
- आदिवासी संगठन जयस में पड़ी फूट….
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल। प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में तेजी से पैर पसार रहे जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) में फूट पड़ गई है। जयस संगठन के नेताओं में जंग छिड़ी हुई है। राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा और सलाहकार डॉ. आनंद राय के बीच तकरार देखने को मिल रही है। हीरा अलावा ने डॉ. राय पर अफवाह फैलाकर आदिवासियों को भड़काकर का आरोप लगाया है। वहीं राष्ट्रीय संरक्षक पर डॉ.आनंद राय ने पलटवार किया है। जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा ने आरोप लगाया है कि डॉ. आनंद राय आदिवासी समाज में भ्रम और अफवाह फैलाकर भोले-भाले आदिवासियों को भड़काकर उनको आपस में लड़वाने और समाज में अशांति फैलाने का काम कर रहा है। इसके खिलाफ सरकार जल्द से जल्द कड़ी कार्रवाई करे। अन्यथा कोई भी अनहोनी होगी, उसके लिए सरकार भी जिम्मेदार होगी। इधर डॉ. हीरालाल अलावा के बयान पर पलटवार करते हुए डॉ. आनंद राय ने कहा, आदिवासी युवाओं को संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागृत करना, अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने का आव्हान करना, भड़काना नहीं होता।
दोस्ती में आ गई दरार
अलावा और राय की दोस्ती प्रदेश की राजनीतिक वीथिका में हमेशा चर्चा का विषय रही है। जहां अलावा ने जयस संगठन बनाकर अपनी शक्ति दिखाई और राजनीति में इंट्री हो गई मगर राय राजनीति में सीधे तौर से नहीं जुड़े हैं। वे कांग्रेस के करीबी माने जाते हैं और कांग्रेस सरकार के दौरान ही इन दोनों की दोस्ती चर्चित रही थी। आबकारी से जुड़े कुछ वायरल आॅडियो भी चर्चा में रहे थे। राय राजनीति से दूर रहे थे मगर आदिवासियों के बीच उनकी पैठ थी और इसी दौरान वे अलावा के संपर्क में आए थे और दोनों की दोस्ती हो गई थी। अब यह बात सामने आ रही है कि अलावा की जगह राय किसी और को जयस संगठन में आगे लाना चाह रहे हैं, इसके चलते दोनों के बीच तकरार हो रही है। कुछ अन्य कारण भी बताए जा रहे हैं, लेकिन जिस तरह से दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं उससे इन दोनों के अलावा कांग्रेस और इनके करीबियों में भी चचार्एं तेज हो गई हैं। इस मामले में डॉ. आनंद राय का कहना है कि मसला केवल यह है कि हाल ही में जयस नेता रामदेव काकोरिया के खिलाफ बजरंग दल, आरएसएस के लोगों ने मॉब लिंचिंग का प्रयास किया, उनके खिलाफ केस दर्ज कराकर उन्हें जिलाबदर करा दिया। इस मामले में खातेगांव में बड़ा आंदोलन भी होगा अगर ये जयस के संरक्षक हैं तो इनकी जिम्मेदारी बनती है। जयस के लोगों के लिए बोलना पड़ेगा। जबसे अलावा ने कांग्रेस जॉइन की है तब से ये दोनों नावों की सवारी करना चाह रहे हैं। जयस की भी और कांग्रेस की भी ये जयस के सर्वमान्य संरक्षक नहीं है।
इसलिए बड़ी तकरार
दरअसल, देवास जिले के रतनपुर निवासी जयस नेता रामदेव ककोडिया पर प्रशासन ने जिला बदर की कार्रवाई की है। जयस का आरोप है कि रामदेव ने आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर कई आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई। इसलिए पुलिस और प्रशासन ने फर्जी मामले दर्ज कर उसे आठ जिलों की सीमा से प्रतिबंधित किया है। इस मामले में जयस ने आंदोलन का ऐलान किया। आंदोलन के ऐलान के बाद डॉ. हीरालाल अलावा और डॉ. आनंद राय आमने-सामने आ गए हैं। दोनों के बीच ही जुबानी जंग तेज हो गई है। दोनों के बीच की दूरियां सियासी गलियारों में चर्चाओं में है।
पोस्टर को लेकर शुरू हुई रार
दरअसल, डॉ. आनंद राय ने कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर आदिवासियों से जुड़े मसले पर पोस्ट शेयर की थी, जिसके जवाब में विधायक अलावा ने डॉ. राय को खरीखोटी सुनाई है। अलावा के आरोप हैं कि राय आदिवासी समाज में भ्रम फैलाकर भोले-भाले आदिवासियों को भड़काकर आपस में लड़ाने और समाज में अशांति फैलाने का काम कर रहे हैं। इसके खिलाफ सरकार जल्द से जल्द कड़ी कार्रवाई करे अन्यथा कोई भी अनहोनी होगीतो उसके लिए सरकार भी जिम्मेदार होगी। इधर अलावा के आरोपों के जवाब में डॉ. आनंद राय ने जवाबी हमला कर लिखा कि इनकी भाषा शैली आरएसएस, भाजपा की भाषा शैली के समान है। कौन आदिवासियों के लिए लड़ रहा है, कौन सत्ता की मलाई खा रहा है यह आदिवासी समाज देख रहा है। जहां तक अनहोनी का प्रश्न है तो ऐसी गीदड़ भभकियों से शेर डरा नहीं करते। मैं एक गैर आदिवासी होकर भी आदिवासी समाज के लिए काम कर रहा हूं, उसका अगर दस प्रतिशत भी तुम लोग कर लोगे तो कार्यकर्ता तुम्हें संरक्षक स्वीकार कर लेगा। अलावा और राय के बीच चल रही इस जंग ने नई बहस को जन्म दे दिया है। यह बहस इसलिए हो रही है क्योंकि किसी समय दोनों एक साथ काम करते थे सवाल उठाए जा रहे हैं कि अचानक ऐसा क्या हुआ जो दोनों को इस हद तक एक-दूसरे के खिलाफ बोलना पड़ रहा है।