नायक शिवराज का इम्पैक्ट… सोशल मीडिया के जरिए अफसरान ने जनता में पैठ बढ़ाई

नायक शिवराज

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। वर्तमान समय में सोशल मीडिया जनता तक पहुंचने का सबसे बड़ा माध्यम बन गया है। इस माध्यम को आधार बनाकर मप्र के अफसरों ने करोड़ों लोगों तक सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी पहुंचाई है। इसका खुलासा हाल ही में राज्य शासन के माध्यम से अगस्त माह की सामने आई सोशल मीडिया एनालिटिक्स रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सोशल मीडिया के माध्यम से कलेक्टर और कमिश्नर प्रदेश के करोड़ों लोगों तक सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को पहुंचा रहे हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दो माह पहले अपना एजेंडा तय किया था। उन्होंने कलेक्टर- कमिश्नर कांफ्रेंस के दौरान सोशल मीडिया प्रबंधन विषय को शामिल करते हुए सभी जिलों की रिपोर्ट मांगी थी। सरकार का प्लान है कि हितग्राहीमूलक योजनाओं की जानकारी हर घर तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया ही बड़ा माध्यम बने। इसके चलते कलेक्टर, कमिश्नर सहित पूरे ब्यूरोक्रेट्स को सक्रिय रहने को कहा गया है। अफसरों ने मुख्यमंत्री की इस पहल को अफसरों ने हाथों-हाथ लिया और सोशल मीडिया को जनता तक पहुंचने का माध्यम बनाया।
लोगों के पास तेजी से पहुंच रही सूचनाएं
जिलों में कलेक्टर और कमिश्नर जब से सोशल मीडिया को माध्यम बनाया है तब से जिला या संभाग की कोई सूचना लोगों तक तेजी से पहुंचती है। हितग्राही मूलक जानकारी, घटनाएं, वेलफेयर संबंधी खबरें मिलती हैं। भ्रामक जानकारी देने पर स्पष्टीकरण करने में सहूलियत होती है। जिला प्रशासन को विश्वसनीय सूत्र के रूप में माना जाता है। वैक्सीनेशन के नाम पर प्रदेश को मिली बड़ी सफलता का बड़ा माध्यम सोशल मीडिया ही रहा। जबलपुर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा कहते हैं कि सोशल मीडिया प्रबंधन आज की जरूरत हो गई है। योजनाओं और कार्यक्रमों को लोगों तक पहुंचाने के लिए ट्विटर और फेसबुक की हम मदद ले  रहे हैं। फेसबुक में हम फॉलोअर्स के मामले में प्रदेश में नंबर वन हैं। ट्विटर पर भी और सक्रियता बढ़ा रहे हैं।
अफसरों की परफॉर्मेंस का हो रहा आंकलन
सूत्रों का कहना है कि सरकार सोशल मीडिया के माध्यम से ही अफसरों की परफॉर्मेंस पर नजर रखे हुए है। कौन कलेक्टर और कमिश्नर कितना सक्रिय है तथा उनके माध्यम से कितने लोगों तक सरकार की योजनाएं पहुंची है, इसकी रिपोर्ट सामने आई है। प्रदेश के सभी 52 जिलों को क्षेत्रफल, जनसंख्या और तहसील संख्या के मान से बांटा गया है। हर जिले के कलेक्टर का फेसबुक और ट्विटर हैंडल बनाया गया है। इनके माध्यम से सरकारी बैठकें, कार्यक्रम, उपलब्धियां तथा नई सूचनाएं प्रसारित और प्रकाशित की जा रही हैं। कलेक्टरों के नाम से बने हैंडल इतने पॉपुलर हो रहे हैं कि जबलपुर कलेक्टर के फेसबुक पर फॉलोअर्स की  संख्या 97 लाख तक पहुंच गई है। वहीं डिंडोरी और श्योपुर जिलों के कलेक्टरों की सक्रियता से रीच संख्या लाखों में है। रिपोर्ट के अनुसार दो दर्जन से अधिक जिलों के कलेक्टर अच्छा परफॉर्मेंस नहीं दे पाए हैं। इनमें सीधी, विदिशा, बड़वानी और बैतूल प्रमुख हैं।
ब्यूरोके्रट्स में प्रतियोगिता और बढ़ी
सोशल मीडिया एनालिटिक्स रिपोर्ट आने के बाद जहां सरकार खुश है वहीं अफसरों में प्रतियोगिता और बढ़ गई है। जिलों में पदस्थ हर अफसर इस कोशिश में लगा हुआ है कि वह सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों को अपने जिले के अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाए। गौरतलब है की वर्तमान में बड़े जिलों में ट्विटर और फेसबुक में इंदौर तथा जबलपुर सबसे आगे हैं जबकि छोटे जिलों में आदिवासी बहुल डिंडोरी और श्योपुर के कलेक्टरों ने टॉप फाइव में अपना स्थान बनाया है। इस रिपोर्ट के बाद से ब्यूरोक्रेट्स में प्रतियोगिता और बढ़ गई है। इसका सीधा फायदा सरकार को मिल रहा है।
ए कैटेगरी के टॉप 5 जिले और संभाग
कमिश्नर-ट्विटर
संभाग पोस्ट काउंट इंप्रेशन
ग्वालियर 174 1,51,000
इंदौर 67 1,50,000
जबलपुर 522 88,100
उज्जैन 185 69,700
शहडोल 36 25,500
कमिश्नर-फेसबुक
संभाग पोस्ट काउंट रीच
रीवा 33 5,78,109
सागर 2 5,44,572
जबलपुर 502 2,66,453
ग्वालियर 502 2,32,965
शहडोल 48 57,304
कलेक्टर-ट्विटर
जिला पोस्टकाउंट इंप्रेशन
इंदौर 101 5,08,000
ग्वालियर 287 3,17,000
उज्जैन 181 2,93,000
रीवा 44 2,08,000
भोपाल 46 1,81,000
कलेक्टर- फेसबुक
जिला पोस्टकाउंट रीच
जबलपुर 502 56,49,794
ग्वालियर 415 19,44,763
मुरैना 78 11,23,904
सागर 215 8,66,399
उज्जैन 167 7,00,012

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