मध्यप्रदेश में जीएसटी से आय हुई दोगुनी

जीएसटी
  • औसतन हर साल हुई बीस फीसदी की वृद्धि

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। देश में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू हुए पूरे पांच साल होने जा रहे हैं। इसके साथ ही मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बन गया  है जहां पर बीते पांच सालों में कर सग्रंह बढ़ कर दोगुना तक पहुंच गया है। यानी कि हर साल औसतन रूप से जीएसटी कलेक्शन में बीस फीसदी तक की वृद्वि हुई है। इसकी वजह से मप्र ऐसा राज्य बन गया है जिसमें देश के साथ ही अब तक का प्रदेश में भी रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन हुआ है। यह बात अलग है कि इस बीच कोरोना आने की वजह से इस कर के कलेक्शन में जरूर कमी की दर्ज हुई थी।
अगर आंकड़ों को देखें तो मई 2021 में प्रदेश का जीएसटी कलेक्शन 1928 करोड़ रुपए था जो एक साल में बढ़ कर मई 2022 में 2746 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। यानि की उसमें पचास फीसदी की वृद्वि हुई है। जुलाई 2017 के शुरू वर्ष में मार्च 2018 तक प्रदेश का एसजीएसटी (राज्य कर), आईजीएसटी (केन्द्रीय कर) एवं अन्य टैक्स मिलाकर 9818 करोड़ रुपए रहा था। इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2018-19 में 19457 करोड़, 19-20 में 19399 करोड़, 20-21 में 18295 करोड़ तथा 21-22 में 22206 करोड़ रुपए रहा। इस तरह बीते पांच साल के आंकड़े बताते हैं कि राज्य के जीएसटी कलेक्शन में करीब 71 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज हुई है।
बढ़ चुका है कर का दायरा
जीएसटी लागू होने के बाद व्यापार में कर छूट का दायरा बढ़ाया गया है। पहले जहां वैट में 10 लाख रुपए तक के सालाना टर्नओवर वाले व्यापारी को पंजीयन कराने की जरुरत नहीं थी , वहीं अब इसके बढ़ा कर 40 लाख रुपए किया जा चुका है। जीएसटी लागू करते समय इसकी सीमा पहले 20 लाख रुपए तय की गई थी। इसके बाद यह सीमा सेवाओं पर 20 लाख रुपए एवं वस्तुओं के संबंध में 40 लाख रुपए कर दी गई है। बीते पांच साल में जीएसटी में 1100 से ज्यादा संशोधन किए गए एवं अभी तक 47 जीएसटी काउंसिल की बैठकें हो चुकी है। जीएसटी काउंसिल की 47 वीं बैठक हाल ही में हुई है।
दो एजेंसियों करती हैं संग्रहण  
केन्द्रीय कर विभाग एवं राज्य कर विभाग जीएसटी का कलेक्शन करने का काम करते हैं। डेढ़ करोड़ रुपए से कम टर्नओवर वाले व्यापारी 90 फीसदी राज्य कर विभाग के तथा 10 फीसदी व्यापारी केन्द्रीय कर विभाग के तहत ही आते हैं। डेढ़ करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले व्यापारी 50-50 प्रतिशत केन्द्रीय एवं राज्य कर विभाग के पास है। अगर इसमें प्रदेूश का आंकड़ा देखें तो शुरूआती साल यानि की 2017-18 7.40 लाख करोड़ , 2018-19 11.77 लाख करोड़ , 2019-20 12.22 लाख करोड़ ,2020-21 11.36 लाख करोड़ और 2021-22 14.83 लाख करोड़ रुपए का कलेक्शन हुआ है।

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