कमिश्नर प्रणाली मामले में शिव पड़े अर्जुन और दिग्विजय पर भारी

शिवराज सिंह चौहान
  • वल्लभ भवन की ताकतवर लॉबी पर विजय…

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
    शिवराज सिंह चौहान अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में दो बार और कुल जमा प्रदेश में 6 बार इस सिस्टम को लागू करने की कवायद अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह जैसे मुख्यमंत्री कर चुके थे लेकिन वल्लभ भवन की ताकतवर लॉबी के आगे यह घोषणाएं अमल में आने से पहले ही खत्म होती रही। शजाहिर है  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे जमीन पर उतारने का काम कर दिया है तो यह कोई सामान्य घटनाक्रम नहीं है और इसके लिए उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का अभिनंदन किया जाना चाहिये। बेशक यह प्रयोग किसी क्रांतिकारी बदलाव  का वाहक नहीं है इसके बाबजूद भारतीय  लोक प्रशासन में यह उस स्टील फ्रेम अफसरशाही के प्रभुत्व को कम करने का कारक तो है ही जिसे लोकशाही में स्वाभाविक और वास्तविक शासक कहा जाता रहा है। यह आईपीएस कैडर के आईपीएस अफसरों की भी क्षमताओं और निष्ठा को प्रमाणिकता हासिल करने का अवसर है, जिन्हें अपने अखिल भारतीय संवर्ग और समान चयन प्रक्रिया के बावजूद प्रशासनिक दक्षता और जनोन्मुखी होने के मामले में कमतर समझा जाता रहा है।
    पुलिस के लिए छवि बदलने का अवसर
    पुलिस की बदनुमा और संवेदनशून्य छवि को बदलने का अवसर भी मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस प्रयोगधर्मिता के बहाने पुलिस को उपलब्ध कराया है। मप्र के दोनों शहरों में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अफसरों को आयुक्त की कमान संभालनी है जो आमतौर पर सीधी भर्ती के आईपीएस अफसर ही होते है ऐसे में यह नई व्यवस्था को परंपरागत पुलिसिया छवि से बाहर निकालने का जिम्मा भी अब पुलिस मुख्यालय के कंधे पर आ गया है।
    अफसरों की फौज होगी आज जारी
    अधिसूचना के अनुसार भोपाल कमिश्नर के अधीन दो एसीपी डीआईजी रैंक एवं 8 डिप्टी कमिश्नर एसपी रैंक,10 अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर एडिशनल एसपी रैंक एवं 33 सहायक पुलिस आयुक्त डीएसपी रैंक के काम करेंगे। भोपाल नगर निगम के बाहर ग्रामीण व्यवस्था एसपी भोपाल ग्रामीण के जिम्मे होगी। इंदौर शहर में भोपाल की तुलना में 2 अतिरिक्त पुलिस आयुक्त होंगे लेकिन सहायक आयुक्त डीएसपी रैंक के 3 पद कम यानी 30 लोगों की पदस्थापना होगी। ऐसा होगा माडल-मप्र के इस मॉडल में गृह विभाग ने दंड संहिता की धारा,151, 107/16, 144, 133, पुलिस एक्ट, राज्य सुरक्षा कानून, कॉन्फिडेंशियल एक्ट, देह व्यापार,मोटर व्हीकल एक्ट,गुंडा एवं गैंगस्टर एक्ट,पशु क्रूरता अधिनियम, जिला बदर, जैसे मामलों में अब पुलिस की एकमेव आधिकारिता रहेगी। हालांकि नगर निगम भवन अनुमति, शस्त्र लाइसेंस, विस्फोटक भंडारण, जैसे अनेक मामलों को पुलिस आयुक्त प्रणाली के तहत प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर पुलिस को दिया जाता है लेकिन इन मामलों में फिलहाल विस्तृत ड्राफ्ट सामने आने पर ही स्थिति स्पष्ट होगी।
    काशी में पीएम मोदी के सामने देंगे ब्यौरा
    बताया जाता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 13 दिसंबर को इस आशय का ब्यौरा प्रधानमंत्री के साथ काशी में होने वाली बैठक में दे सकते है। अभी तक कानून व्यवस्था के साथ जुड़े इन मामलों में पुलिस को कलेक्टर एवं एसडीएम पर प्रतिबंधात्मक एवं दूसरी कार्रवाई के लिए निर्भर रहना पड़ता था। अब नई व्यवस्था में पुलिस खुद निर्णय लेगी। बुनियादी सवाल और प्रशासनिक संवर्ग की आपत्तियों के साथ यह तब तक बना ही रहेगा जब तक पुलिस कमिश्नर व्यवस्था मौजूदा व्यवस्था से बेहतर नतीजों देनें का काम करेगी। वरना पुलिस जनविश्वास की कसौटी पर तो राजस्व अफसरों की तुलना में पहले ही फिसड्डी है साथ ही यह भी सर्वविदित है कि राजनीतिक दबाव में निर्दोष को अपराधी बनाने का काम भी हमारी पुलिस बखूबी करना जानती है।

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