- बंगले के बाहर लागाया बोर्ड… तबादलों के लिए न करें संपर्क
- गौरव चौहान

मप्र में सरकारी अधिकारियों-कर्मचरियों के लिए इस समय तबादलों का सीजन चल रहा है। इस कारण सांसद और प्रदेश सरकार के मंत्री अपने यहां ट्रांसफर के लिए आने वाले आवेदकों से परेशान हैं। परेशान इतने है कि अपने बंगलों पर जगह-जगह पम्पलेट लगा दिए हैं- ट्रांसफर के लिए संपर्क ना करें… ऑनलाइन आवेदन करें। वहीं सुनवाई नहीं होने से कर्मचारी भी परेशान हैं…। भोपाल के चार इमली और 74 बंगले इलाके में जब कोई मंत्री का बंगला पास से गुजरता है, तो दरवाजों और दीवारों पर ये पोस्टर दिख जाते हैं। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार समेत कई मंत्रियों ने ये नोटिस लगवा दिए हैं। लेकिन दूसरी तरफ, दूर-दूर से कर्मचारी भोपाल आकर सुबह से शाम तक बाहर खड़े रहते हैं। कारण ये कि वे मंत्री से मिलकर ट्रांसफर की अर्जी देना चाहते हैं, लेकिन मिलने का मौका ही नहीं मिल रहा।
सरकार कहती है कि ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है, लेकिन कर्मचारियों को भरोसा नहीं है। उनका कहना है कि जब तक मंत्री जी से मिलकर बात नहीं होगी, तब तक ट्रांसफर आगे नहीं बढ़ेगा। यही वजह है कि ऑफलाइन कॉपी लेकर मंत्री बंगलों के बाहर लाइन लगी रहती है। कई कर्मचारी सुबह-सुबह पहुंचते हैं और देर शाम तक वहीं इंतजार करते हैं। मंत्री और अफसरों की ओर से कहा जा रहा है कि अब सबकुछ ऑनलाइन होगा, कोई ऑफलाइन सुनवाई नहीं होगी। लेकिन कर्मचारी कहते हैं कि जब वेबसाइट ठीक से काम नहीं कर रही है और कोई सुनवाई नहीं हो रही, तो आखिर कहां जाएं? ट्रांसफर की उम्मीद लेकर लोग गांव-गांव से भोपाल आ रहे हैं, लेकिन बंगलों के बाहर सिर्फ पम्पलेट मिल रहे हैं, मंत्री नहीं।
शाह को 28 तक ऑनलाइन भेजे जाएंगे प्रस्ताव
विवादित बयान मामले के चलते जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह भले ही दफ्तर और कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं लेकिन अपने विभाग के तबादलों को ओटीपी देखकर मंत्री शाह ही मंजूरी देंगे। विभाग प्रदेश भर से मिले तबादला प्रस्तावों की एक रिपोर्ट तैयार कर मंत्री को ई-ऑफिस के जरिए भेजेगा और इसके बाद मंत्री के मोबाइल पर आने वाले ओटीपी के बाद ही ट्रांसफर का अनुमोदन किया जा सकेगा। मौजूदा हालातों को देखते हुए विभाग तबादलों की यह रिपोर्ट मंत्री को तीन दिन बाद भेजेगा ताकि 28 मई को सुप्रीम कोर्ट में एसआईटी की रिपोर्ट पेश होने के बाद कोर्ट के फैसले के आधार पर निर्णय लिए जा सके। 30 मई तक होने वाले तबादलों के बीच जनजातीय कार्य विभाग के तबादलों को लेकर हर कोई जानना चाहता है कि आखिर दफ्तर और कार्यक्रमों से दूरी बनाकर चल रहे मंत्री शाह के विभाग के तबादला आदेश उनके अनुमोदन के बगैर जारी कैसे होंगे। हालांकि सूत्रों और विभाग के अफसरों का कहना है कि तबादला आदेश जारी करने में मंत्री का रोल महत्वपूर्ण रहेगा। उनके अनुमोदन के बाद ही तबादला आदेश जारी होंगे। यह अनुमोदन मंत्री सीधे ई ऑफिस के जरिए आने वाली हर फाइल में करेंगे या एक साथ सभी तबादलों के प्रस्ताव मंगाकर एक बार में ओटीपी के जरिए इसका अनुमोदन करा लिया जाएगा। इसका फैसला होना अभी बाकी है और अधिकारी सरकार और कोर्ट के रुख का इंतजार इस मामले में कर रहे हैं। मंत्रालय के अफसरों के अनुसार फिलहाल मंत्री के पास इससे संबंधित प्रस्ताव नहीं भेजे जा रहे हैं।
डिप्टी सीएम से स्वास्थ्य मंत्री तक…परेशान
दरअसल, मप्र में माननीय इन दिनों उन कर्मचारियों से परेशान हैं, जो चौखट पर ट्रांसफर की अर्जी लेकर पहुंच रहे हैं। वहीं परेशान मंत्री जी ने अपने स्टाफ से पूरे बंगले पर पम्पलेट चिपकवा दिए हैं। ट्रांसफर वालों से वो मिलना ही नहीं चाहते… चार इमली से लेकर 74 बंगलों में बैठने वाले मप्र के डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल, राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के साथ कई कैबिनेट मंत्रियों के बंगलों पर इस तरह के प्रिंटआउट लगा दिए गए हैं। गौरतलब है कि, मप्र में तबादलों के लिए 1 मई से 30 मई तक का समय निर्धारित किया गया है। 3 साल बाद तबादलों से छूट मिली तो तबादला आवेदनों की संख्या भी तय सीमा से अधिक पहुंच गई है। तबादलों की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है, लेकिन लोगों का मानना है कि ऑफलाइन अनुमति के बिना काम नहीं हो पाएगा। यही कारण है कि आवेदक ऑनलाइन आवेदन जमा करने के बाद भी एप्लिकेशन की कॉपी लेकर मंत्रियों के बंगलों पर पहुंच रहे। आवेदक सांसदों तक गुहार लगा रहे हैं। दरअसल, मध्य प्रदेश में इन दिनों मंत्रियों के पास कर्मचारी अपने मनपसंद और सहूलियत वाली जगह ट्रांसफर की अर्जी लेकर पहुंच रहे हैं। इनसे परेशान होकर मंत्रियों ने अपने स्टाफ से पूरे बंगले की बाहरी दीवारों और गेट पर पर पम्पलेट चिपकवा दिए हैं। जानकारी के मुताबिक, तबादलों की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन और डिजिटल तरीके से हो रही है, लेकिन लोगों का मानना है कि, मंत्री जी से ऑफलाइन मिले बिना काम नहीं हो पाएगा या काम बीच में अटक जाएगा, इसलिए सुबह से ही मंत्री जी से मिलने के लिए कर्मचारियों की लाइन लग जाती थी। इससे परेशान होकर ही मध्य प्रदेश के मंत्रियों ने यह पोस्टर लगाए हैं। मप्र में तबादला नीति लागू होना मानो जनप्रतिनिधियों के लिए आफत बन गया हो। उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया ने अपने कार्यालय के बाहर एक पम्पलेट चस्पा किया है। पम्पलेट पर लिखा है कि कृपया स्थानांतरण के लिए संपर्क न करें। सांसद ने इसके साथ शस्त्र लाइसेंस के लिए संपर्क न करने का भी एक सूचना चस्पा करवाई है। वर्ष 2025 में तबादला के लिए शासन द्वारा जारी नई पालिसी में 30 मई तक का समय तय हुआ है, जिसमें विभाग अपने कर्मचारियों के ट्रांसफर कर सकेंगे। इसके बाद सामान्य तौर पर होने वाले और विशेष परिस्थितियों में होने वाले ट्रांसफर ही होंगे। बस इसी तय तारीख के चलते दफ्तर में लगी कतार के बाद परेशान होकर सांसद ने दो सूचना चस्पा कार्रवाई है।