
- मप्र में कैसे सुधरेगी शिक्षा व्यवस्था
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार कई स्तरों पर काम कर रही है। इसके लिए निजी स्कूलों का मुकाबला करने के लिए सीएम राइज स्कूल खोले जा रहे हैं। लेकिन शिक्षकों की कमी और मॉनिटरिंग के अभाव में शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के करीब 3726 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है, वहीं सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षक तो हैं लेकिन छात्र नहीं है। ऐसे में मप्र की शिक्षा व्यवस्था कैसे सुधरेगी? दरअसल, मप्र में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह बेपटरी है। आलम यह है कि शहरी क्षेत्रों में तो शिक्षकों की भरमार है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक जाने को तैयार नहीं है। सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति आदिवासी जिले बड़वानी व धार की है। दोनों जिलों के जीरो टीचर वाले स्कूलों की संख्या 516 है। हालात ऐसे हैं कि पचास फीसदी स्कूलों में प्राचार्य ही नहीं हैं। शिक्षा विभाग के जनवरी 2024 जारी आंकड़ों में सामने आया था कि प्रदेश के 74 हजार सरकारी स्कूलों में से पौने चार हजार में एक भी शिक्षक नहीं है। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के 3726 सरकारी स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है, जबकि 895 स्कूलों में एक भी बच्चे का नामांकन नहीं हुआ है, लेकिन यह स्कूल चल रहे हैं। इतना ही नहीं प्रदेश के 460 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जिनमें एक भी बच्चा व एक भी टीचर नहीं है, लेकिन बिना बच्चों व टीचरों के खाली पड़े स्कूल चालू है।
14 जिलों में शिक्षकों की सबसे अधिक कमी
जानकारी के अनुसार, प्रदेश के 14 जिले ऐसे हैं, जिनमें ज्यादा सरकारी स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। इनमें अलीराजपुर के 148, बड़वानी के 341, छिंदवाड़ा के 156, देवास के 104, धार के 175, होशंगाबाद के 130, कटनी के 145, खरगौन के 139, रतलाम के 105, रीवा के 128, सतना के 129, सिवनी के 111, शिवपुरी के 143, सिंगरौली के 143 स्कूल शामिल है। भोपाल में जीरो टीचर वाले चल रहे 29 स्कूल भोपाल जिले के 859 स्कूलों में करीब साढ़े पांच हजार शिक्षकों के स्वीकृत पद है। इन पदों की तुलना में करीब एक हजार शिक्षक ज्यादा है। बावजूद इसके भोपाल में ही 29 सरकारी स्कूल ऐसे है, जिनमें एक भी शिक्षक नहीं है। भोपाल में जीरो नामांकन वाले शासकीय व प्राइवेट स्कूलों की कुल संख्या 242 है। इसमें 9 शासकीय व 233 प्रायवेट स्कूल हैं। जीरो टीचर वाले शासकीय व प्रायवेट स्कूलों की कुल संख्या 223 है। इसमें 29 शासकीय व 194 प्रायवेट स्कूल है। जीरो नामांकन व जीरो टीचर वाले कुल प्राइवेट व शासकीय स्कूल 76 हैं, इसमें 5 शासकीय व 71 प्रायवेट स्कूल हैं। दरअसल दो साल पहले स्कूल शिक्षा विभाग में नवीन स्थानांतरण नीति बनाई थी। समय निकल जाने के कारण वर्ष 2022 में इस नीति के अनुसार स्थानांतरण नहीं किए गए। पिछले साल 2023 में नवीन स्थानांतरण नीति के अनुसार अधिकारियों व शिक्षकों के तबादले होना थे, लेकिन चुनावी साल में भी नई नीति लागू होने से पहले घात हो गई। नवीन नाती को हो भ जमे शिक्षकों को ग्रामीण इलाकों साथ नहीं भर्ती के शिक्षकों की पदस्थापना ग्रामीण इलाको में खाली पड़े स्कूलों में की जाना थी, लेकिन इस नीति में भी संशोधन कर दिया कर दिया गया। नतीजा यह निकला कि ग्रामीण जिलों के स्कूल खाली पड़े रहे और शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों की भरमार हो गई है।
70 हजार शिक्षकों की कमी
सीएम राइज स्कूलों के नाम का तमगा लगाए स्कूल शिक्षा विभाग के हाल-बेहाल है। प्रदेश में 70 हजार शिक्षकों की कमी है। दरअसल प्रदेश में करीब 74 हजार स्कूल हैं। इसमें कुल शिक्षकों की संख्या ढाई लाख के आसपास है। स्कूलों में खाली पदों के विरुद्ध लगभग 70 हजार अतिथि शिक्षक रखे जाते हैं। यानि इतने ही पद खाली हैं। विभाग ने खाली पदों के विरुद्ध वर्ष 2018 से अब तक लगभग दस हजार पद ही भरे है। प्रदेश में करीब 9200 हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूल हैं। इसमें पचास फीसदी पदों पर प्राचार्य ही नहीं है। प्राचार्य का जिम्मा पढ़ाने के साथ शिक्षकों को ही दे रखा है। दोहरी जिम्मेदारी से शिक्षक दोनों ही काम सही से नहीं कर पा रहे हैं, जबकि स्कूल शिक्षा विभाग में शैक्षणिक सत्र 2023 का पूरा साल उच्च पद के प्रभार के नाम पर ट्रांसफर पोस्टिंग में निकल गया। इससे स्कूलों में पढ़ाई पूरी रह ठप रही। स्कूल शिक्षा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के 5569 शासकीय व अशासकीय स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं, लेकिन यह स्कूल चल रहे हैं। जबकि 2396 शासकीय व प्रायवेट स्कूलों में एक भी बच्चे का नामांकन नहीं हुआ है। जीरो नामांकन व जीरो टीचर वाले शासकीय व प्राइवेट स्कूलों की संख्या 1307 है। प्रदेश में सबसे ज्यादा बड़वानी जिले की स्थिति खराब है।