…गर अनुराग नहीं आए तो सुलेमान होंगे नए सीएस

सीएस

– टंडन के हाथों में होगी पुलिस की अस्थाई कमान,डीजीपी के नाम पर जारी है असमंजस
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। यह साल प्रशासनिक रुप से बेहद महत्वपूर्ण है। इसकी वजह है प्रदेश को मिलने वाले नए प्रशासनिक मुखिया और सूबे के नए डीजीपी का होने वाला चयन। इस साल प्रदेश के तीन आला अफसर रिटायर्ड होने जा रहे हैं जिनमें मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस भी शामिल हैं। यही वजह है कि अभी से  प्रदेश में नए सीएस के नामों को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। बैंस की सेवानिवृत्ति नवंबर मे है। उनकी जगह नए मुख्य सचिव पद के लिए जो नाम सबसे अधिक चर्चा मे है वह है 1989 बैच के अफसर अनुराग जैन का। वे इन दिनों केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं। उनके अलावा इस पद के दावेदार के रूप में जैन के ही बैच के दूसरे अफसर अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान का नाम भी शामिल है। कहा जा रहा है कि अगर जैन केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से नहीं लौटते हैं तो फिर सुलेमान को ही प्रशासनिक मुखिया की कर्सी मिलना तय है।
मंत्रालय सूत्रों की मानें तो बैंस की सेवानिवृत्ति नवंबर में होने की वजह से अभी नए मुख्य सचिव के लिए नौ माह का समय है, लेकिन इसके बाद भी  नए मुख्य सचिव के लिए संभावनाएं टटोली जाने लगी हैं। इसकी वजह है अगले दो साल में प्रदेश में विधानसभा के अलावा लोकसभा के होने वाले चुनाव। जो भी नया प्रशासनिक मुखिया बनेगा, मैदानी जमावट भी उसके हिसाब से ही की जाएगी। इस समय प्रदेश के 1987 बैच के तीन अफसर संजय कुमार सिंह, राजेश कुमार चतुर्वेदी, अजय तिर्की और 1988 बैच के संजय बंदोपाध्याय केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं। सिंह और चतुर्वेदी भी इसी साल सेवानिवृत्त हो जाएंगे। अभी इनमें से किसी के मध्य प्रदेश लौटने की संभावना भी नहीं है। यही वजह है कि मुख्य सचिव पद का सबसे प्रबल दावेदार 1989 बैच के अधिकारी अनुराग जैन को ही माना जा रहा है। वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सचिव भी रह चुके हैं और मई 2020 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली विकास प्राधिकरण में पदस्थ हैं। वे इसके पहले भी प्रतिनियुक्ति पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय में पदस्थ रह चुके हैं।
यही नहीं प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनने पर उन्हें वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभाग का मुखिया भी बनाया जा चुका है। उनके अलावा जो दूसरे अधिकारी इस पद के दावेदार बने हुए हैं, वे हैं 1989 बैच के अधिकारी अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान। सुलेमान को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पसंदीदा अफसर के रूप में माना जाता है। अपर मुख्य सचिव (एसीएस) मोहम्मद सुलेमान के पास इन दिनों स्वास्थ्य महकमे के साथ ही ऊर्जा विभाग का भी अतिरिक्त प्रभार है। यह दोनों विभाग बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
टंडन होंगे कार्यवाहक डीजीपी: प्रदेश में शायद यह  पहला मौका है जब नए डीजीपी के नाम को लेकर इस तरह की असमंजस की स्थिति बनी हुई  है। अब तक डीजीपी के रिटायरमेंट से एक पखवाड़े पहले नए डीजीपी को ओएसडी (पुलिस मुख्यालय) बनाने के आदेश जारी होते रहे हैं, लेकिन इस बार ऐसा नही हुआ है। यही वजह है कि माना जा रहा है कि अब बतौर कार्यवाहक डीजीपी की पदस्थापना कर काम चलाया जाएगा। माना जा रहा है के कार्यवाहक डीजीपी के रूप में डीजी लोकायुक्त राजीव टंडन को पदस्थ किया जा सकता है। मौजूदा डीजीपी विवेक जौहरी आगामी पांच मार्च को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। जानकारी के अनुसार आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रालय में विभागों की समीक्षा कर रहे हैं। इस बीच मुख्यमंत्री, गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से नए डीजीपी के नाम को लेकर मंथन कर सकते हैं। अगर सरकार के अतिविश्वसनीय सूत्रों की मानें तो डीजी लोकायुक्त राजीव टंडन को तीन माह के लिए कार्यवाहक डीजी बनाने के बाद नए डीजीपी के लिए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का पैनल केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा, इसका निर्णय एक दो दिन में कर लिया जाएगा। दरअसल  टंडन भी इसी साल 31 मई को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। उन्हें मुख्यमंत्री के चहेते अफसर के रूप में जाना जाता है। वे पूर्व में गुना एसपी रहते मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के साथ काम कर चुके हैं। इसकी वजह से उनकी पटरी तभी से बैंस से बैठ रही है। टंडन का कार्यकाल छह माह से कम होने की वजह से उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार न तो उन्हें नियमित डीजीपी बनाया जा सकता और न ही छह माह की सेवावृद्धि दी जा सकती है। टंडन के कार्यवाहक डीजीपी बनने पर पुलिस मुख्यालय में पदस्थ 1987 बैच के उनसे वरिष्ठ तीन अफसरों स्पेशल डीजी श्रीमती अरूणा मोहन राव, शैलेश सिंह व राजेंद्र मिश्रा को पुलिस मुख्यालय से बाहर पदस्थ करना होगा। माना जा रहा है कि टंडन को कार्यवाहक डीजी बनाने के बाद सरकार द्वारा नए डीजीपी के लिए नामों का पैनल केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा। इस पैनल में जो दो दर्जन नाम शामिल हैं उनमें सुधीर सक्सेना, पवन जैन व शैलेष सिंह के भी नाम शामिल हैं। इनमें से सुधीर सक्सेना व पवन जैन को नए डीजीपी के लिए सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। यह तीनों ही अफसर भारतीय पुलिस सेवा 1987 बैच के हैं। अगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुधीर सक्सेना को डीजीपी बनाते हैं तो उनकी केन्द्र से वापसी के लिए पत्र लिखना होगा कि डीजीपी मध्यप्रदेश के लिए उन्हें जरूरत है। सक्सेना वर्तमान में भारत सरकार में सचिव गृह (प्रधानमंत्री सुरक्षा) के पद पर पदस्थ हैं। यदि सरकार अभी पैनल नहीं भेजना चाहती और नियमित डीजीपी बनाती है तो पवन जैन का पलड़ा भारी है। जैन अभी डीजी होमगार्ड के पद पर पदस्थ हैं और वरिष्ठता में सुधीर सक्सेना के बाद दूसरे नंबर पर हैं। पवन जैन का कार्यकाल 31 जुलाई 2023 तक है। सूत्रों का कहना है कि एक दो दिन में डीजीपी को लेकर बनी असमंजस की स्थिति समाप्त हो सकती है।
मुख्यमंत्री के भरोसेमंद हैं टंडन
टंडन मुख्यमंत्री के भरोसेमंद होने के साथ सभी महत्वपूर्ण शाखाओं का काम देख चुके हैं। उनकी गिनती ईमानदार अफसरों में होती है।  इस वजह से उनके नाम को लेकर किसी को कोई आपत्ति भी नहीं होगी। वे मई 2022 में सेवानिवृत्त होंगे।

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