- राज्य, केंद्र सरकार से शिकायत के बाद अब कोर्ट जाने की तैयारी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
ब्राह्मण की बेटियों के खिलाफ अनैतिक, अभद्र और अपमानजनक टिप्पणी करने वाले प्रमोटी आईएएस और अजाक्स के प्रांताध्यक्ष संतोष वर्मा अपने ही जांच में इस कदर फंस गए हैं कि उससे निकलना मुश्किल हो गया है। उनके खिलाफ ब्राह्मण समाज के साथ ही ब्राह्मण नेताओं ने भी मोर्चा खोल दिया है। बीजेपी-कांग्रेस के ब्राह्मण नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम डॉ. मोहन यादव से मुलाकात कर आईएएस संतोष वर्मा पर कार्रवाई की मांग की वहीं अब सिरोंज से बीजेपी विधायक उमाकांत शर्मा ने संतोष वर्मा के खिलाफ कोर्ट जाने की बात कही है। शर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार आईएएस वर्मा के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई कर रही है, लेकिन व्यक्तिगत रूप से मैं बहुत आहत हूं। बेटी संसार में किसी की भी हो, बेटी वंदनीय, पूजनीय है।
गौरतलब है कि अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन में प्रांताध्यक्ष संतोष वर्मा ने कहा था कि जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं देता या उससे संबंध नहीं बनता, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। विधायक उमाकांत शर्मा ने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ ये हमारा लक्ष्य है। किसी भी बेटी का अपमान करना, अनैतिक अभद्र, अपमानजनक, जाति-समुदाय विशेष के खिलाफ टिप्पणी करना ये सार्वजनिक अपराध है। इसके खिलाफ जल्द से जल्द हमारी सरकार और केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय कार्रवाई करेगा। ऐसा मुझे विश्वास है। अगर कार्रवाई नहीं हुई तो मैं व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में जाकर निजी परिवाद पेश करूंगा। आईएएस संतोष वर्मा द्वारा दिए गए विवादित बयान को लेकर प्रदेश में ब्राह्मण समाज का आक्रोश लगातार बढ़ रहा है। इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस और भाजपा, दोनों दलों के विधायकों तथा जनप्रतिनिधियों का संयुक्त प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मिला और संतोष वर्मा को तत्काल निलंबन करने और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की। कांग्रेस की ओर से प्रतिनिधिमंडल उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मिला। कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री से कहा कि राज्य सरकार तत्काल प्रभाव से संतोष वर्मा को निलंबित करें। इस मुद्दे पर भाजपा विधायकों ने भी अपनी आपत्ति जताते हुए कठोर विभागीय कार्रवाई की मांग रखी।
वर्मा पर कार्रवाई को लेकर बना चौतरफा दबाव
मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स) के अध्यक्ष आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा पर कार्रवाई के लिए चौतरफा दबाव बन गया है। आमतौर पर अलग-अलग नजर आने वाले भाजपा और कांग्रेस विधायकों के साथ कर्मचारी संगठन भी इस मामले में एकजुट हैं। भाजपा के दो सांसद भारत सरकार से संतोष वर्मा के विरुद्ध कार्रवाई करने और उनकी कथित गलत पदोन्नति की जांच करने की मांग कर चुके हैं। उधर, गुरुवार तक संतोष वर्मा को राज्य शासन के नोटिस का जवाब देना है। उन्हें सात दिन का समय दिया गया था। माना जा रहा है कि इसके बाद उनके विरुद्ध कार्रवाई हो सकती है। मंत्रालय सेवा अधिकारी-कर्मचारी संघ का कहना है कि जवाब आने के बाद विभाग क्या कार्रवाई करता है, इस पर हमारा अगला कदम तय होगा। वहीं, ब्राह्मण संगठनों का कहना है कि यह मामला ठंडा पडऩे वाला नहीं है। यदि संतोष वर्मा के विरुद्ध एफआइआर नहीं होती है तो फिर आंदोलन को और तेज किया जाएगा। अन्य प्रांतों के सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी हमारे संपर्क में हैं और प्रदेश में बड़ा कार्यक्रम किया जा सकता है। उधर, पांच दिसंबर तक विधानसभा का सत्र है। इस बीच, भाजपा सांसद जनार्दन मिश्रा और आलोक शर्मा ने केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्री डा. जितेंद्र सिंह से संतोष वर्मा के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है। मिश्रा का कहना है कि संतोष वर्मा की पदोन्नति गलत हुई है। इसकी जांच होनी चाहिए। माना जा रहा है कि भारत सरकार मुख्य सचिव से पदोन्नति को लेकर हुई शिकायत पर पूछताछ कर सकती है।
