
- प्रदेश में पंजीकृत मदरसों की संख्या 2283, अनधिकृत मदरसों की संख्या बहुत ज्यादा
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
उत्तर प्रदेश की तरह मध्य प्रदेश में भी अब अवैध मदरसों की तालाबंदी होगी। मप्र में ऐसे मदरसों को बंद किया जाएगा जो अवैध या गैरकानूनी तौर पर धड़ल्ले से चल रहे हैं। राज्य सरकार को ऐसी जानकारी मिली है कि प्रदेश के कई ऐसे मदरसे हैं ,जो सिर्फ कागजों पर ही चल रहे हैं। साथ ही कुछ मदरसे ऐसे भी हैं जिन्हें एक कमरे में टेबल और बोर्ड लगाकर संचालन किया जा रहा है। प्रदेश के कई जिलों में अवैध और अपंजीकृत मदरसों की शिकायतें सामने आने के बाद सरकार ने उत्तरप्रदेश की तर्ज पर छानबीन शुरू कराई है। हाल ही में नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) की छापामार कार्रवाई में मदरसा शिक्षक की संदिग्ध गतिविधियां सामने आ चुकी हैं। भोपाल में बाल अधिकार संरक्षण आयोग अपनी जांच के बाद 4 अवैध मदरसों को बंद करा चुका है। जानकारी के अनुसार, सरकार को जानकारी मिली है कि प्रदेश में कई मदरसों में संदिग्ध गतिविधियां चल रही हैं। इसके बाद से सरकार सतर्क हो गई है और गैर कानूनी ढंग से चल रहे मदरसों की पड़ताल शुरू कर दी है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि पंजीकृत मदरसों की संख्या 2283 बताई गई है, जबकि अनधिकृत तौर पर चल रहे मदरसों की संख्या बहुत ज्यादा है। ऐसी अवैध संस्थाओं को बंद कराया जाएगा। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग से भी जानकारी मांगी गई है। कुछ दिन पूर्व एनआईए ने रायसेन जिले के सिलवानी में मदरसे में कार्यरत एक शिक्षक के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी।
फर्जी मदरसों से हो रही मानव तस्करी?
बताया गया कि बाल आयोग की टीम भोपाल के अलग-अलग इलाकों में पहुंचकर फर्जी मदरसों की पड़ताल कर रही है। बाल आयोग के सदस्य बृजेश चौहान का दावा है कि इन मदरसों में बच्चों की ह्यूमन ट्रैफिकिंग का गैरकानूनी काम किया जा रहा था। ऐसे और भी मदरसे हैं जो फर्जी और अवैध तरीके से संचालित हो रहे हैं, जिनकी जानकारी मदरसा बोर्ड को पत्र लिखकर मांगी गई है। जिन्हें चिन्हित कर बंद करने के लिए राज्य सरकार को अनुमोदित किया जाएगा।
बाल संरक्षण अधिकार आयोग और विभागीय सूत्रों का कहना है कि हम इस मुद्दे पर सियासत नहीं बच्चों की भलाई चाहते हैं। प्रदेश की धर्मस्व-संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने भी शिकायतें मिलने के बाद यह मामला शिक्षा मंत्री के संज्ञान में लाते हुए विभागीय पत्र भी भेजा है। उन्होंने कहा कि उप्र की तर्ज पर सरकार ने ऐसी संस्थाओं का निरीक्षण शुरू कराया है , जो अवैध और अपंजीकृत हैं। ऐसे मदरसों को बंद कराया जाएगा। साथ ही संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। इधर बाल आयोग ने भी शासन को इस संबंध में जानकारी भेजी है। इसके बाद मदरसा संचालकों से उनका हिसाब-किताब तलब किया जा रहा है ,उनसे संस्था को मिलने वाले फंड की जानकारी भी मांगी जा रही है। आयोग के सदस्य ने बताया कि ट्रेन में पकड़े गए बिहार के बच्चों का मामला तो काफी सुर्खियों में रहा। इन बच्चों को राजधानी भोपाल के बाणगंगा इलाके में अवैध रूप से संचालित दो मदरसों में लाया गया था। जांच के बाद पता चला कि इन्ही बच्चों के नाम बिहार के सरकारी स्कूल में भी नाम दर्ज पाए गए। इसके बाद बिहार बाल आयोग के माध्यम से इन बच्चों को उनके अभिभावकों के सुपुर्द किया गया है।
भाजपा नेताओं ने भी खोला मोर्चा
प्रदेश के पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया और भोपाल के विधायक रामेश्वर शर्मा भी हाल ही में यह मुद्दा उठाते हुए सरकार के सामने कार्रवाई की मांग कर चुके हैं। बाल आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने इस मुद्दे पर बताया कि उन्होंने आयोग की तरफ से कई मदरसों का जब निरीक्षण किया तो कई तरह की अनियमितताएं मिलीं। मदरसा बोर्ड की ओर से आयोग को जो जानकारी दी गई ,उसके अनुसार मप्र में 2283 मदरसे पंजीकृत चल रहे हैं। अकेले भोपाल में इनकी संख्या 452 बताई गई है।
मप्र में मदरसों को मिलने वाले फंड की होगी जांच
प्रदेश में संचालित मदरसों को मिलने वाली फंड की जांच होगी। मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की जांच में प्रदेश में कई मदरसे अवैध रूप से संचालित पाए गए हैं। इस मामले में बाल आयोग ने एमपी मदरसा बोर्ड को पत्र लिखा है। पत्र में मदरसा संचालकों से कहां से फंड मिलता है इसकी जानकारी मांगी है। आयोग ने कहा है कि जांच में कई मदरसे अवैध रूप से संचालित पाए गए हैं। प्रदेश में कितने मदरसे बोर्ड से पंजीकृत हैं। पंजीकृत मदरसे और शिक्षा विभाग से अनुदान प्राप्त मदरसों की जानकारी एक सप्ताह के भीतर मांगी गई है। बाल आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने कहा है कि जानकारी आने के बाद मदरसों के फंड की जांच कराई जाएगी। मामले में एनआईए की कार्रवाई के बाद बाल आयोग ने संज्ञान लिया है।