‘माननीय’ बना रहे मैदानी अफसरों की ‘कुंडली’

 मैदानी अफसरों
  • जिसका रिपोर्ट कार्ड होगा खराब, उस पर एक्शन लेगी सरकार

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में सुशासन को मजबूत करने के लिए सरकार अब हर स्तर पर काम कर रही है। प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति सुदृढ़ रहे इसके लिए अफसरों की कार्यप्रणाली पर भी नजर रखी जा रही है। यही नहीं मैदानी अफसरों का रिपोर्ट कार्ड बनाने की जिम्मेदारी माननीयों (विधायकों और भाजपा नेताओं)की दी गई है। उनके द्वारा तैयार की गई कुंडली के आधार पर ही अफसरों पर सरकार एक्शन लेगी।
जानकारी के अनुसार जनता के मन में शासन और प्रशासन के प्रति मान, सम्मान का भाव पैदा हो इसके लिए सरकार ने अफसरों को कई बार जनहितैषी बनने का संदेश और निर्देश दिया है। अब पचमढ़ी चिंतन के बाद राज्य सरकार एक्शन में है। अब ऐसे अधिकारियों को मैदानी जिम्मेदारियों से हटाए जाने की तैयारी की जा रही है, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार, लापरवाही और असंवेदनशीलता की थोड़ी सी भी शिकायत सामने आई है। सूत्रों की मानें तो पार्टी विधायकों और भाजपा नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के ऐसे अधिकारियों की प्रमाण सहित रिपोर्ट कार्ड बनाएं।
अफसरों की ‘कुंडली’ बताएगी हकीकत
बताया जाता है कि माननीयों द्वारा अफसरों की जो कुंडली बनाई जा रही है ,उसमें अफसर की सक्रियता, योजनाओं के क्रियान्वयन में योगदान, जिले में सुशासन की स्थिति आदि का आंकलन किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता के हितों की अनदेखी करने वाले एवं केन्द्र प्रदेश सरकार की योजनाओं का हितग्राहियों को लाभ देने से वंचित करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों को किसी भी रूप में बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं। पिछले दिनों उनके द्वारा पार्टी विधायकों को ये बता दिया गया है, जबकि मंत्रिमण्डल की लगभग प्रत्येक बैठकों में मंत्रियों को भी हिदायतें दी जा रही हैं कि उनके विभागों की योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचना चाहिए, जिसमें किसी भी तरह की लापरवाही और भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करना है। विधायकों से कहा गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के अधिकारी कर्मचारियों पर नजर रखें और उनका रिपोर्ट कार्ड बनाएं, जिससे गड़बड़ होने पर ऐसे अधिकारी कर्मचारियों को मैदान पोस्टिंग से हटाया जा सके।
विवादित अफसरों की मैदान से होगी विदाई

गौरतलब है कि पचमढ़ी चिंतन बैठक के बाद प्रदेश सरकार द्वारा अगले डेढ़ साल का रोडमैप तैयार किया गया है। इसमें भाजपा संगठन से भी सहयोग मांगा गया है। जानकारों की मानें तो अगले माह संभावित स्थानांतरण पर रोक हटने के बाद ऐसे अधिकारियों की मैदानी पोस्टिंग से विदाई हो जाएगी,जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। इन अधिकारियों को उनके विभागों में लूप लाइन में डाला जाएगा। इनमें वे कर्मचारी भी शामिल होंगे, जिनके खिलाफ शिकायतें लगातार आ रही हैं और वे लंबे समय से ही एक ही स्थान पर पदस्थ हुए हैं। सूत्रों की मानें तो पार्टी नेताओं, विधायकों और मंत्रियों से भी साफ तौर पर कह दिया गया है कि उनके द्वारा किसी भी तरह के दागी अधिकारी कर्मचारियों की सिफारिश नहीं की जाए। विधायक एवं मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य प्रदीप पटेल का कहना है कि जनता के हित में जो भी योजनाएं संचालित हो रही है, उनका शत प्रतिशत लाभ जनता को मिले, इसका विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए मुख्यमंत्री द्वारा लगातार कसावट लाई जा रही है। अगर इन योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही, भ्रष्टाचार जैसी शिकायतें सामने आती है तो संबंधित अधिकारी कर्मचारियों को बरया नहीं जाएगा,चाहे वह कितना भी अहम क्यों न हो।

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