
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में जिन चार सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उन सभी में भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुसीबत महंगाई बन रही है। प्रदेश भाजपा के तमाम रणनीतिकारों ने चुनावी फतह के लिए तमाम समीकरणों पर काम कर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, लेकिन यह समीकरण भी महंगाई के सामने ठहरते नही दिख रहे हैं।
यही वजह है कि भाजपा अब भी दोगुनी मेहनत करने के बाद भी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नजर नहीं आ पा रही है। यही नहीं इस बीच किसान कर्ज माफी, सड़क, बिजली बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मामले में भाजपा को परेशान किए हुए हैं। यही नहीं डीजल और पेट्रोल के भाव हर दिन बढ़ रहे हैं, जो आग में घी का काम कर रहे हैं। यही वजह है कि इन चारों उपचुनाव में भाजपा जिन मुद्दों को लेकर चुनाव में उतरी, वे प्रभावकारी नही हो पा रहे हैं। विंध्य अंचल की रैगांव सीट पर हो रहे उपचुनाव में भाजपा ने परिवारवाद से किनारा करते हुए जिला संगठन के नए चेहरे प्रतिमा बागरी को प्रत्याशी बनाया है। उत्तरप्रदेश का सीमाई इलाका होने की वजह से इस सीट पर भी जातीय समीकरण ही निर्णायक रहता है, लेकिन इस बार यह फैक्टर भी प्रभावित होता दिख रहा है। इसकी वजह है कांग्रेस द्वारा इस इलाके में कांग्रेस बढ़ती महंगाई और किसानों की अधूरी कर्जमाफी के अलावा सड़क, बिजली और पानी जैसे मुद्दों पर जोर दे रही है, जो कि उसके लिए प्रभावकारी भी होते दिख रहे हैं। यही वजह है कि इस सीट पर अब तक भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा को दो बार दौरे करने पड़ गए हैं। इस सीट पर कांग्रेस ने एक बार फिर कल्पना वर्मा पर ही दांव लगाया है। वे पिछले चुनाव में पराजित हो चुकी हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस क्षेत्र में ओबीसी व सवर्ण मतदाताओं की संख्या निर्णायक है। क्षेत्रीय मुद्दों के नाम पर रैगांव में भी सड़क, बिजली और पानी के अलावा बेरोजगारी को लेकर मतदाता के सवाल हैं। कांग्रेस बढ़ती महंगाई और किसानों से सरकार की बेवफाई का मुद्दा उठा रही है, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार और मुख्यमंत्री चौहान पर झूठ परोसने का आरोप लगा चुके हैं। प्रचार-प्रसार और बूथ स्तर पर मतदाताओं से संपर्क के मामले में भाजपा अपनी चुनावी तैयारी शुरू कर चुकी है, जबकि कांग्रेस के चुनाव अभियान में अब तेजी आई है।
अन्य सीटों के भी यही हाल
इसी तरह से पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर भी भाजपा ने जातिगत समीकरण साधने का प्रयास किया है। इस सीट पर भी महंगाई , बेरोजगारी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। वैसे भी यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर कांग्रेस ने स्व बृजेन्द्र सिंह राठौर के पुत्र नीतेन्द्र को उतारा है, जबकि भाजपा ने सपा से आयतित नेता शिशुपाल यादव को। भाजपा को यहां पर अपने परंपरागत वाटों के अलावा यादव मतदाताओं पर भरोसा है। इसके अलावा इस सीट पर लगातार भाजपा के नेता दौरे कर मतदाताओं को साधने के प्रयास में लगे हुए हैं। जोबट भी महंगाई की वजह से भाजपा के लिए मुसीबत बनी हुई है। कांग्रेस के प्रभाव वाली इस सीट पर भाजपा ने अपने नेताओं की जगह कांग्रेस के दलबदलू नेता सुलोचना रावत पर अधिक भरोसा करते हुए दांव चला है। इस सीट पर भाजपा के नेताओं की नाराजगी भी महंगाई के अलावा भारी पड़ रही है। खंडवा लोकसभ सीट तो पहले से ही भाजपा के लिए मुसीबत बनी हुई थी। अपनी पंरपरागत सीट होने के बाद भी इस सीट पर भाजपा के लिए मुश्किल बनी हुई है। इस लोकसभा के तहत आने वाली आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर कांग्रेस का कब्जा है। इनमें एक सीट निर्दलीय सुरेन्द्र सिंह शेरा की भी शामिल है, जबकि भाजपा के पास तीन सीटें हैं। इस सीट पर भी महंगाई अपना पूरा प्रभाव दिखा रही है।
भाजपा का गढ़ है यह सीट
कोरोना महामारी के चलते प्रदेश में खंडवा लोकसभा, जोबट, पृथ्वीपुर और रैगांव विधानसभा में उपचुनाव की नौबत आई है। रैंगाव सीट भाजपा की पारंपरिक रूप से सीट मानी जाती है। यहां पर अब तक हुए 10 चुनावों में से 5 बार भाजपा प्रत्याशी ही विजयी रहे, 2 बार कांग्रेस जीती, जबकि 2 बार अन्य प्रत्याशियों ने जीत दर्ज कराई।