प्रदेश में कितना है बाघों का कुनबा पांच माह बाद आएगा सामने

बाघों

– वन विभाग ने बाघों का डाटा एसएफआरआई के माध्यम से भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून को भेजा…

भोपाल/विनोद उपाध्याय /बिच्छू डॉट कॉम। देश का टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या कितनी है इसका खुलासा होने में अभी पांच माह का समय लग सकता है, जिससे माना जा रहा है कि इसका आंकड़ा मार्च माह तक ही सामने आ सकता है। इसकी वजह है हाल ही में की गई गणना की रिपोर्ट के एनालेसिस में लगने वाला समय। दरअसल वन विभाग द्वारा प्रदेश के टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क और अभयारण्य से एकत्रित बाघों का डाटा स्टेट फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसएफआरआई) के माध्यम से भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून को भेजा गया है। इसका मिलान अब वैज्ञानिक आधार पर किया जा रहा है। इसमें उनके तमाम माध्यमों से जुटाए गए फोटो भी शामिल हैं। इनके मिलान करने का काम किया जाता है। यह काम होने के बाद इसके  आंकलन को केन्द्र सरकार द्वारा घोषित किया जाएगा। दरअसल बाघों की गणना का काम प्रदेश में बीते साल नवंबर में शुरू कर इस साल सिंतबर तक किया गया था। इसके तहत कई चरणों में संरक्षित क्षेत्रों में ट्रैप कैमरे लगाकर बाघों की तस्वीरें ली गई हैं। इसके बाद डाटा एसएफआरआई को भेजा गया था, जहां पर फोटो का मिलान करने के बाद इसका पूरा  डाटा देहरादून भेजा गया है।
इस तरह से होती है गणना
बाघों की पहले चरण की गणना जंगल में एक तय स्थान पर ट्रांजिट लाइन खींच कर की जाती है। जिसमें सुबह से शाम तक इस लाइन से गुजरने वाले वन्यप्राणियों की गिनती के आधार पर रिपोर्ट तैयार होती है। सैटेलाइट इमेज, ट्रैप कैमरे से ली गई फोटो और जंगल से लिए गए डाटा का मिलान किया जाता है। वन्यजीव संस्थान के विज्ञानी अलग-अलग फोटो में बाघ के शरीर की धारियों का मिलान कर तय करते हैं कि एक ही बाघ है या अलग-अलग।
मप्र सिखएगा चार राज्यों को बाघ गणना:  मध्यप्रदेश में जिस मॉडल से बाघों की गणना की गई  है, उस पर चार राज्यों राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और ओडिशा ने रुचि दिखाई है।  इसके लिए इन राज्यों के अधिकारियों द्वारा प्रदेश के वन अफसरों से इस मॉडल पर चर्चा की जा चुकी है।  दरअसल, प्रदेश में आठ सालों में बांघों की संख्या बढ़ी है। यहां पार्क के बाहर भी बाघ कैमरा ट्रैपिंग में सामने आए हैं।  मप्र में कैमरे लगाने से पहले ही स्थानों की मैपिंग कर ली गई थी, जिससे ज्यादा से ज्यादा बाघ कैमरों में आ सकें।  इसकी तैयारी करीब एक साल पहले ही शुरू कर दी जाती है।   इसके अलावा यहां कर्मचारियों को करीब पांच बार अलग-अलग स्तर पर प्रशिक्षण दिया गया था, ताकि वे पगमार्क सहित अन्य संकेतों के फोटो ले सकें।   इसके लिए 9 हजार से अधिक बीटें बनाई गई थीं।  बाघों की गणना के लिए नेशनल पार्क,टाइगर रिजर्व और सेंचुरी के अलावा सामान्य वनमंडलों में भी माइक्रो लेवल पर मॉनीटरिंग की गई थी।
कुनबा बढ़ने के संकेत
इस साल की गणना से प्रदेश में बाघों का कुनबा बढ़ने के आसार हैं। उम्मीद  है कि 150 बाघ बढ़ेंगे। यदि ऐसा हुआ तो प्रदेश में 675 से अधिक बाघ हो जाएंगे। वर्ष 2018 की गणना में प्रदेश में 526 बाघ पाए  गए थे।  यह संख्या देश में सर्वाधिक थी।  दूसरे नंबर पर कर्नाटक  था। वहां 524 बाघ पाए गए थे।  देश के टाइगर स्टेट का गौरव प्राप्त मध्यप्रदेश ने बाघों की मौत के मामले में भी रिकॉर्ड बनाया है।  जनवरी 2022 से 15 जुलाई 2022 तक मप्र  में 27 बाघों की मौत दर्ज की गई है। ये आंकड़ा अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने हाल ही में अपनी वेबसाइट पर आंकड़े प्रकाशित किए हैं। जिसके अनुसार, इस साल 15 जुलाई तक, देश में कुल 74 बाघों की मौत दर्ज की गई थी, उनमें से अकेले मप्र में 27 मौतें हुईं। वहीं इस अवधि के दौरान किसी भी राज्य में होने वाली बाघों की मौत में ये आंकड़ा सबसे ज्यादा है। बाघों की मौत के मामले में मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है जबकि पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र बाघों की मौत के मामले में दूसरे स्थान पर हैं, जहां इसी अवधि के दौरान करीब 15 बाघों की मौत हुई है। एनटीसीए के आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक में 11, असम में पांच, केरल और राजस्थान में चार-चार, उत्तर प्रदेश में तीन, आंध्र प्रदेश में दो, बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में एक-एक बाघ की मौत हुई है। अधिकारियों के अनुसार, क्षेत्रीय लड़ाई, बुढ़ापा, बीमारियां, अवैध शिकार और बिजली का करंट बाघों की मौक के कुछ प्रमुख कारण हैं। मध्यप्रदेश ने 2018 की जनगणना में देश के टाइगर स्टेट होने का गौरव हासिल किया था। अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट 2018 के अनुसार, राज्य में 526 बाघ हैं, जो देश के किसी भी राज्य के मुकाबले सबसे ज्यादा हैं। वहीं, प्रदेश में छह टाइगर रिजर्व कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना और संजय दुबरी हैं। इस साल मारे गए 27 बाघों में से नौ नर और आठ मादाएं थीं।

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