कर्ज सीमा बढ़ी तो 6 बड़ी योजनाओं का आर्थिक संकट होगा दूर

आर्थिक संकट

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रदेश में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से मध्यप्रदेश सरकार के खजाने पर भी भारी प्रतिकूल असर पड़ा है। इसकी वजह से मप्र में संचालित आधा दजर्न महत्वपूर्ण योजनाओं पर भी आर्थिक संकट के आसार बन गए हैं।  राज्य सरकार की आय में कमी होने से जिन प्रमुख योजनाओं पर प्रभाव पड़ने की संभावना है उनमें स्मार्ट सिटी, पीएम आवास योजना, मेट्रो रेल और अमृत योजना शामिल हैं।
यही नहीं पीडीएस के तहत होने वाली खरीदी के लिए भी राज्य सरकार को राशि की जरूरत है। इनमें स्मार्ट सिटी के लिए लगभग एक हजार करोड़, मेट्रो रेल के लिए चौदह हजार करोड़, प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए एक हजार करोड़, इसी तरह अमृत योजना के लिए एक हजार करोड़ रुपए और पीडीएस के तहत की जाने वाली खरीदी के लिए आठ हजार करोड़ रुपयों की जरूरत राज्य सरकार को है। यही वजह है कि सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही दिल्ली दौरे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर प्रदेश की कर्ज सीमा में एक फीसदी की वृद्धि करने का आग्रह किया है। इससे सरकार को 11 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज लेने की पात्रता मिल जाएगी। दरअसल बीते दो माह अप्रैल और मई में ही टैक्स से होने वाली आय में सरकार द्वारा  आय में करीब 45 फीसदी की कमी का अनुमान लगाया गया है। इस वजह से राज्य सरकार को इन दो माह में लक्ष्य से साढ़े चार हजार करोड़ रुपयों की कम आय हुई है। उल्लेखनीय है कि इन 2 महीनों की अवधि में कोरोना संक्रमण की वजह से पूरे प्रदेश में कर्फ्यू लगा रहा। कर्फ्यू की वजह से जहां आवाजाही पर रोक रही, वहीं सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठान भी बंद रहे। यहां तक की शराब की दुकानें भी बंद रही।  सामान्य स्थिति के दौरान वित्त वर्ष के इन्हीं शुरुआती दो महीनों में राजस्व आय कम से कम दस हजार करोड़ रुपए होती है। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही ने बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात के दौरान राज्य सरकार की कर्ज लेने की लिमिट एक प्रतिशत बढ़ाने की अनुमति मांगी है। यदि केंद्र से अनुमति मिल जाती है तो राज्य सरकार द्वारा बाजार से ग्यारह हजार करोड़ अधिक राशि कर्ज का लिया जा सकेगा।  बहरहाल अभी राज्य सरकार की कर्ज लेने की लिमिट राज्य के सकल घरेलू उत्पाद एसजीडीपी का जो वर्ष 21-22 में 11, 25, 116 करोड़ रुपए अमानित है। जिसका 4.50 फीसदी ही कर्ज लिया जा सकता है। यह राशि 49 हजार करोड़ रुपए तय है। वहीं यदि कर्ज लेने की लिमिट में एक प्रतिशत की वृद्धि हो जाती है तो राज्य सरकार ग्यारह हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज ले सकेगी। यहां उल्लेखनीय यह है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार ने राज्य की कर्ज लेने की लिमिट पांच प्रतिशत से घटाकर वित्तीय वर्ष 21-22 में चार प्रतिशत कर दिया है।

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