए जा रहे हैं। इससे किसान उपज को औने-पौने कीमत में बेचने की जगह प्रसंस्करण करके अच्छी कीमत में बेच सकेगा।
कांग्रेस बता रही किसानों के संघर्ष की जीत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा को कांग्रेस ने किसानों के संघर्ष की जीत बताया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह सहित अन्य नेताओं ने कहा कि इस मामले में लोकतंत्र और किसान आंदोलन की जीत हुई है। अब सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपज खरीदने की गारंटी देने के लिए कानून बनाए। आंदोलन में जितने भी किसानों ने अपना बलिदान दिया है, उन सभी के स्वजन को मुआवजा दिया जाए। कमल नाथ ने ट्वीट किया कि किसान एक साल से सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे। विरोध प्रदर्शन के दौरान सैंकड़ों किसानों की मौत हो गई। कभी उन्हें देशद्रोही कहा गया तो कभी आतंकवादी व दलाल पर किसानों ने हिम्मत नहीं हारी। कांग्रेस ने भी किसानों के इस आंदोलन का खुलकर समर्थन किया और संघर्ष में पूरी तरह साथ खड़ी रही। एक साल बाद आखिरकार किसानों के संघर्ष की जीत हुई। यदि यह निर्णय पहले ही ले लिया जाता तो सैंकड़ों किसानों की जान बच सकती थी। उन्होंने सरकार से इस दौरान किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमे वापस लेने की भी मांग की है। वहीं, दिग्विजय सिंह ने कहा कि किसान सहित सभी राजनीतिक दल शुरुआत से ही कह रहे थे कि कृषि कानून किसान विरोधी हैं। मंडियां बंद हो जाएंगी और जो चुनिंदा फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है, वो भी नहीं मिलेगा। ठेके पर खेती से छोटे किसान बर्बाद हो जाएंगे पर सरकार ने एक नहीं सुनी। उधर, किसान अपनी बात पर अडिग थे। किसानों की एकजुटता के आगे झुकते हुए सरकार को अंतत: कृषि कानून वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि आने वाले संसद के सत्र में किसानों के पक्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपज की खरीदी सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की गारंटी का कानून लाया जाए। पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा कि इन कानूनों के खिलाफ हम सबने लंबी लड़ाई लड़ी हैं। सरकार को किसानों से माफी मांगनी चाहिए।