
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना महामारी की वजह से आम आदमी पर बेहद प्रतिकूल असर पड़ा है। हालात यह हो चुके हैं कि लोगों की जेब पूरी तरह से खाली हो चुकी है। इस महामारी का सबसे अधिक असर प्रदेश के चारों महानगरों के व्यापार पर पड़ा है जिसकी वजह से करीब 29 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान है। इतनी बड़ी राशि की चपत लगने की वजह बीते एक साल में करीब पांच माह तक लॉकडाउन की स्थिति रहना है। इस वजह से मध्यम और छोटे व्यापारियों का व्यवसाय पूरी तरह से बंद रहा है। दरअसल चारों महानगर प्रदेश के सबसे बड़े व्यापारिक केन्द्र भी हैं।
प्रदेश में पहली लहर के दौरान 90 दिन और दूसरी लहर में करीब 64 दिन लॉकडाउन की स्थिति रही है। बंद की ऐसी स्थिति में आम कामकाज के साथ ही व्यवसाय भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इस दौरान उन व्यापारियों का कारोबार तो पूरी तरह से ठप सा हो गया है, जो कर्ज लेकर किराए की दुकानों में अपना कारोबार करते हैं। उन्हें व्यवसाय बंद रहने के दौरान न केवल किराया देना पड़ा है, बल्कि बिजली का भारी भरकम बिल का भी भुगतान करना पड़ रहा है। हालत यह है कि इस कोराना लॉकडाउन के समय लगभग सभी सेक्टर में अच्छा खासा नुकसान हुआ है। अकेले चारों महानगरों में ही एक अनुमान के मुताबिक करीब 29 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है, जिसमें अकेले इंदौर में ही करीब दस हजार करोड़ का तो भोपाल में 8, जबलपुर में करीब 7 और ग्वालियर में लगभग 5 हजार करोड़ की चपत लगने का अनुमान है। व्यापारिक क्षेत्र के विशेषज्ञों के मुताबिक किराना, कपड़ा, सोना-चांदी, नमकीन, स्टील, कपड़ा आदि सहित करीब डेढ दर्जन क्षेत्र के व्यवसाय के हालात सुधरने में कम से कम छह माह का समय लग सकता है। ऐसे में सरकार द्वारा बनाए गए आत्मनिर्भर मप्र के रोडमैप से प्रदेश के व्यवसाय जगत को बड़ी आशा है। यह बात अलग है कि अभी यह बड़ा सवाल बना हुआ है कि इन बिगड़े हालातों में प्रदेश सरकार इस प्लान को कैसे और कितने कारगर तरीके से लागू कर पाती है।
किस क्षेत्र में कितना नुकसान अनुमानित
कोरोना काल में अकेले रेडीमेड कपड़े के ही कारोबार में करीब दो हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान है। करीब तीन हजार रेडीमेड यूनिट के अलावा 20 हजार आउटलेट पूरी तरह से बंद रहे। जिसकी वजह से करीब आठ लाख लोगों का रोजगार भी प्रभावित हुआ। इस दौरान रेल के साथ ही अंतर्राज्यीय यातयात पूरी तरह से बंद रहने की वजह से व्यापार पर व्यापक असर पड़ा है। यातायात बंद रहने की वजह से माल की आवाजाही बुरी तरह से प्रभावित रही। यह बात अलग है कि माल ढोने वाले वाहनों पर कोई प्रतिबंध नहीं था, लेकिन प्रशासन के आदेश के बाद भी जगह-जगह चैकिंग के नाम पर किए जाने वाले परेशान और अवैध वसूली की वजह से कम ही माल वाहक वाहन सड़कों पर चले। इस कारण से कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध ही नहीं हो पाया। जो माल आया भी वह भी महंगा मिलने की वजह से उत्पादन इकाईयों की तालाबंदी की वजह बना। इसी तरह से बीते एक साल से बंद रहने की वजह से सिनेमा उद्योग तो पूरी तरह से ही बंद हो चुका है जिसकी वजह से करीब इस सेक्टर को भी करीब 500 करोड़ का नुकसान हो चुका है। इसी तरह से किराना, सोना-चांदी, नमकीन कपड़ा, फल और सब्जी उद्योग को भी करीब दस हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। इसके नुकसान का आंकलन अकेले इंदौर शहर में प्रदेश की सबसे बड़ी किराना मंडी सियागंज में हुए 3 हजार करोड़, कपड़े के सबसे बड़े बाजार एमटी क्लाथ मार्केट में हुए 600 करोड़ और नमकीन बाजार में हुए 400 करोड़ और सोना चांदी के व्यापार में हुए 60 करोड़ के नुकसान से लगाया जा सकता है।
निर्माण क्षेत्र में भी पड़ा व्यापक असर
कोरोना लॉकडाउन का व्यापक असर निर्माण क्षेत्र पर भी पड़ा है। इसकी वजह रही है निर्माण सामग्री का न मिल पाना। हालांकि सरकार ने निर्माण कामों पर रोक नहीं लगाई थी, लेकिन उसके लिए जरुरी सीमेंट, लोहा और सेनेटरी का सामान नहीं मिल पाने की वजह से यह काम भी लगभग एक से डेढ़ माह तक पूरी तरह से बंद की स्थिति में रहा है इस वजह से इस सेक्टर को भी लगभग एक हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। इस सेक्टर को हुए नुकसान की दूसरी बड़ी वजह रही है, पंजीयन दफ्तर का भी पूरी तरह से बंद होना। इस वजह से संपत्तियों की रजिर्स्ट्री भी नहीं हो सकी।