
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। विमानन मंत्रालय की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिलते ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट नए सिरे से कवायद शुरू हुई है। सिंधिया ने भी इसको लेकर उत्सुकता दिखाई है और इसे आगे बढ़ाने के संकेत दिए हैं। यही वजह है कि मध्यप्रदेश में भोपाल और इंदौर एयरपोर्ट पर इंटरनेशनल फ्लाइट्स की पार्किंग, मेंटेनेंस, रिपेयर, ओवरहालिंग, इंटरनेशनल कार्गो और ट्रेनिंग सेंटर की संभावनाएं तलाशी जाने लगी है। इसके संबंध में राज्य सरकार ने पूर्व में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भी भेजा है। यही वजह है कि अब उम्मीद है कि यदि प्रस्ताव मंजूर कर लिया जाता है तो भोपाल और इंदौर में विदेशी विमान सुधरने के लिए आने लगेंगे। यही नहीं विमानों की मरम्मत, ओवरहालिंग का विकल्प मिलते ही कई देशों की एयरलाइन कंपनियां यहां आना पसंद करेंगी। एयर एशिया जैसी बड़ी कंपनियां अपना बेस बनाने के लिए ऐसी जगह तलाश रही हैं। चूंकि मध्य प्रदेश देश के सेंटर में है, यहां पर जमीन भी उपलब्ध है। इसका फायदा मिल सकता है। वर्तमान स्थिति में इंटरनेशनल पार्किंग, कार्गो और नाइट पार्किंग के लिए मुंबई में, दिल्ली एयर ट्रैफिक का दबाव होने के चलते महंगा भी है। अभी अधिकांश एअर बस और बड़े जहाज मरम्मत के लिए सिंगापुर, यूरोप और दुबई जाते हैं, लेकिन एमआरओ की सुविधा मिलते ही मिडिल ईस्ट, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तानी से भी विमान मरम्मत के लिए भोपाल, इंदौर आने लगेंगे। इससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा। होटल्स, ट्रेवल्स, ट्रांसपोर्ट से लेकर कई इंडस्ट्रीज गति पकड़ेंगे। खास बात यह है कि फुली मोशन सिम्युलेटर्स पर बड़े जहाज उड़ाने की ट्रेनिंग भी मिलने लगेगी।
अभी पर्याप्त जगह है खाली
बता दें कि फिलहाल भोपाल में इंटरनेशनल फ्लाइट्स की पार्किंग, नाइट पार्किंग व एमओआर के लिए पर्याप्त सुविधाएं हैं। एयरपोर्ट डायरेक्टर केएल अग्रवाल के मुताबिक हमारे पास पर्याप्त खाली जगह मौजूद है। अभी 26 जहाज यहां पाक हो सकते हैं। वही ग्वालियर में सबसे बड़ी समस्या यह है कि वहां एयरफोर्स का बेस होने से एयरपोर्ट के आसपास कमर्शियल एक्टिविटी नहीं हो सकती हैं।
सिंधिया के विमानन मंत्री बनने से बड़ी उम्मीदें
उल्लेखनीय है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के उड्डयन मंत्री बनते ही प्रदेश में एविएशन के विस्तार और विकास को लेकर सक्रियता बढ़ गई है। वही सिंधिया ने भी योजना पर आगे बढ़ने के संकेत दिए हैं। भोपाल के देश के मध्य में मौजूदगी और सैकड़ों एकड़ जमीन की उपलब्धता से इस प्रोजेक्ट के लिए उपयुक्त पाया गया है। खास बात है कि यदि इस तरह के प्रोजेक्ट आते हैं तो इससे हजारों करोड़ों का निवेश प्रदेश में आएगा और तकरीबन दस से पंद्रह हजार लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। यही नहीं इसके साथ कई अन्य तरह के व्यवसाय भी विकसित लगेंगे। हालांकि मध्यप्रदेश सरकार एयर टरबाइन फ्यूल (एटीएफ) पर सबसे ज्यादा पच्चीस फीसदी बैट वसूलती है। इसलिए यहां विमान का ईंधन महंगा है। राज्य सरकार को इसे देश के अन्य राज्यों से कम करना होगा। यह सरकार को फायदेमंद ही साबित होगा। बहरहाल ऐसा करने और कारोबार बढ़ने से राज्य सरकार का राजस्व और जीएसटी कई गुना बढ़ जाएगा।