विकास और पर्यावरण संरक्षण की योजनाओं में सामंजस्य आवश्यक

विकास और पर्यावरण संरक्षण
  • मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने  पर्यावरण से समन्वय संगोष्ठी सह प्रशिक्षण कार्यशाला में कहा-

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को भोपाल के रवींद्र भवन में पर्यावरण से समन्वय संगोष्ठी-सह प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ किया। इस दौरान लोक निर्माण विभाग के इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्यों पर केंद्रित एक लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया।
इस मौके पर सीएम डॉ. यादव ने कहा कि पर्यावरण से समन्वय और लोक निर्माण एक प्रकार से सूर्य और चंद्र के समान है। समन्वय में सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। इंजीनियर अपने तकनीकि ज्ञान और उपलब्ध संसाधनों के साथ ज्ञान को विज्ञान की ओर लेकर जाते हैं। भारत में स्थापत्य कला वर्षों पुरानी है। इसी आधार पर भोपाल में बड़े तालाब की संरचना बनी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में ऐसे कई प्रयोग हुए हैं, जिनमें सडक़ों के निर्माण में पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखा गया है। देश में 20 से 25 साल पहले ऐसे मकान बनते थे, जो हर मौसम में पर्यावरण के अनुकूल होते थे। वर्तमान समय में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास कार्यों में गुणवत्ता और लागत का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। राज्य सरकार निर्माण कार्यों में शुचिता और पारदर्शिता के साथ कार्य कर रही है। प्रदेश में बनाई जा रही सडक़ों के निर्माण में लोक निर्माण विभाग नए-नए प्रयोगों के साथ काम कर रहा है। इसमें मिट्टी की प्रकृति के आधार को भी शामिल किया गया है। जहां मिट्टी की क्षमता कमजोर है, वहां डामर के स्थान पर सीसी रोड बनाई जा रही हैं।
सीएम डॉ. यादव ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन के आज 60 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। हमारे पिंड को यत पिंडे तत ब्रह्मांडे भी कहा जाता है। हमारे शरीर की उपयोगिता और सीमा को न कोई बढ़ा सकता है, न कोई घटा सकता है। हमारी एक दिन की जिंदगी में 1 लाख कोशिकाएं मरती हैं, तब हमें जीवन मिलता है। प्रकृति के साथ समन्वय के लिए हमारे सभी विभाग लीक से हटकर सोचने की दृष्टि अपनाएं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह को ‘पर्यावरण से समन्वय’ पर कार्यशाला आयोजन की पहल के लिए बधाई दी और विश्वास जताया कि इस तरह की कार्यशालाएं न केवल तकनीकी ज्ञान बढ़ाने में सहायक होंगी, बल्कि विभाग की कार्यप्रणाली में भी सकारात्मक बदलाव लाएंगी। उन्होंने कहा कि यह संकल्प सिर्फ तकनीकी प्रशिक्षण का नहीं, बल्कि हमारे मन की स्वच्छता, धैर्य और निष्ठा का प्रतीक है, जो सुनिश्चित करेगा कि हम विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी भी पूरी निष्ठा से निभाएं।
सडक़ों की मरम्मत का समय 7 से घटाकर 4 दिन होगा
लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने बताया कि प्रदेश में विकास की गाड़ी कभी भी पर्यावरण की पटरी से नहीं उतरेगी। उन्होंने बताया कि सडक़ गड्ढों की मरम्मत का समय 7 से घटाकर 4 दिन किया जाएगा और निर्माण में केवल सरकारी रिफाइनरियों से ही बिटुमिन खरीदा जाएगा। कार्यशाला में भास्कराचार्य संस्थान के महानिदेशक टीपी सिंह ने कहा कि  प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत आईटी और जियोस्पेशल तकनीकों के उपयोग से योजनाओं में पारदर्शिता और तेजी आई है। पर्यावरणविद् गोपाल आर्य ने अभियंताओं को विकास के मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि प्रकृति के संरक्षण के बिना विकास अधूरा है।
1700 अभियंता शामिल हुए
कार्यशाला में लगभग 1700 अभियंता प्रत्यक्ष एवं वर्चुअल रूप से शामिल हुए। मुख्यमंत्री और मंत्री ने इसे प्रदेश में विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

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