
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। उपचुनाव निपटने के बाद से जिस तरह से भाजपा संगठन और उसके प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय पदाधिकारियों की सक्रियता बड़ी है और सत्ता के साथ ही संगठन ने कमजोरी पता करने का अभियान छेड़ रखा है उसे प्रदेश में भाजपा की राजनीति में बदलाव के रुप में देखा जा रहा है। इस बदलाव की वजह है पार्टी का मिशन 2023। बीते रोज पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष द्वारा प्रदेश के मंत्रियों की क्लास लगाई गई। मुख्यमंत्री और प्रमुख नेताओं की मौजूदगी में लगी क्लास में जिस तरह से बीएल संतोष द्वारा शिव गणों से उनके विभागों के कामकाज की कैफियत ली और उनके व्यवहार में सुधार की नसीहत दी, उससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि प्रदेश में जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। यह बैठक ऐसे समय ली गई है जब पहले से प्रदेश में मंत्रिमंडल पुर्नगठन की चर्चाएं आम बनी हुई हैं। यही वजह है कि एक के बाद एक सत्ता व संगठन की हो रही बैठकों से राजनीतिक और प्रशासनिक हल्कों में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा भी तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि अगले माह पंचायत चुनाव से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। भाजपा सूत्रों को कहना है कि परफॉर्मेंस के आधार पर करीब आधा दर्जन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। वहीं कुछ मंत्रियों के विभागों को भी बदला जाएगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार के मद्देनजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पहले ही मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार करवाई जा चुकी है। इसमें करीब एक दर्जन से अधिक मंत्रियों की परफॉर्मेंस खराब पाई गई है। इसकी वजह से ही माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में फेरबदल बड़े पैमाने पर हो सकता है।
सत्ता की ठसक से दूर रहने की दी नसीहत
बैठक में संतोष ने मंत्रियों को साफ ताकीद दी की उनके व्यवहार में सत्ता की ठसक नहीं दिखनी चाहिए। वे संगठन के साथ तालमेल कर काम करें और दौरों में पार्टी जिलाध्यक्ष के साथ ही कार्यकर्ताओं के साथ मेल मुलाकात करें। उन्होंने इस दौरान चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि कोई भी कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो, लेकिन वह संगठन के लिए एक कार्यकर्ता ही है। इस दौरान मंत्रियों से संगठन से अपेक्षा के बारे में पूछते हुए कहा कि उन्हें संगठन की अपेक्षाओं पर हर हाल में खरा उतरना होगा। इस दौरान संगठन महामंत्री ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद मंत्री बने श्रीमंत समर्थकों से पूछा की भाजपा में आने के बाद उन्हें किस तरह का अनुभव हो रहा है। भाजपा व कांग्रेस की कार्यशैली में क्या अंतर दिख रहा है।
देरी से आए मंत्रियों पर हुए नाराज
बैठक में देरी से आने वाले मंत्रियों पर भी वे नाराज हुए। उनका कहना है कि मंत्रियों को समय का पाबंद होना चाहिए। जब वे बैठक में समय पर नहीं आ सकते हैं तो कार्यक्रमों में कैसे समय पर पहुंचते होंगे। दरअसल बैठक में राज्यवर्धन सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, गोपाल भार्गव व उषा ठाकुर बैठक शुरू होने के बाद पहुंचे थे। इन सभी के नाम के साथ ही उनके आने का समय भी रजिस्टर में दर्ज करावाया गया। उधर बैठक से दूरी बनाने वाले मंत्रियों में बिसाहू लाल सिंह, प्रेम सिंह पटेल, विजय शाह रामकिशोर कांवरे और कमल पटेल शामिल रहे।
दावेदारों की भीड़
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चौथी पारी में सीएम के सामने कैबिनेट विस्तार को लेकर नामों को लेकर उलझन बनी हुई है। फिलहाल प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री सहित कैबिनेट में कुल 31 सदस्य हैं। जबकि अधिकतम सदस्यों की संख्या 35 हो सकती है। इस समय कुल चार पद खाली हैं, इन पदों पर शिव के पूर्व मंत्रियों के अलावा वरिष्ठ विधायकों की दावेदारी बनी हुई है। ऐसे में परफॉर्मेंस के आधार पर मंत्रिमंडल विस्तार की योजना बनाई गई है। इसकी वजह से खराब परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों का मंत्रिमंडल से बाहर होना तय माना जा रहा है। इसका आंकलन सरकार के अलावा संगठन से भी मंत्रियों के कामकाज के बारे में फीडबैक लेकर किया जा रहा है। दरअसल कुछ मंत्री ऐसे हैं, जिनकी अब तक न तो विभाग पर ही पकड़ बन पाई और न ही उनके कामकाज से संगठन से लेकर कार्यकर्ता तक खुश है। इसके अलावा कुछ मंत्रियों के विभागों में भी फेरबदल भी किया जाना तय है। यही वजह है कि सरकार स्तर पर इससे पहले यह भी पता लगाने का काम किया जा चुका है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मंत्री और प्रमुख सचिव के बीच पटरी न बैठ पाने की वजह से सरकार की नीतियों पर सही ढंग से काम न हो पाया हो। इसी कारण मुख्यमंत्री के साथ संगठन स्तर पर भी मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा की गई है।
खराब परफॉर्मेंस वाले होंगे बाहर
मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड बनने की खबर के बाद से प्रदेश की राजनैतिक और प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों अजीब से हलचल दिखने लगी है। सूत्रों की माने तो मौजूदा सभी 30 मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा तैयार करवाया जा चुका है। इस खबर के बाद से ही उन मंत्रियों के होश उड़े हुए हैं जो अब तक विभागीय कामकाज पर खरे नहीं उतर पाए हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में करीब आधे से ज्यादा मंत्री ऐसे हैं, जो अपने विभागीय काम के मामले में फिसड्डी साबित हुए हैं। उनमें से करीब एक दर्जन से अधिक तो ऐसे हैं जिनकी स्थिति दयनीय है। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री बारीकी से उन पर नजर बनाए हुए हैं। बताया जा रहा है कि फेरबदल के पहले मंत्रियों के सामने उनका रिपोर्ट कार्ड रखा जाएगा। उसके बाद इस रिपोर्ट कार्ड को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दिखाने के बाद ही इसके आधार पर मंत्रिमंडल विस्तार होगा।
बीते चुनाव से लिया सबक
प्रदेश में आम विस चुनाव होने में अभी भले ही दो साल का समय है, इसके बाद भी पार्टी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी से चुनावी मोड में दिखना शुरू हो गए हैं। इसकी वजह से ही यह पूरी कवायद शुरू की गई है। दरअसल सरकार नहीं चाहती है कि अगले विस चुनाव में भाजपा की स्थिति वर्ष 2018 के चुनाव परिणामों की तरह रहे। बीते चुनाव में सरकार के लगभग एक दर्जन मंत्री पराजित हो गए थे, जिसकी वजह से भाजपा को सरकार से बाहर होना पड़ा था। यही वजह है कि सरकार अब अपना पूरा ध्यान विकास और जनकल्याणकारी कामों पर लगा रही है। इसके माध्यम से सरकार की मंशा उसके खिलाफ बनी एंटी इनकबेंसी को दूर करना है। यही वजह है कि प्रदेश में भी राज्य सरकार केंद्र की तरह तमाम समीकरणों को साधने के लिए राज्य मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करने की तैयारी कर रही है।
मंत्री पद के लिए यह हैं दावेदार
पुनर्गठन में जिन चेहरों को शामिल किए जाने की चचार्एं शुरू हुई हैं उनमें गौरीशंकर बिसेन, रामपाल सिंह, राजेंद्र शुक्ला, करण सिंह वर्मा, महेंद्र हार्डिया, सीतासरन शर्मा, संजय पाठक, जय सिंह मरावी, नीना वर्मा, गोपीलाल जाटव, केदारनाथ शुक्ल, नारायण त्रिपाठी और जोबट से उपचुनाव जीतीं सुलोचना रावत का नाम शामिल है। सुलोचना का नाम लगभग तय बताया जा रहा है। इसकी वजह है उनका महिला के साथ ही आदिवासी वर्ग का होना। यही नहीं उनको दलबदल कराते समय मंत्री पद का आश्वासन दिया जाना भी इसकी बड़ी वजह है। इसी तरह से महाकौशल अंचल से भी किसी एक आदिवासी चेहरे को शामिल किए जाने की संभावना है। जातिगत समीकरण साधने के लिए सरकार द्वारा किए एक दलित विधायक को भी शपथ दिलाए जाने की संभावना है। इसकी वजह है इस बार सरकार और उसके संगठन का पूरा फोकस आदिवासी व दलित वोटरों को पार्टी से जोड़ने पर बना हुआ