सूबे के सैकड़ों पंप हुए ड्राई,लोगों को काटना पड़ रहे चक्कर

डीजल और पेट्रोल पंप

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। पहले लगातार बढ़ रहे पेट्रोल और डीजल के दामों में लगातार बेतहाशा हो रही वृद्धि से परेशान चल रहे आम आदमी को अब ग्रामीण और दूरदराज के इलाके तो ठीक भोपाल में ही उसके लिए एक से दूसरे पंप पर चक्कर काटने पड़ रहे हैं। इसकी वजह है इन पंपों को डीजल और पेट्रोल नहीं मिल पाना।
दरअसल कंपनी ने अपनी कमाई के चक्कर में पंपों को की जाने वाली सप्लाई में 30 फीसदी तक की कटौति कर दी है। यह कटौती ऐसे समय की गई है जब किसानों को खेतों की जुताई के लिए डीजल की बेहद अहम जरूरत है। अब हालात यह बन चुके हैं कि प्रदेश के सैकड़ो पंपों पर डीजल और पेट्रोल का संकट बन गया है ,जिसकी वजह से उन्हें बंद तक करना पड़ रहा है। अगर राजधानी की ही बात करें तो भोपाल में ही 38 पंप बीते रोज पूरी तरह से बंद हो गए , तो वहीं प्रदेश में इन इस तरह के पंपों की संख्या सैकड़ों में पहुंच गई है। भोपाल में 152 में से 38 पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल-डीजल नहीं मिला। पेट्रोल-डीजल की तलाश में कई लोग यहां-वहां के पंपों के चक्कर लगाते रहे। यह स्थिति पुराने और नए शहर के कई पेट्रोल पंपों पर रही।  तेल कंपनियों के अधिकारी भी इस मामले में आधिकारिक रूप से कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। पेट्रोल और डीजल नहीं मिलने की सबसे अधिक किल्लत भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के पंपों पर बनी हुई है। इंडियन ऑयल के पंपों पर यह परेशानी नहीं दिखी है। इंदौर शहर के पंप संचालकों का कहना है कि शहर के आसपास असर शुरू हो गया है। कंपनियों की रणनीति से इंडियन आॅयल पर दबाव बढऩे लगा है। यदि ऐसी स्थिति कुछ दिन रही तो डीजल-पेट्रोल की किल्लत से इनकार नहीं कर सकते हैं।
पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन मप्र के अध्यक्ष अजय सिंह का कहना है कि क्रूड के दाम पहले भी बढ़े थे। तब कंपनियों ने इस तरह दिखाया था कि बीपीसीएल व एचपीसीएल से आपूर्ति प्रभावित हो रही है। वहीं सिंह के अनुसार शहरों से ज्यादा ये परेशान इंटीरियर क्षेत्रों में अधिक है, क्योंकि एक तो वहां आवाज उठाने वाले कम ही लोग होते हैं, दूसरी बात इस समय सोयाबीन व धान की खेती के चलते उन्हें डीजल आदि की अधिक जरूरत पड़ रही है। ऐसे में पेट्रोल पंपों में तेल न होना उनके लिए एक बड़ी समस्या का कारण बन रहा है।
डिपो ने समय में की कटौती
डिपो में ऑपरेशन की टाइमिंग यानी टैंकर भरने के समय में भी बीत राज से दो घंटे की कटौती कर दी है। पहले सुबह 8 से शाम 7 तक टाइमिंग थी, जो अब सुबह 8 से शाम 5 बजे तक कर दी है। डीलर्स का कहना है कि इससे भी सप्लाई प्रभावित होगी।
ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ेगा अधिक असर
 यदि तेल नहीं पहुंचा तो ग्रामीण क्षेत्रों में सोयाबीन व धान की बुबाई बुरी तरह से प्रभावित होगी। वैसे ही दुनिया में चल रहे युद्ध के बीच भारत ही बड़ा कृषि वाला देश है, यदि यहां भी इस साल खेती प्रभावित हुई तो महंगाई बढ़ना तय है। दरअसल रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक स्तर पर क्रूड के दामों में जारी उतार-चढ़ाव से तेल कंपनियों ने सुगम आपूर्ति से हाथ खींचते हुए अघोषित राशनिंग शुरू कर दी है। तेल कंपनियों की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि डीजल में 23 रुपये और पेट्रोल में 16 रुपये प्रतिलीटर घाटा हो रहा है, इसलिए खपत के अनुसार पेट्रोल व डीजल नहीं दे पा रही हैं। स्थिति बिगड़ते देख पेट्रोल-डीजल डीलर्स एसोसिएशन ने सरकार को आगाह कर दिया है। बताया जा रहा है कि सार्वजनिक कंपनियों ने तो फिलहाल आपूर्ति प्रबंधन शुरू किया है। निजी कंपनियों ने तो डीलर्स को पंप बंद करने के आॅफर देने शुरू कर दिए हैं। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड के दाम बढ़ रहे हैं। सरकार राहत का लाभ उपभोक्ताओं को कुछ समय तक दाम स्थिर रखकर देना चाहती है, इसीलिए कंपनियों को दाम बढ़ाने से रोके रखा है। विश्लेषकों के अनुसार, क्रूड के दाम 120 डॉलर होने से कंपनियों का घाटा बढ़Þने  लगा है। यह दाम 100 डॉलर के समय के हैं। कंपनियां इसे नियंत्रित करने के लिए डीजल की आपूर्ति रोक रही है। जिन पंप पर पेट्रोल की खपत कम और डीजल की ज्यादा है, वहां तय मात्रा में पेट्रोल लेने की शर्त डाली जा रही है।
आपूर्ति कराने की मांग
इसे लेकर एसोसिएशन प्रदेश के मुख्य सचिव, चुनाव आयुक्त, संबंधित जिला कलेक्टर से तेल कंपनियों से खपत के अनुसार पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति कराने की मांग कर चुकी है। इसके बाद भी पेट्रोल व डीजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। केंद्र सरकार ने बीते दिनों उत्पाद शुल्क कम करके पेट्रोल व डीजल के दाम छह से साढ़े नौ रुपये कम तो कर दिए, लेकिन कंपनियां घाटा बता कर आपूर्ति नहीं कर रही हैं। इससे लोगों की परेशानी बढ़ रही है। यदि हालात नहीं सुधरे तो राजस्थान की तरह आठ घंटे तक ही पेट्रोप पंप खोलने पड़ेंगे। इससे लोगों को पेट्रोल व डीजल के लिए परेशान होना तय है।

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