
-सरकार के पास बड़े तालाब के कैचमेंट में कब्जे का सरकारी रिकॉर्ड ही नहीं
-लगातार सिमट रहा राजधानी की जीवन रेखा का दायरा
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी की जीवनरेखा कहे जाने वाले बड़े तालाब में बढ़ते अतिक्रमण की वजह से कैचमेंट एरिया कम होता जा रहा है। बड़ी-बड़ी इमारतें और शादी हाल तालाब से सटे इलाके में आखिरी छोर तक पहुंच गए है। जबकि ग्रीन बेल्ट होने के बाद इसके 33 मीटर दायरे में कोई भी निर्माण करना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद अब भी तालाब किनारे अवैध कब्जे होते जा रहे हैं। लेकिन, साल 1958-59 की खसरा-खतौनी में कैचमेंट एरिया का रिकॉर्ड ही दर्ज नहीं है। यानी बड़े तालाब के कैचमेंट में कब्जे का सरकारी रिकॉर्ड ही नहीं है।
ये जानकारी राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत द्वारा विधानसभा में विधायक प्रदीप पटेल द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में दी गई है। बड़ा सवाल ये है कि राज्य सरकार के रिकॉर्ड में जब कैचमेंट एरिया की जानकारी दर्ज नहीं है तो फिर तालाब के कैचमेंट में 373 पक्के निर्माण को अवैध क्यों करार दिया गया है। तालाब के कैचमेंट का दायरा तय करने के लिए जगह-जगह मुनारें लगाई गई हैं, ताकि उसके भीतर कोई भी पक्का निर्माण न हो सके। बावजूद इसके बड़े तालाब पर 59 फीसदी अतिक्रमण केवल आईआईएफएम के आसपास के क्षेत्र में, जबकि 41 फीसदी यानी 157 अतिक्रमण तालाब के अलग-अलग इलाकों में पाए गए हैं। आईआईएफएम के पास करीब 227 अवैध निर्माण हैं। इनमें से 11 को हटा दिया है, जबकि खानूगांव से भैंखाखेड़ी तक 157 अवैध निर्माण हैं, जिन्हें हटाया जाना है, जबकि खानूगांव में 31 निर्माण हैं, जो तालाब के 50 मीटर के दायरे में आ रहे हैं।
ड्रोन फोटोग्राफी शुरू नहीं
अतिक्रमण हटाने से पहले बिल्डिंग परमिशन की जांच करना भी जरूरी। बड़ा तालाब एफटीएल पर पहुंच गया है, लेकिन ड्रोन फोटोग्राफी शुरू नहीं हो पाई, क्या कारण है? नगर निगम के अफसरों को एक सप्ताह पहले ड्रोन फोटोग्राफी कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन उन्होंने तर्क दिया था कि मौसम खुला नहीं है। मौसम खुलने के बाद तालाब की फोटोग्राफी कराई जाएगी। जो हो नहीं सकी।
कलेक्टर की अध्यक्षता में बनेगी कमेटी
जानकारी के अनुसार भोजताल यानी बड़े और छोटे तालाब सहित जिले के सभी तालाबों के संरक्षण के कलेक्टर की अध्यक्षता में डिस्ट्रिक्ट लेवल कमेटी बनेगी। यह अथॉरिटी जिले के सभी तालाबों के बारे में डेटाबेस तैयार करेगी और उनके संरक्षण के लिए जिम्मेदार होगी। इकोलॉजी और पर्यावरण के हिसाब से महत्वपूर्ण तालाबों के संरक्षण के लिए लगातार प्रयास करेगी। मप्र वेटलैंड अथॉरिटी के अधीन काम करने वाली यह कमेटी तालाबों के संरक्षण के लिए लॉन्ग टर्म प्लान भी बनाएगी। कमेटी में सीईओ जिला पंचायत, डीएफओ, पीडब्ल्यूडी, पीएचई, राजस्व, टीएंडसीपी, कृषि, पशुपालन, मछली पालन विभाग के अधिकारी रहेंगे। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रीजनल ऑफिसर, एप्को के प्रतिनिधि और दो विशेषज्ञ भी इस कमेटी में सदस्य होंगे। इस कमेटी में सभी संबंधित विभागों के अफसरों और इंजीनियरों के शामिल होने से तालाब और उसके कैचमेंट के संरक्षण के लिए प्लान बनाना और उसको लागू करना संभव हो सकता है।
एफटीएल से 50 मीटर के दायरे में 321 अतिक्रमण
बड़े तालाब में हो रहे कब्जों की एक रिपोर्ट नगर निगम के झील संरक्षण प्रकोष्ठ द्वारा पिछले साल एनजीटी में पेश की गई थी। इसमें 11 अवैध कब्जों को सिर्फ हटाने की बात कही गई है, जबकि 373 अवैध कब्जे अभी भी बरकरार हैं। बड़ा सवाल ये है कि बीते 10 सालों में बड़े तालाब के संरक्षण व सौंदर्यीकरण के नाम पर सिर्फ नगर निगम ही 84 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है, इसके बावजूद भी हमारा तालाब सिकुड़ता जा रहा है। जिला प्रशासन की 2019 में कराए गए सर्वे की रिपोर्ट में बड़े तालाब के एफटीएल से 50 मीटर के दायरे में 321 अतिक्रमण चिह्नित किए गए थे। इसमें से सिर्फ 4 कब्जों को हटाया गया था।